और लगेगा महंगाई का झटका, रोटी-पराठे के लिए चुकानी होगी ज्यादा कीमत
Food Inflation May Rise: किसानों की तरफ से की जाने वाली सप्लाई में पहले ही गिरावट आई है, जिससे पता चलता है कि कृषि मंत्रालय का उत्पादन अनुमान हकीकत में रहने वाले उत्पादन से ज्यादा है।
रोटी-पराठे होंगे महंगे
- गेहूं का उत्पादन रह सकता है कम
- रोटी-पराठे के बढ़ सकते हैं दाम
- खाद्य मुद्रास्फीति में हो सकती है बढ़ोतरी
इंडस्ट्री का अनुमान है कि इस साल गेहूं की फसल 101 मिलियन से 103 मिलियन टन तक रह सकती है। इतना उत्पादन बीते दो वर्षों में सबसे कम होगा और इसके नतीजे में मुख्य और ओवरऑल खाद्य मुद्रास्फीति (Food Inflation) की कीमतों को कंट्रोल में रखने का सरकार का प्रयास मुश्किल हो जाएगा।
किसानों की तरफ से सप्लाई घटी
रॉयटर्स की रिपोर्ट में एक प्रमुख ट्रेड बॉडी के हवाले से गेहूं का उत्पादन अनुमान से कम रहने की बात कही गई है। किसान मार्च से गेहूं की कटाई शुरू करते हैं, और जून तक अपनी अधिकतर फसल स्टेट एजेंसियों और प्राइवेट ट्रेडर्स को बेच देते हैं।
किसानों की तरफ से की जाने वाली सप्लाई में पहले ही गिरावट आई है, जिससे पता चलता है कि कृषि मंत्रालय का उत्पादन अनुमान हकीकत में रहने वाले उत्पादन से ज्यादा है।
गेहूं हुआ महंगा
नई दिल्ली में गेहूं की कीमतें पिछले दो महीनों में 10 प्रतिशत बढ़कर 24,900 रुपये प्रति मीट्रिक टन हो गई हैं, जिससे सरकार को 15 वर्षों में पहली बार ट्रेडर्स द्वारा रखे जाने वाले गेहूं स्टॉक की मात्रा के लिए लिमिट तय करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
गेहूं के कम उत्पादन का नतीजा भारत में हाई फूड इंफ्लेशन के रूप में सामने आ सकता है, जो घरेलू बजट और इकोनॉमिक ग्रोथ पर दबाव डालेगा। गेहूं की कीमतें बढ़ने से रोटी-पराठे जैसी बुनियादी खाने वाली चीजें महंगी हो सकती हैं।
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