विदेशी निवेशकों ने की भारतीय इक्विटी बाजार में बिकवाली, अक्टूबर में अब तक निकाले 8000 करोड़ रु

FPI Became Seller in First October Week: आंकड़ों के मुताबिक एफपीआई ने इस महीने छह अक्टूबर तक 8,000 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। भारत इस साल एफपीआई को आकर्षित करने में उभरती अर्थव्यवस्थाओं में टॉप पर बना हुआ है, लेकिन सितंबर में बिकवाली देखी गई और अक्टूबर की शुरुआत भी इसी रुझान के साथ हुई है।

FPI Became Seller in First October Week

पहले अक्टूबर सप्ताह में FPI विक्रेता बने

मुख्य बातें
  • FPI ने की बिकवाली
  • अक्टूबर के पहले हफ्ते में निकाले 8000 करोड़ रु
  • घरेलू निवेशकों ने की खरीदारी

FPI Became Seller in First October Week: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने डॉलर की बढ़त और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में लगातार वृद्धि के कारण अक्टूबर के पहले सप्ताह में भारतीय इक्विटी मार्केट से 8,000 करोड़ रुपये निकाल लिए। इससे पहले सितंबर में भी एफपीआई शुद्ध विक्रेता बने रहे और उन्होंने 14,767 करोड़ रुपये निकाले। एफपीआई मार्च से अगस्त तक पिछले छह महीनों में लगातार खरीदारी कर रहे थे और इस अवधि के दौरान उनकी तरफ से 1.74 लाख करोड़ रुपये भारतीय शेयर बाजार में आए।

जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजिस्ट वी के विजयकुमार ने कहा कि आने वाले वक्त में डॉलर की मजबूती और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड के लिहाज से एफपीआई के जल्द बाजार में खरीदार बनने की संभावना नहीं है।

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सितंबर में की गई बिकवाली

आंकड़ों के मुताबिक एफपीआई ने इस महीने छह अक्टूबर तक 8,000 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। भारत इस साल एफपीआई को आकर्षित करने में उभरती अर्थव्यवस्थाओं में टॉप पर बना हुआ है, लेकिन सितंबर में बिकवाली देखी गई और अक्टूबर की शुरुआत भी इसी रुझान के साथ हुई है।

मॉर्निंगस्टार इंडिया में सहायक निदेशक हिमांशु श्रीवास्तव ने इस बिकवाली के लिए अमेरिका और यूरोजोन में आर्थिक अनिश्चितताओं के साथ-साथ वैश्विक आर्थिक वृद्धि के बारे में बढ़ती चिंताओं को जिम्मेदार ठहराया। इस नजरिए ने विदेशी निवेशकों को जोखिम से बचने के लिए प्रेरित किया।

और क्या हैं कारण

हिमांशु के अनुसार कच्चे तेल की ऊंची कीमतों, महंगाई के स्थिर आंकड़ों और उम्मीद से अधिक समय तक ब्याज दर ऊंचे स्तर पर बने रहने की आशंका से विदेशी निवेशकों ने 'वेट एंड वॉच' का रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि भारत में सामान्य से कम मानसून और मुद्रास्फीति पर इसका असर घरेलू अर्थव्यवस्था के लिए भी चिंता का विषय है, जिसे विदेशी निवेशक भी जानते होंगे।

घरेलू निवेशक रहे खरीदार

एफपीआई की बिकवाली की भरपाई घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) की खरीदारी से हुई। इस दौरान एफपीआई ने देश के बॉन्ड बाजार में 2,081 करोड़ रुपये का निवेश किया। इसके साथ ही इस साल अब तक इक्विटी में एफपीआई का कुल निवेश 1.12 लाख करोड़ रुपये और बॉन्ड बाजार में 31,200 करोड़ रुपये से अधिक हो गया है।

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काशिद हुसैन author

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