नवंबर में विदेशी निवेशकों का रुख बदला, अब तक किया 1,433 करोड़ रुपये का निवेश
FPI Investment In November: बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने दरों में बढ़ोतरी का काम पूरा कर लिया है और 2024 में धीरे-धीरे दरों में कटौती करना शुरू करेगा।
नवंबर में एफपीआई निवेश
मुख्य बातें
- एफपीआई ने किया जमकर निवेश
- नवंबर में इक्विटी मार्केट में लगाए 1433 करोड़ रु
- 15 और 16 तारीख को किया खूब निवेश
एफपीआई 15 नवंबर तक शुद्ध विक्रेता थे लेकिन डिपॉजिटरी आंकड़ों के अनुसार उन्होंने 16-17 नवंबर को भारतीय इक्विटी बाजार में निवेश कर बिकवाली के ट्रेंड को पलट दिया।
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बाजार में आई तेजी
मॉर्निंगस्टार इंवेस्टमेंट एडवाइजर इंडिया के सह निदेशक और रिसर्च मैनेजर हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा है कि भारत में जारी त्योहारी सीजन को भारतीय बाजार में एफपीआई की नए सिरे से रुचि के लिए एक कारक के रूप में देखा जा रहा है। इसके साथ अमेरिकी बॉन्ड यील्ड गिरने और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट ने भी दबाव को कम किया है जिससे बाजार में तेजी आई है।
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इन्वेस्टमेंट वी के विजयकुमार ने कहा कि शेयर बाजार के जुझारूपन और माकूल समय में तगड़ी तेजी ने एफपीआई को रणनीति पर पुनर्विचार के लिए मजबूर किया है। यही कारण है कि नवंबर के पहले दो हफ्तों में लगातार बिकवाली के बाद वे इस महीने की 15 और 16 तारीख को खरीदार बन गए।
फेडरल रिजर्व का दरों पर रुख
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने दरों में बढ़ोतरी का काम पूरा कर लिया है और 2024 में धीरे-धीरे दरों में कटौती करना शुरू करेगा। अगर अमेरिकी मुद्रास्फीति में गिरावट का रुख जारी रहता है तो फेडरल रिजर्व अगले साल के मध्य तक दरों में कटौती कर सकता है। इससे भारत जैसे उभरते बाजारों में एफपीआई निवेश को सुगम बनाया जा सकता है।
सितंबर और अक्टूबर में बिकवाली
आंकड़ों से पता चलता है कि एफपीआई ने अक्टूबर में 24,548 करोड़ रुपये और सितंबर में 14,767 करोड़ रुपये की इक्विटी की बिकवाली की थी। इसके पहले एफपीआई मार्च से अगस्त तक लगातार 6 महीनों तक खरीदार बने हुए थे। उस अवधि में विदेशी निवेशकों ने 1.74 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था।
इस साल कितना निवेश
सितंबर में एफपीआई ने बिकवाली का सिलसिला शुरू किया। इसके पीछे अमेरिकी ब्याज दरों को लेकर अनिश्चितता, बॉन्ड प्रतिफल में तेजी, कच्चे तेल की ऊंची कीमतों और इजराइल-हमास संघर्ष से भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने की अहम भूमिका रही।
इस साल अब तक घरेलू इक्विटी बाजार में एफपीआई का कुल निवेश 97,405 करोड़ रुपये और डेब्ट मार्केट में 47,800 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है।
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काशिद हुसैन author
काशिद हुसैन अप्रैल 2023 से Timesnowhindi.Com (टाइम्स नाउ नवभारत) के साथ काम कर रहे हैं। यहां पर वे सीनियर कॉरेस्पोंडेंट हैं। टाइम्स नाउ नवभारत की ब...और देखें
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