PLI Scheme: घरेलू इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को लिए 44000 करोड़ का सपोर्ट, एप्पल सहित इनको फायदा

PLI Scheme:टास्क फोर्स ने सरकार को सुझाव दिया है कि घरेलू कंपनियों को 2030 तक 44,000 करोड़ रुपये की सहायता दी जाए। रिपोर्ट्स के मुताबिक, टास्क फोर्स ने प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम को 2030 तक बढ़ाने की सिफारिश की है।

PLI Scheme For Smartphone Production

पीएलआई स्कीम इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग

PLI Scheme:घरेलू इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा बनाई टास्क फोर्स ने घरेलू कंपनियों को 44,000 करोड़ रुपये की सहायता देने की मांग की है। टास्क फोर्स का गठन इस वर्ष जनवरी में किया गया था। सरकार इसके जरिए सेमीकंडक्टर के साथ घरेलू इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाने पर है, जिससे देश को दुनिया के सप्लाई चेन हब के रूप में विकसित किया जा सके। टास्क फोर्स ने प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम को 2030 तक बढ़ाने की सिफारिश की है। इससे एप्पल जैसी कंपनियों को भारत में सप्लाई चेन बनाने में मदद मिलेगी और देश से निर्यात बढ़ेगा।

क्या दिया प्रमुख सुझाव
टास्क फोर्स ने सरकार को सुझाव दिया है कि घरेलू कंपनियों को 2030 तक 44,000 करोड़ रुपये की सहायता दी जाए। रिपोर्ट्स के मुताबिक, टास्क फोर्स ने प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम को 2030 तक बढ़ाने की सिफारिश की है। इससे एप्पल जैसी कंपनियों को भारत में आपूर्ति श्रृंखला बनाने में मदद मिलेगी और निर्यात बढ़ेगा।
इसके अलावा घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्रीज की ओर से सरकार से आने वाले बजट में इनपुट पर टैरिफ कम करने की मांग की गई है, जिससे घरेलू मैन्युफैक्चरिंग बढ़ने के साथ-साथ चीन और वियतनाम से मुकाबला कर पाए। इसके अलावा फोकस वैल्यू-एडेड मैन्युफैक्चरिंग और भारत में उत्पादों के डिजाइन पर होना चाहिए। इसके जरिए भारत ग्लोबल ब्रांड के लिए अपनी दावेदारी को और मजबूत कर सकता है।
मंत्रालय की ओर से इस टास्क फोर्स का गठन इस वर्ष जनवरी में किया गया था। इसका नेतृत्व अजय कुमार सूद कर रहे हैं, जो कि सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार हैं। इसके अलावा अन्य सदस्य जैसे एचसीएल के संस्थापक और ईपीआईसी फाउंडेशन के चेयरमैन अजय चौधरी और डिक्सन टेक्नोलॉजीज के एमडी सुनील वचानी इस टीम के सदस्य हैं।

अगले 5 वर्ष भारत के लिए अहम
अगले पांच वर्ष भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोडक्ट डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग के लिए काफी अहम होंगे। इससे अगले कई दशकों की दिशा तय होगी। अगर हमें एक उत्पादक देश बनना है और ग्लोबल इलेक्ट्रॉनिक्स मार्केट्स में चीन को कड़ी टक्कर देनी है। इसके लिए देश को अपने सबसे अच्छे लोगों को आगे लाना होगा।टास्क फोर्स के सदस्यों के मुताबिक, सरकार ने पिछले 10 वर्षों में सुनिश्चित किया है कि भारतीय कंपनियां खुद को पुनर्जीवित करें और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर' अभियान के तहत लिए गए एक्शन को जमीनी स्तर पर काफी सराहना मिली है। वित्त वर्ष 24 में भारत का इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग आउटपुट बढ़कर 115 अरब डॉलर हो गया और इस दौरान इलेक्ट्रॉनिक सामानों का निर्यात 29.1 अरब डॉलर रहा। कुल इलेक्ट्रॉनिक निर्यात में मोबाइल फोन की हिस्सेदारी 54 प्रतिशत थी। भारत सरकार का लक्ष्य 2030 तक इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग को 300 अरब डॉलर तक बढ़ाना है।
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प्रशांत श्रीवास्तव author

करीब 17 साल से पत्रकारिता जगत से जुड़ा हुआ हूं। और इस दौरान मीडिया की सभी विधाओं यानी टेलीविजन, प्रिंट, मैगजीन, डिजिटल और बिजनेस पत्रकारिता में काम कर...और देखें

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