महंगाई डायन ने वित्त मंत्रालय को डराया ! 2023 में भी दिख रहा है ये खतरा

Finance Ministry on Inflation: वित्त मंत्रालय द्वारा सितंबर माह के लिए मंथली इकोनॉमिक रिव्यू में कहा गया है कि अगर वैश्विक चुनौतियां (रूस-यूक्रेन के बाद बदले समीकरण) बढ़ती हैं, तो 2023 में महंगाई चुनौती बनी रहेगी। लगातार मजबूत होते डॉलर, ऊंची ब्याज दरें जैसी नई चुनौतियां खड़ी कर सकती हैं। वित्त मंत्रालय के अनुसार वैश्विक ऊर्जा संकट और सप्लाई चेन को लेकर चिंता बनी हुई है।

finance ministry on inflation

महंगाई ने बढ़ाई मुश्किल

मुख्य बातें
  • सितंबर में महंगाई दर (CPI)बढ़कर 7.41 फीसदी पर पहुंच गई है । जो कि 5 महीने के उच्चतम स्तर पर है।
  • कीमतें बढ़ने की सबसे बड़ी वजह खाद्य महंगाई दर है जो सितंबर में 8.60 फीसदी पर पहुंच गई।
  • वित्त मंत्रालय को लगता है कि 2023 में भी वैश्विक परिस्थितियों की वजह से महंगाई परेशान करेगी।

Finance Ministry on Inflation: महंगाई पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बयान के बाद अब वित्त मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट ने चिंताए बढ़ा दी है। रिपोर्ट के अनुसार, अभी तक तो भारत ने दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में महंगाई को बेहतर तरीके से मैनेज किया है। लेकिन जिस तरह वैश्विक परिस्थितियां उत्पन्न हो रही हैं, उसे देखते हुए 2023 में भी महंगाई बढ़ी चिंता का सबब बनी रहेगी। यानी पेट्रोल-डीजल की कीमतों से लेकर खाने-पीने के सामान और ईएमआई पर अगले साल भी जल्द राहत मिलने की उम्मीद नहीं है।

क्या कहती है रिपोर्ट

वित्त मंत्रालय द्वारा सितंबर माह के लिए मंथली इकोनॉमिक रिव्यू में कहा गया है कि अगर वैश्विक चुनौतियां (रूस-यूक्रेन के बाद बदले समीकरण) बढ़ती हैं, तो 2023 में महंगाई चुनौती बनी रहेगी। लगातार मजबूत होते डॉलर, ऊंची ब्याज दरें जैसी नई चुनौतियां खड़ी कर सकती हैं। वित्त मंत्रालय के अनुसार वैश्विक ऊर्जा संकट और सप्लाई चेन को लेकर चिंता बनी हुई है। इसकी वजह से 2023 में महंगाई कम होने के बजाय बढ़ सकती है।

रिपोर्ट के अनुसार पहले कोविड-19 और फिर रूस-यूक्रेन के बाद बदली परिस्थितियों को दूसरे देशों की तुलना में कहीं ज्यादा बेहतर तरीके से निपटा गया है। लेकिन नई चुनौती महंगाई को नियंत्रित करने के कदमों पर असर डाल सकती है। हालांकि रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कमोडिटी की कीमतों में कमी , आरबीआई द्वारा रेपो रेट बढ़ाने, एक्साइज और एक्सपोर्ट ड्यूटी में की गई कटौती से महंगाई को कंट्रोल करना आसान हुआ है।

वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट के पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी महंगाई पर चिंता जता चुकी हैं। उन्होंने इसी महीने एक कार्यक्रम में कहा था कि भारत का अगला आम बजट बहुत ही ध्यान से कुछ इस प्रकार बनाना होगा जिससे देश की ग्रोथ की रफ्तार कायम रहे और कीमतें भी काबू में रहें।

क्या सता रही है चिंता

असल में वित्त मंत्रालय को महंगाई की चिंता इसलिए डरा रही है क्योंकि वह सितंबर महीने में 5 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी।सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार सितंबर में महंगाई दर (CPI)बढ़कर 7.41 फीसदी पर पहुंच गई । और यह लगातार नौवां महीना था जब महंगाई दर रिजर्व बैंक के सामान्य स्तर (6 फीसदी) से ज्यादा है। कीमतें बढ़ने की सबसे बड़ी वजह खाद्य महंगाई दर है जो सितंबर में 8.60 फीसदी पर पहुंच गई। जबकि अगस्त में यह 7.62 फीसदी थी। इसी तरह कपड़े-जूते की कीमतों की महंगाई दर 10.17 फीसदी, ईंधन और बिजली की महंगाई दर 10.39 फीसदी पर पहुंच गई ।यानी गरीब तबके और मध्यम वर्ग पर महंगाई का सबसे ज्यादा बोझ पड़ रहा है।

इसका असर औद्योगिक उत्पादन पर भी दिख रहा है। अगस्त में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) 0.8 फीसदी घट गया। जो पिछले 18 महीनों का सबसे निचला स्तर है। इससे पहले फरवरी 2021 में देश के औद्योगिक उत्पादन में 3.2 फीसदी की भारी गिरावट देखने को मिली थी। इसका मतलब है कि मांग कम होने से कंपनियों ने उत्पादन घटा दिया है। इन्ही संकेतों के कारण आईएमएफ ने भारत की GDP ग्रोथ रेट का अनुमान साल 2022-23 के लिए 7.4 फीसदी से घटाकर 6.8 फीसदी कर दिया है। वहीं विश्व बैंक ने इसी अवधि के लिए 6.5 फीसदी ग्रोथ रेट का अनुमान लगाया है।

देश और दुनिया की ताजा ख़बरें (Hindi News) अब हिंदी में पढ़ें | बिजनेस (business News) की खबरों के लिए जुड़े रहे Timesnowhindi.com से | आज की ताजा खबरों (Latest Hindi News) के लिए Subscribe करें टाइम्स नाउ नवभारत YouTube चैनल

लेटेस्ट न्यूज

प्रशांत श्रीवास्तव author

करीब 17 साल से पत्रकारिता जगत से जुड़ा हुआ हूं। और इस दौरान मीडिया की सभी विधाओं यानी टेलीविजन, प्रिंट, मैगजीन, डिजिटल और बिजनेस पत्रकारिता में काम कर...और देखें

End of Article

© 2024 Bennett, Coleman & Company Limited