चीनी की कीमतों ने सरकार की बढ़ाई धड़कन, शुगर मिल के लिए नया फरमान लाने की तैयारी

Government May Bring New Norms For Sugar Mills: शुगर मिल को हर खरीदार की डिटेल शेयर मासिक आधार पर करनी होगी। इसके अलावा पैन नंबर, जीएसटी और मोबाइल नंबर भी एक खास पोर्टल पर अपडेट करना होगा। जिससे कि सरकार को बाजार में चीनी की उपलब्धता और खपत का सही अंदाजा लग सके। नई व्यवस्था में राज्य सरकारों की भूमिका भी अहम होगी।

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चीनी की कीमतों पर नजर

Government May Bring New Norms For Sugar Mills:देश भर में चीनी के कम उत्पादन की आशंका ने सरकार की धड़कने बढ़ा दी है। ऐसे में सरकार कीमतों पर लगाम कसने के लिए शुगर मिल, स्टॉकिस्ट, थोक विक्रेताओं के लिए नया नियम लाने की तैयारी कर रही है। इसके तहत एक ऐसा सिस्टम डेवलप किया जाएगा, जिससे कि सरकार की चीनी की उपलब्धता की सटीक जानकारी मिल सके। जिससे चीनी की कीमतों को कंट्रोल में रखा जा सके। नए सिस्टम में शुगर मिल को मासिक आधार पर हर खरीदार की चीनी खरीद मात्रा की डिटेल शेयर करनी होगी। अगर इससे बात नहीं बनती है तो आने वाले समय में सरकार गेहूं की तरह चीनी के लिए स्टॉक लिमिट तय करेगी।

पोर्टल पर देनी होगी जानकारी

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार शुगर मिल को हर खरीदार की डिटेल शेयर मासिक आधार पर करनी होगी। इसके अलावा पैन नंबर, जीएसटी और मोबाइल नंबर भी एक खास पोर्टल पर अपडेट करना होगा। जिससे कि सरकार को बाजार में चीनी की उपलब्धता और खपत का सही अंदाजा लग सके। नई व्यवस्था में राज्य सरकारों की भूमिका भी अहम होगी। जिससे कि चीनी के स्टॉक की वास्तविक स्थिति का अंदाजा लगाया जा सके।

सितंबर में भी उठाया था कदम

इसके पहले सितंबर में खाद्य मंत्रालय ने चीनी मिलों को हर महीने बेची जाने वाली चीनी की मात्रा का ब्योरा देने को कहा गया था। ताकि चीनी व्यापारियों, डीलर, थोक विक्रेताओं, रिटेलर्स और प्रोसेसरों के पास चीनी के स्टॉक का पूरा डाटा रखा जा सके। लेकिन पिछले 2 महीनों में राज्य सरकार द्वारा उम्मीद के अनुसार निगरानी नहीं रख पाने की बातें सामने आई है। असल में सरकार को लगता है कि व्यापारियों, डीलर और थोक विक्रेता जरूरत से ज्यादा चीनी स्टॉक कर लेते हैं। इसके चलते चीनी की किल्लत हो जाती है और उसके बाद कीमतें बढ़ने लगती हैं।

सरकारी अनुमान के मुताबिक, चालू चीनी सीजन (अक्टूबर-सितंबर) में 29-30 मिलियन टन उत्पादन होने की उम्मीद है। जबकि उसके मुकाबले घरेलू खपत 27.5-28 मिलियन टन होने की संभावना है। ऐसे में मांग और आपूर्ति का संतुलन बना रह सकता है।

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