RBI: खाने-पीने की कीमतों ने आरबीआई का काम किया मुश्किल, लेकिन GDP ग्रोथ करेगी सरप्राइज

RBI On Food Inflation: आरबीआई के लेख में खाद्य महंगाई पर जो चिंता जताई गई है, वह फरवरी महीने के आंकड़ों से समझ आती है। फरवरी 2024 में खुदरा महंगाई दर जहां थोड़ा घटकर 5.09 फीसदी पर आ गईं। लेकिन खाद्य महंगाई दर में उछाल आया गया। खाद्य महंगाई दर फरवरी 2024 में 8.66 फीसदी पर जा पहुंची है।

INFLATION AND GDP

आरबीआई की बढ़ी टेंशन

RBI On Food Inflation:महंगाई को तेजी से घटाकर चार प्रतिशत तक लाने के भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के लक्ष्य की दिशा में खाने-पीने की चीजों की कीमतें बाधा बन रही हैं। केंद्रीय बैंक ने‘स्टेट ऑफ इकनॉमी’रिपोर्ट में यह बातें कही हैं। रिजर्व बैंक की यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है, जब फरवरी में महंगाई दर उसके लक्ष्य से एक फीसदी ज्यादा रहकर 5.09 प्रतिशत ररही।आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा की अगुवाई में एक टीम ने अपने लेख में कहा है कि भले ही प्रमुख मुद्रास्फीति में व्यापक नरमी के साथ महंगाई लगातार घट रही है, लेकिन खाद्य कीमतों के दबाव के चलते इसे तेजी से चार प्रतिशत पर लाने में बाधा पैदा हो रही है।

कितनी है खाद्य महंगाई दर

आरबीआई के लेख में खाद्य महंगाई पर जो चिंता जताई गई है, वह फरवरी महीने के आंकड़ों से समझ आती है। फरवरी 2024 में खुदरा महंगाई दर जहां थोड़ा घटकर 5.09 फीसदी पर आ गईं। खुदरा महंगाई दर में भले ही कमी आई हो लेकिन खाद्य महंगाई दर में उछाल आया गया। खाद्य महंगाई दर फरवरी 2024 में 8.66 फीसदी पर जा पहुंची है जो जनवरी 2024 में 8.30 फीसदी और फरवरी 2023 में 5.95 फीसदी रही थी। खाद्य महंगाई दर ने ही आरबीआई की चिंता को बढ़ा रखा है। और जब तक महंगाई दर आरबीआई के लक्ष्य तक नहीं पहुंचती है, तब तक ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद नहीं है।

जीडीपी 8 फीसदी रेट को भी कर सकती है पार
लेख में आगे कहा गया कि वैश्विक अर्थव्यवस्था गति खो रही है और कुछ सबसे जुझारू अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि धीमी है। इसके बावजूद भारत सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की आठ प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर को कायम रख सकता है या इससे भी आगे निकल सकता है। उसके अनुसार देश का अनुकूल वृद्धि आर्थिक माहौल वृद्धि दर को आगे बढ़ाने का आधार बन सकता है।देश की आर्थिक वृद्धि दर 2021-24 की अवधि में औसतन आठ प्रतिशत से अधिक रही है।लेख में कहा गया है कि संरचनात्मक मांग और कंपनियों तथा बैंकों का मजबूत बही-खाता आगे चलकर वृद्धि को और गति देने में भूमिका निभाएंगे।
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