हिमाचल प्रदेश में ओबेरॉय ग्रुप को तगड़ा झटका! होटल वाइल्डफ्लावर हॉल पर सरकार का कब्जा
Wild Flower Hall Hotel : हिमाचल प्रदेश के शिमला में बने मशहूर वाइल्डफ्लावर हॉल होटल पर आखिरकार प्रदेश सरकार ने कब्जा ले लिया है। इस पर काफी समय से कानूनी लड़ाई चल रही थी।
मशहूर वाइल्ड फ्लावर हॉल होटल
Wild Flower Hall Hotel : हिमाचल प्रदेश का मशहूर ओबेरॉय ग्रुप के वाइल्डफ्लावर हॉल होटल पर अब प्रदेश सरकार ने कब्जा ले लिया है। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद शनिवार को ये होटल हिमाचल प्रदेश सरकार का हो गया। इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम की डायरेक्टर मानसी सहाय को इस प्रॉपर्टी का एडमिन्स्ट्रेटर बनाया गया है। वहीं AGM अनिल तनेजा को OSD के रूप में नियुक्त किया गया है।
यह कार्यवाई हाईकोर्ट के आदेशों के बाद हुई है। इस निर्णय के बाद HPTDC और जिला प्रशासन का भारी पुलिस बल छराबड़ा पहुंचा। hptdc के अध्यक्ष जीएस बाली ने कहा कोर्ट के आदेशों पर अमल किया जा रहा है। साथ ही इसे उन्होंने सरकार की बताई बड़ी जीत बताई।
क्या है मामला
मौजूदा समय में होटल का प्रबंधन ओबेराय ग्रुप के पास था। मामला अदालत में था और हाईकोर्ट ने अक्टूबर 2022 को इस संपत्ति के मामले में हिमाचल सरकार को राहत दी थी। ईस्ट इंडिया होटल जिसके पास वाइल्ड फ्लावर हाल का प्रबंधन था, उसने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी। उस अपील को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। ये मामला शिमला के समीप छराबड़ा में स्थित विश्व विख्यात वाइल्ड फ्लावर हॉल होटल की संपत्ति से जुड़ा है।
1993 में आग से तबाह हो गया था होटल
ईआईएच यानी ईस्ट इंडिया होटल्स ने संपत्ति मामले में अपील मध्यस्थता और सुलह अधिनियम यानी आरबिट्रेशन में दाखिल की थी। मामले के अनुसार वाइल्ड फ्लावर हॉल की संपत्ति का मालिकाना हक राज्य सरकार के पास था। होटल वाइल्ड फ्लावर हॉल को हिमाचल प्रदेश पर्यटन निगम संचालित करता था। वर्ष 1993 में यहां आग लगने से ये होटल तबाह हो गया था। इसे फिर से बनाने और फाइव स्टार होटल के तौर पर विकसित करने के लिए ग्लोबल टेंडर आमंत्रित किए गए थे। टेंडर प्रक्रिया में ईस्ट इंडिया होटल्स लिमिटेड ने भी भाग लिया। इस कंपनी के पास देश और दुनिया के अन्य हिस्सों में ऐसे प्रोजेक्ट चलाने का अनुभव था।
इस वजह से हुआ विवाद
चर्चा के बाद राज्य सरकार ने ईस्ट इंडिया होटल्स के साथ साझेदारी में जाने का फैसला लिया। संयुक्त उपक्रम के तहत काम आगे बढ़ाया गया और ज्वाइंट कंपनी मशोबरा रिजाट्र्स लिमिटेड के नाम से बनाई गई। तय किया गया कि राज्य सरकार की 35 फीसदी से कम शेयर होल्डिंग नहीं होगी। इसके अलावा ईआईएच की शेयर होल्डिंग भी 36 फीसदी से कम नहीं होगी। साथ ही ये भी फैसला लिया गया कि ईआईएच को 55 फीसदी से अधिक होल्डिंग नहीं मिलेगी। जमीन सौंपने के बाद चार साल में भी होटल फंक्शनल नहीं हुआ था, जैसा कि करार में तय किया गया था। उसके बाद जब कंपनी होटल को चलाने के काबिल नहीं बना पाई तो 2002 में राज्य सरकार ने करार रद्द कर दिया था। हाईकोर्ट के आदेश और लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद आखिरकार राज्य सरकार ने इस होटल की संपत्ति पर शनिवार को कब्जा किया है।
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आशीष कुशवाहा author
आशीष कुमार कुशवाहा Timesnowhindi.com में बतौर सीनियर कॉपी एडिटर काम कर रहे हैं। वह 2023 से Timesn...और देखें
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