Gold Price Outlook: इंटरनेशनल मार्केट में पहली बार सोना 2500 डॉलर के पार, आगे महंगा होगा या सस्ता, जान लीजिए

Gold Price Outlook: 2024 की शुरुआत में ही बुलियन की कीमत में उछाल आना शुरू हो गया था। दरअसल तब इसकी कीमत में उछाल को उचित ठहराने के लिए कोई स्पष्ट मैक्रो कारण नहीं था। ईटी की रिपोर्ट के अनुसार तब एनालिस्ट भी हैरान रह गए थे।

Gold Price Outlook

पहली बार सोना 2500 डॉलर के पार

मुख्य बातें
  • सोना पहुंचा 2500 डॉलर के पार
  • पहली बार इस लेवल के हुआ पार
  • फेड घटा सकता है ब्याज दरें

Gold Price Outlook: अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद काफी बढ़ गई है। इसी के चलते इंटरनेशनल मार्केट में सोना पहली बार 2,500 डॉलर प्रति औंस के पार पहुंच गया। शुक्रवार को स्पॉट बुलियन (हाजिर सर्राफा) में 2.2% की बढ़ोतरी हुई, जो पिछले महीने के रिकॉर्ड को पार कर गया। बता दें कि अमेरिकी हाउसिंग मार्केट पर निराशाजनक रीडिंग ने फेड द्वारा ब्याज दरों में तेज और अधिक कटौती की उम्मीदों को मजबूत कर दिया है। कम दरें आम तौर पर सोने के लिए सकारात्मक होती हैं क्योंकि यह कोई ब्याज नहीं देता है।

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20 फीसदी महंगा हुआ सोना

ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद और केंद्रीय बैंकों द्वारा अधिक खरीदारी के बीच इस साल सोने की कीमत में 20% से अधिक की वृद्धि हुई है। मध्य पूर्व में तनाव और यूक्रेन के साथ रूस के युद्ध सहित बढ़ते भू-राजनीतिक जोखिमों के कारण एक सेफ संपत्ति के रूप में भी सोने की मांग बढ़ी है।

इस साल खूब बढ़ी सोने की कीमत

2024 की शुरुआत में ही बुलियन की कीमत में उछाल आना शुरू हो गया था। दरअसल तब इसकी कीमत में उछाल को उचित ठहराने के लिए कोई स्पष्ट मैक्रो कारण नहीं था। ईटी की रिपोर्ट के अनुसार तब एनालिस्ट भी हैरान रह गए थे।

सोने ने अपनी बढ़त को बनाए रखा, जबकि ट्रेडर्स ने दरों में कटौती के समय पर दांव लगाना बंद कर दिया। हाल ही में, सोने की कीमत में उछाल आया है, क्योंकि अमेरिकी अधिकारियों द्वारा जल्द ही दरों में कटौती शुरू करने की उम्मीद है।

कितनी कटौती करेगा फेडरल रिजर्व

हाल की गतिविधियों पर अमेरिकी डेटा की एक सीरीज ने बाजारों को आश्वस्त किया है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक दो दशक से अधिक के उच्च स्तर से उधार लेने की लागत को कम करने की कगार पर है। इसीलिए सोने की स्पीड को गति देने वाले पारंपरिक फैक्टर फिर से सामने आ रहे हैं।

इस बात पर बहस चल रही है कि फेड दरों में कितनी कटौती कर सकता है, क्योंकि हाल ही में आर्थिक रीडिंग ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था की स्थिति पर विरोधाभासी संकेत दिए हैं।

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काशिद हुसैन author

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