इस बार की नोटबंदी में नहीं करने होंगे ये काम? कन्फ्यूजन कर लें दूर
2000 Note News:फिर नोटबंदी पर इस बार कोई अफरातफरी नहीं मचने वाली है। क्योंकि लाइन में लगने वालों के पास अब दो हज़ार के नोट हैं ही नहीं। रिज़र्व बैंक ने चार साल पहले ही इन नोटों की छपाई बंद कर दी थी।

नोटबंदी
2000 Note News:फिर नोटबंदी पर इस बार कोई अफरातफरी नहीं मचने वाली है। क्योंकि लाइन में लगने वालों के पास अब दो हज़ार के नोट हैं ही नहीं। रिज़र्व बैंक ने चार साल पहले ही इन नोटों की छपाई बंद कर दी थी। आम आदमी जिन एटीएम से ज़रूरत के लिए पैसे निकालता है, उन एटीएम ने लगभग साल भर पहले से दो हज़ार के नोट उगलने बंद कर दिए थे। दो हज़ार के नोट को चलन से बाहर करने के फ़ैसले पर आम आदमी पर इसका बुरा प्रभाव पड़ने की संभावना कम है।
दरअसल 2016 में हुई नोटबंदी के दौरान हजार का नोट बंद करके दो हजार का नोट चलाया गया था। ऐसे में आज चार पॉइंट में जानते हैं कि पहले की नोटबंदी और अब की नोटबंदी में क्या फर्क है।
- पहले की नोटबंदी में सारे नोट लीगल टेंडर से बाहर हो गए थे यानी 12 बजे की रात के बाद से अवैध हो गए थे जबकि इस बार 2,000 रुपयो के नोट लीगल टेंडर रहेंगे।
- पहले की नोटबंदी में आप रात के 12 बजे के बाद नोट कहीं उपयोग नहीं कर सकते थे, वो केवल आपको बैंक में जमा करना था और पैसा मिलना था। जबकि इस बार 2,000 रुपये के नोटों को बदलने या जमा करने के लिए चार महीने (30 सितंबर तक) का समय मिल है।
- 2016 की नोटबंदी में बैंक 500 रुपये के नोट उसी रात से अवैध थे तो लोग बैंक से अपना पैसा नहीं निकाल पा रहे थे, ATM नोटों की कमी हो गई थी। जबकि इस बार ऐसा होने की संभावना नहीं है क्योंकि नोट एक दम से बंद नहीं हो रहे हैं।
- पिछली नोटबंदी के समय लोग अपना पैसा नहीं निकाल पा रहे थे लेकिन इस बार ऐसी कुछ लिमिट नहीं है।
23 मई से जमा होने लगेंगे 2000 रुपये के नोट
कुल मिलाकर, 2016 की नोटबंदी की तरह लोगों के घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि 23 मई से लेकर 30 सितंबर तक बैंकों में 2000 रुपये के नोट जमा कर सकते हैं। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब आरबीआई ने नोटों को चलन से वापस लिया है। क्योंकि 2013-14 में आरबीआई ने कहा था कि वह मार्च, 2014 के बाद 2005 से पहले जारी किए गए सभी बैंकनोटों को पूरी तरह से वापस ले लेगा। जिसके लिए आरबीआई ने 1 जुलाई, 2014 तक का समय दिया था। नोट नीति के तहत आरबीआई समय-समय पर इस तरह की कवायद करता है। यानि 2,000 रुपये के नोटों को वापस लेने की तुलना केवल 2014 में हुई घटनाओं से की जा सकती है, न कि 2016 में नोटबंदी की कवायद से।
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