भारत-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर अब होगा आधुनिक सिल्क रूट ! टूटेगा चीन का वर्चस्व

India-Middle East-Europe Economic Corridor: भारत-मिडिल-ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर के जरिए भारत से कॉमर्स, एनर्जी और डेटा मध्य पूर्व से यूरोप तक पहुंचेगा। इससे क्षेत्र के लो और मीडियम आय वाले देशों को फायदा होगा। साथ ही ग्लोबल कॉमर्स में मध्य पूर्व को अहम भूमिका निभाने में मदद मिलेगी।

भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक कॉरिडोर होगा तैयार

मुख्य बातें
  • भारत-यूरोप कॉरिडोर से देश को फायदा
  • चीन के सिल्क रोड जैसा होगा रूट
  • मध्य-पूर्व के कई देश होंगे शामिल

India-Middle East-Europe Economic Corridor: दिल्ली में आयोजित हुए जी-20 समिट (G-20 Summit) के पहले दिन भारत को बड़ी कामयाबी मिली। जी-20 शिखर सम्मेलन के पहले दिन यूएई और सऊदी अरब ने भारत से होते हुए यूरोप तक के स्पेशल इकोनॉमिक कोरिडोर को हरी झंडी दिखा दी, जिसे भारत-मिडिल-ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर (India-Middle East-Europe Economic Corridor) कहा जा रहा है। ये इकोनॉमिक कॉरिडोर भारत से यूएई और सऊदी अरब से होता हुआ यूरोप तक फैला होगा। इस कॉरिडोर का ऐलान होते ही, इसकी तुलना चीन के ऐतिहासिक सिल्क रूट (Silk Route) से होने लगी।

कैसा था चीन का सिल्क रूट

चीन का सिल्क रूट, जिसे सिल्क रोड भी कहा जाता है, यूरेशियन ट्रेड रूटों का एक नेटवर्क था जो दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से 15वीं शताब्दी के मध्य तक एक्टिव रहा। ये करीब 6400 किमी लंबा रास्ता था, जिसकी पूर्वी और पश्चिमी देशों के बीच आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक और धार्मिक संबंधों को सुविधाजनक बनाने में अहम भूमिका थी।

भारत-यूरोप कॉरिडोर

भारत-मिडिल-ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर के जरिए भारत से कॉमर्स, एनर्जी और डेटा मध्य पूर्व से यूरोप तक पहुंचेगा। इससे क्षेत्र के लो और मीडियम आय वाले देशों को फायदा होगा। साथ ही ग्लोबल कॉमर्स में मध्य पूर्व को अहम भूमिका निभाने में मदद मिलेगी।

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