दाल की महंगाई से परेशान सरकार, अब आत्मनिर्भर बनने का ढूंढ रही है रास्ता

Pulses Inflation Rate: केंद्र सरकार चुनिंदा राज्यों पर ध्यान केंद्रित करते हुए दालों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक योजना तैयार कर रही है। इससे आयात भी घटाया जाएगा।

Pulses Inflation Rate

दालों की महंगाई दर

मुख्य बातें
  • दालों की कीमतों से सरकार भी परेशान
  • ला रही नई स्कीम
  • आयात में आएगी कमी

Pulses Inflation Rate: अक्टूबर में जहां एक तरफ सब्जी पर महंगाई घटी, वहीं दालों पर महंगाई दर बढ़कर करीब 19 फीसदी हो गई। दालों पर बढ़ती महंगाई सरकार के लिए भी परेशानी का सबब बनी हुई है। इसीलिए सरकार अब एक नई योजना लेकर आ रही है।

दरअसल पिछले महीने खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation) घटकर 4.87 फीसदी रही। अक्टूबर में लगातार चौथे महीने खुदरा महंगाई दर में गिरावट आई। सितंबर में यह 5.02 फीसदी और अगस्त में 6.83 फीसदी रही थी। हालांकि दालों की महंगाई दर सितंबर में 16.38 फीसदी के मुकाबले अक्टूबर में बढ़कर 18.79 फीसदी हो गई।

अब सरकार ने ऐसी तैयारी की है, जिससे भारत दालों के मामले में आत्मनिर्भर बनेगा। इससे दालों की कीमतों को कंट्रोल में रखा जा सकेगा और आम जनता को राहत मिलेगी। आगे जानिए क्या है सरकार की तैयारी, जिससे दालों का आयात भी कम होगा और इनकी कीमतें भी नियंत्रित रखी जा सकेंगी।

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घरेलू उत्पादन को बढ़ावा

केंद्र सरकार चुनिंदा राज्यों पर ध्यान केंद्रित करते हुए दालों के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए एक योजना तैयार कर रही है। सरकार ये कदम ऐसे समय पर उठा रही है जब अनियमित मौसम और दूसरी अधिक लाभकारी फसलों के लिए कई किसानों ने दालों की खेती से दूरी बनाई है।

इन राज्यों पर रहेगा फोकस

लाइवमिंट की रिपोर्ट के अनुसार भारत दाल उत्पादन स्वावलंबन अभियान से जुड़े एक अधिकारी के अनुसार इस योजना का मकसद बफर मानदंडों को पूरा करना और आयात निर्भरता को समाप्त करना होगा। यह योजना, जो दालों के गिरते उत्पादन और बढ़ते आयात के समय शुरू होने जा रही है, मुख्य रूप से गुजरात, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और कर्नाटक पर फोकस करेगी।

घटाया जाएगा बफर स्टॉक

सरकार ने भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (NAFED) को इस योजना के लिए प्राथमिक एजेंसी के तौर पर नियुक्त किया है। बता दें कि अरहर का उत्पादन 12 लाख टन (एमटी) और मसूर का उत्पादन 500,000 टन बढ़ाने की कोशिश में नाफेड किसानों की पूरी उपज खरीदने के लिए उनका प्री-रजिस्ट्रेशन कर सकती है।

फिलहाल तुअर के लिए बफर आवश्यकता 10 लाख टन और मसूर के लिए 500,000 टन है। सरकार का लक्ष्य योजना शुरू होने के बाद तुअर का बफर स्टॉक 800,000 टन और मसूर का बफर स्टॉक 400,000 टन तक कम करना है।

कितना है उत्पादन

कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश में जून में समाप्त हुए पिछले सीजन में 33 लाख टन तुअर और 1.5 लाख टन मसूर का उत्पादन हुआ, जबकि उससे पिछले वर्ष में इनका उत्पादन क्रमशः 42 लाख टन और 13 लाख टन का उत्पादन हुआ था।

हालाँकि तुअर और मसूर की घरेलू माँग क्रमशः 44 लाख टन और 24 लाख टन है। 2023-24 फसल वर्ष के लिए पहले अग्रिम अनुमानों के अनुसार प्रतिकूल जलवायु परिस्थिति और किसानों के कपास और सोयाबीन जैसी फसलों की ओर रुख करने के कारण कुल खरीफ दालों का उत्पादन पिछले वर्ष के 78 लाख टन की तुलना में कम होकर 71 लाख टन रह सकता है।

कितनी दाल का आयात

भारत ने जनवरी-अक्टूबर के दौरान पिछले वर्ष के 14 लाख टन के मुकाबले 22.6 लाख टन मसूर, तुअर और उड़द का आयात किया। मसूर का आयात सभी दालों में सबसे अधिक 11 लाख टन रहा। तुअर और उड़द का आयात क्रमशः 686,073 टन और 453,529 टन रहा।

2011 के बाद से कुछ सुधार के बावजूद, दालों की मांग और सप्लाई के बीच का अंतर बढ़ गया है, जिससे पिछले कुछ वर्षों में 20-25 लाख टन वार्षिक आयात की आवश्यकता हुई है।

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काशिद हुसैन author

काशिद हुसैन अप्रैल 2023 से Timesnowhindi.Com (टाइम्स नाउ नवभारत) के साथ काम कर रहे हैं। यहां पर वे सीनियर कॉरेस्पोंडेंट हैं। टाइम्स नाउ नवभारत की ब...और देखें

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