China FDI: चीन से FDI पर घिरी सरकार, बोली-इकोनॉमिक सर्वे से नहीं लेना-देना, कांग्रेस ने लगा दिया ये आरोप

China FDI: इकोनॉमिक सर्वे में स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और निर्यात बाजार का फायदा उठाने के मकसद से बीजिंग से एफडीआई की जरूरत पर जोर दिया गया था।उसमें कहा गया था कि चूंकि अमेरिका और यूरोप अपनी तत्काल ‘सोर्सिंग’ चीन से दूर कर रहे हैं, इसलिए यह अधिक प्रभावी होगा कि चीनी कंपनियां भारत में निवेश करें

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चीन से एफडीआई पर घिरी सरकार

China FDI:चीन के निवेश को अनुमति देने के संबंध में सरकार के रुख पर कोई बदलाव नहीं हुआ है और इकोनॉमिक सर्वे के विचार सरकार के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने मंगलवार को यह बात कही है। उन्होंने कहा कि चीन के निवेश को अनुमति देने के संबंध में सरकार के रुख पर कोई बदलाव नहीं हुआ है लोकसभा में पूरक प्रश्नों का उत्तर देते हुए गोयल ने यह भी कहा कि सरकार चीनी निवेश की जांच करती है और इस संबंध में उसका रुख नहीं बदला है।

कांग्रेस ने लगाया आरोप

प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने आरोप लगाया कि भारत चीन पर निर्भर हो गया है। उन्होंने इकोनॉमिक सर्वे का हवाला देते हुए कहा कि इसमें पड़ोसी देश से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्राप्त करने का समर्थन किया गया है।गोयल ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) शासन के तहत भारत पड़ोसी देशों पर निर्भर हो गया था।उनका कहना था कि कांग्रेस के तहत, आयात चार अरब डॉलर से बढ़कर 40-45 अरब डॉलर हो गया, जो कि 10 गुना से ज्यादा है। हमारे समय में वृद्धि केवल 2-2.5 गुना है। हमने भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कदम उठाए हैं। वाणिज्य मंत्री ने कहा कि हमें नहीं पता कि चीन के साथ वह एमओयू (समझौता ज्ञापन) क्या था। संप्रग के तहत व्यापार घाटा 30 गुना बढ़ गया था।उन्होंने इस बात पर जोर दिया, ‘‘भाजपा के नेतृत्व वाले राजग ने चीन और उसके निवेश को भी नियंत्रित कर लिया है।

इकोनॉमिक सर्वे ने चीनी एफडीआई की वकालत

गोयल ने कहा कि चीन से जो निवेश आता है, उसकी जांच की जाती है, जहां हमें उचित नहीं लगता, वहां रोक दिया जाता है। हमारी नीति वही रहेगी। बजट से पहले आए इकोनॉमिक सर्वे में स्थानीय मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने और निर्यात बाजार का फायदा उठाने के मकसद से बीजिंग से एफडीआई की जरूरत पर जोर दिया गया था।उसमें कहा गया था कि चूंकि अमेरिका और यूरोप अपनी तत्काल ‘सोर्सिंग’ चीन से दूर कर रहे हैं, इसलिए यह अधिक प्रभावी होगा कि चीनी कंपनियां भारत में निवेश करें और पड़ोसी देश से आयात करने के बजाय इन बाजारों में उत्पादों का निर्यात करें।

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