EPFO Job Creation: ईपीएफओ के तहत घटी नौकरियां, अप्रैल-जुलाई में 14.5% की गिरावट
EPFO Job Creation: ईपीएफओ के पेरोल डेटा से पता चला है कि इस साल अप्रैल में 13.1 लाख नई औपचारिक नौकरियां तैयार हुईं। इसके बाद मई में 12.6 लाख, जून में 15.7 लाख और जुलाई में 18.7 लाख नौकरियां जनरेट हुईं।
ईपीएफओ के तहत घटी नौकरियां
- ईपीएफओ के तहत जॉब फॉर्मलाइजेशन घटा
- 14.5 फीसदी की आई गिरावट
- अप्रैल-जुलाई में आई ये गिरावट
EPFO Job Creation: चालू वित्त वर्ष 2023-24 के पहले चार महीनों (अप्रैल-जुलाई) में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के तहत वर्कफोर्स (Workforce) यानी विभिन्न सेक्टरों के कर्मचारियों की संख्या बढ़ने की स्पीड कम हुई है। इस दौरान पिछले वर्ष के इन्हीं 4 महीनों की तुलना में ईपीएफओ के तहत 10 लाख कम लोगों को नौकरियां मिलीं।
ईपीएफओ के पेरोल डेटा से पता चला है कि इस साल अप्रैल में 13.1 लाख नई औपचारिक नौकरियां तैयार हुईं। इसके बाद मई में 12.6 लाख, जून में 15.7 लाख और जुलाई में 18.7 लाख नौकरियां जनरेट हुईं।
14.5 फीसदी की भारी गिरावट
2023 में जुलाई तक 60.1 लाख नौकरियां जनरेट हुईं। यह पिछले वर्ष की समान अवधि में जनरेट हुईं 70.3 लाख नौकरियों की तुलना में 14.5% की गिरावट को दर्शाता है। पिछले साल अप्रैल में 17 लाख नौकरियां जनरेट हुई थीं। वहीं मई में यह आंकड़ा 16.8 लाख, जून में 18.3 लाख और जुलाई में 18.2 लाख का रहा था।
ओवरऑल नौकरियां जनरेट होने का नहीं है ये आंकड़ा
जानकार कहते हैं कि ईपीएफओ डेटा रोजगार सृजन यानी कितनी नौकरियां जनरेट हुईं, इसको नहीं दर्शाता है। बल्कि यह वर्कफोर्स के फॉर्मलाइजेशन में गिरावट को दर्शाता है, जिसका मतलब है कि ये लोग किसी भी सामाजिक सुरक्षा कवरेज से वंचित हो जाएंगे।
ईपीएफओ के इस डेटा के उलट सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (Ministry of Statistics And Programme Implementation) की तरफ से जारी किए आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2023-की पहली तिमाही में शहरी क्षेत्र में रोजगार आंकड़ों में सुधार देखने को मिला है।
क्या है ईपीएफओ
ईपीएफओ भारत सरकार के श्रम और रोजगार मंत्रालय के तहत आता है। ये दो मुख्य सामाजिक सुरक्षा संगठनों में से एक है और भारत में प्रोविडेंट फंड के रेगुलेशन और मैनजमेंट की जिम्मेदारी इसी पर है।
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