FPI Sell Off: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक लगातार कर रहे बिकवाली, नवंबर में अब तक 26533 करोड़ रु के शेयर बेचे
FPI Sell Off: जून में एफपीआई 26,565 करोड़ रुपये के खरीदार रहे, जबकि अप्रैल और मई में क्रमशः 8,671 करोड़ रुपये और 25,586 करोड़ रुपये के शेयर बेचकर बिकवाल रहे थे। फरवरी और मार्च में एफपीआई 1,539 करोड़ रुपये और 35,098 करोड़ रुपये के खरीदार रहे, जबकि जनवरी में साल की शुरुआत नकारात्मक रही थी, जब उन्होंने 25,744 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे।
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक कर रहे बिकवाली
- विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक की बिकवाली बरकरार
- नवंबर में भी बेचे शेयर
- अब तक 26533 करोड़ रु के शेयर बेचे
FPI Sell Off: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) नवंबर में भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली जारी रखे हुए हैं। इस महीने अब तक उन्होंने 26,533 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं। अब उनके द्वारा की गई शेयरों की कुल बिकवाली साल 2024 में अब तक 19,940 करोड़ रुपये हो गयी है, जबकि सितंबर के अंत में यह 1,00,245 करोड़ रुपये की खरीदारी पर थी। असल में अक्टूबर में एफपीआई ने सितंबर की खरीदारी के बाद 94,017 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जबकि 57,724 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे थे। वहीं अगस्त में उन्होंने 7,322 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे थे, जबकि जुलाई में उन्होंने कुल 32,359 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे थे।
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किस महीने कितने की बिकवाली
जून में एफपीआई 26,565 करोड़ रुपये के खरीदार रहे, जबकि अप्रैल और मई में क्रमशः 8,671 करोड़ रुपये और 25,586 करोड़ रुपये के शेयर बेचकर बिकवाल रहे थे। फरवरी और मार्च में एफपीआई 1,539 करोड़ रुपये और 35,098 करोड़ रुपये के खरीदार रहे, जबकि जनवरी में साल की शुरुआत नकारात्मक रही थी, जब उन्होंने 25,744 करोड़ रुपये के शेयर बेचे थे।
शुक्रवार को विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) ने 1,278.37 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जबकि घरेलू संस्थागत निवेशक (डीआईआई) 1,722.15 करोड़ रुपये के शेयर खरीदे।
जल्द ही रुक सकती है एफआईआई की बिकवाली
ईटी की रिपोर्ट के अनुसार एफपीआई के मौजूदा रुझानों पर टिप्पणी करते हुए जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इंवेस्टमेंट स्ट्रेटेजिस्ट वी के विजयकुमार ने एफआईआई द्वारा जारी बिकवाली के पीछे तीन बड़े फैक्टर को जिम्मेदार ठहराया। इनमें एक है 'सेल इंडिया, बाय चाइना' ट्रेड। यानी भारत में बेचो और चीन में खरीदो।
दूसरा, वित्त वर्ष 2025 में कंपनियों के तिमाही नतीजों को लेकर चिंताएं और तीसरा है 'ट्रम्प ट्रेड।' इन तीनों में से, 'सेल इंडिया, बाय चाइना' ट्रेड खत्म हो चुका है। ट्रम्प ट्रेड भी अपने लास्ट फेज में लग रहा है क्योंकि अमेरिका में वैल्यूएशंस हाई लेवल पर पहुंच गया है।
उनके विचार में, भारत में एफआईआई की बिकवाली जल्द ही कम होने की संभावना है क्योंकि लार्जकैप शेयरों का वैल्यूएशन पहले के ऊंचे स्तरों से नीचे आ रहा है।
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