पुतिन की गैस स्ट्राइक से जर्मनी पस्त,मंदी में यूरोप की सबसे बड़ी इकोनॉमी

Germany Enters Recession:जर्मनी की इकोनॉमी गैस पर बेहद निर्भर है। वहां की जरूरत का करीब 27 फीसदी आपूर्ति जर्मनी से होती है। उसमें भी रूस से 55 फीसदी गैस का आयात होता है। जाहिर है जर्मनी की इकोनॉमी रूस पर बेहद निर्भर रही है।

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जर्मनी में आ गई मंदी

Germany Enters In Recession:दुनिया की चौथी और यूरोप की सबसे बड़ी इकोनॉमी पस्त हो गई है। ताजा आंकड़ों के अनुसार जर्मनी में लगतार दूसरी तिमाही में GDP ग्रोथ रेट निगेटिव रही है। जिसका सीधा मतलब बै कि जर्मनी में मंदी आ गई है। पहली तिमाही में जर्मनी की ग्रोथ रेट -0.3 फीसदी रही है। इसके पहले दिसंबर की तिमाही में भी इकोनॉमी में 0.5 फीसदी की गिरावट आई थी। जर्मनी में मंदी की सबसे बड़ी वजह से रूस से मिलने वाली गैस में कटौती होना है। जिसकी वजह से न केवल महंगाई बढ़ी है बल्कि लोगों की खरीद क्षमता भी घटी है। जिसका निगेटिव असर उद्योग धंधों पर हुआ है।
क्या है पुतिन की गैस स्ट्राइक
असल में जर्मनी की इकोनॉमी गैस पर बेहद निर्भर है। वहां की जरूरत की करीब 27 फीसदी आपूर्ति गैस से होती है। उसमें भी रूस से 55 फीसदी गैस का आयात होता है। जाहिर है जर्मनी की इकोनॉमी रूस पर बेहद निर्भर रही है। लेकिन रूस और यूक्रेन युद्ध के बाद परिस्थितियां बदल गई हैं। रूस पर जब पश्चिमी देशों ने प्रतिबंध लगाना शुरू किया तो रूसी राष्ट्रपित व्लादिमिर पुतिन ने भी विरोध स्वरूप रूस को गैस सप्लाई बड़े पैमाने पर कटौती कर दी है। इसके साथ ही जर्मनी ने भी सख्त रुख अपनाया है। इस कारण सितंबर 2022 के बाद से रूस से गैस आपूर्ति ठप है। ऐसा नहीं है कि जर्मनी को इस खतरे का अंदाजा नहीं था। इसे देखते हुए जर्मनी की तेल कंपनियों ने कतर के साथ सालान तौर पर 20 लाख टन गैस खरीदने का समझौता किया है। हालांकि ये सप्लाई 2026 से शुरू होगी।
ऐसे में रूस पर निर्भरता जर्मनी पर भारी पड़ रही है। और वहां के लोगों को महंगाई और बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है। मार्च 2023 में जर्मनी में करीब 12.6 लाख लोग बेरोजगार थे। और वहां पर बेरोजगारी दर 2.9 फीसदी पर पहुंच गई थी। वहीं अप्रैल में महंगाई दर 7.2 फीसदी पर है।
कोरोना काल में भी आई थी मंदी
जर्मनी में इसके पहले कोरोना के दौर में साल 2020 में मंदी आई थी। उस दौरान लॉकडाउन की वजह से आर्थिक गतिविधियां ठप होने से ऐसा हुआ था। लेकिन उस बार की मंदी और इस बार की मंदी में बड़ा अंतर है। इस समय आर्थिक गतिविधियां ठप नहीं है। बल्कि लोगों की इनकम घटने और महंगाई बढ़ने का असर खर्च क्षमता पर हुआ है।
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प्रशांत श्रीवास्तव author

करीब 17 साल से पत्रकारिता जगत से जुड़ा हुआ हूं। और इस दौरान मीडिया की सभी विधाओं यानी टेलीविजन, प्रिंट, मैगजीन, डिजिटल और बिजनेस पत्रकारिता में काम कर...और देखें

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