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सोने के दाम नई ऊंचाई पर: नया सोना खरीदें या जो है उसे बेच दें? जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ

सोने की कीमतें रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गई हैं, जिससे निवेशकों के बीच असमंजस की स्थिति बनी हुई है। आर्थिक अनिश्चितता, डॉलर में गिरावट, केंद्रीय बैंकों की खरीदारी और गोल्ड ईटीएफ में निवेश ने कीमतों को बढ़ावा दिया है। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि डॉलर की मजबूती और फेडरल रिजर्व की नीतियों के कारण सोने की यह रैली धीमी हो सकती है। दीर्घकालिक निवेशकों के लिए सोना सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करता है, लेकिन अति निवेश से बचना चाहिए। पोर्टफोलियो में 10-20% सोने का संतुलित निवेश आदर्श माना जाता है, जबकि संपत्ति निर्माण के लिए इक्विटी को प्राथमिकता देना बेहतर रहेगा।

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क्या सोना खरीदना सही रहेगा, क्या अभी और बढ़ेंगे दाम।

Is gold just a safe haven or also a wealth creator: सोना एक सुरक्षित निवेश के रूप में जाना जाता है, लेकिन क्या यह संपत्ति बढ़ाने का भी एक बेहतर विकल्प है? बीते तीन वर्षों में सोने ने 17% का शानदार रिटर्न दिया है, जबकि सेंसेक्स ने केवल 11.6% का। वर्तमान में सोने की कीमतें ₹90,000 प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गई हैं। ऐसे में निवेशकों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या उन्हें सोने में निवेश बनाए रखना चाहिए या इसे घटाने का समय आ गया है?

क्यों बढ़ रहे हैं सोने के दाम?

आर्थिक अनिश्चितता और डॉलर में कमजोरी ने सोने की मांग बढ़ा दी है। केंद्रीय बैंकों की खरीदारी बीते तीन वर्षों में केंद्रीय बैंकों ने ऐतिहासिक रूप से अधिक सोना खरीदा है। ETF निवेश में उछाल फरवरी में गोल्ड ईटीएफ में $9.4 बिलियन का इनफ्लो आया, जो मार्च 2022 के बाद सबसे अधिक है।

सोने का भविष्य क्या कहता है?

विशेषज्ञों के अनुसार, यदि कूटनीतिक वार्ताएं सफल रहीं और मुद्रास्फीति नियंत्रण में रही, तो सोने की रैली धीमी हो सकती है। ऐतिहासिक डेटा बताता है कि जब सोने की कीमतें अपने 200-दिनों के मूविंग एवरेज से ज्यादा दूर चली जाती हैं, तो आगे कमजोरी देखने को मिलती है।

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