NPA Ratio: बैंकों की फाइनेंशियल हालत में सुधार, ग्रॉस NPA रेशियो हुआ 12 सालों में सबसे कम, सितंबर में दर्ज किया गया 2.6%
NPA Ratio: बड़े उधारकर्ता सेगमेंट में, कुल फंडिंड राशि में स्टैंडर्ड एसेट्स की हिस्सेदारी पिछले दो वर्षों में लगातार सुधरी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि "बड़े उधारकर्ताओं के समूह में टॉप 100 उधारकर्ताओं की हिस्सेदारी सितंबर 2024 में घटकर 34.6 प्रतिशत रह गई है, जो मध्यम आकार के उधारकर्ताओं के बीच बढ़ती ऋण की मांग को दर्शाता है।"
बैंकों का सकल एनपीए अनुपात
मुख्य बातें
- ग्रॉस NPA रेशियो घटा
- 12 साल में रहा सबसे कम
- सितंबर में दर्ज किया गया 2.6%
NPA Ratio: भारत के शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों का ग्रॉस नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (जीएनपीए) सितंबर 2024 में गिरकर 2.6 प्रतिशत हो गया है। यह पिछले 12 वर्षों में जीएनपीए का सबसे न्यूनतम स्तर है। आरबीआई की ताजा फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। आरबीआई की फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट (एफएसआर) में नेट एनपीए रेश्यो 0.6 प्रतिशत के करीब रहा। रिपोर्ट में बताया गया कि स्लीपेज के कम होने, अधिक राइट-ऑफ और स्थिर क्रेडिट डिमांड के कारण 37 शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों का जीएनपीए कई वर्षों के निचले स्तर 2.6 प्रतिशत पर पहुंच गया है। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो वर्षों में बैंकों के जीएनपीए में बड़े उधारकर्ताओं की हिस्सेदारी में लगातार गिरावट आई है। बैंकों के बड़े उधारकर्ता पोर्टफोलियो की एसेट्स क्वालिटी में काफी सुधार हुआ है, जीएनपीए अनुपात मार्च 2023 में 4.5 प्रतिशत से गिरकर सितंबर 2024 में 2.4 प्रतिशत हो गया है।
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इन उधारकर्ताओं की हिस्सेदारी घटी
बड़े उधारकर्ता सेगमेंट में, कुल फंडिंड राशि में स्टैंडर्ड एसेट्स की हिस्सेदारी पिछले दो वर्षों में लगातार सुधरी है। रिपोर्ट में बताया गया है कि "बड़े उधारकर्ताओं के समूह में टॉप 100 उधारकर्ताओं की हिस्सेदारी सितंबर 2024 में घटकर 34.6 प्रतिशत रह गई है, जो मध्यम आकार के उधारकर्ताओं के बीच बढ़ती ऋण की मांग को दर्शाता है।"
मुनाफे में हुई वृद्धि
विशेष रूप से सितंबर 2024 में टॉप 100 उधारकर्ताओं में से किसी को भी एनपीए के रूप में वर्गीकृत नहीं किया गया है। इसमें आगे कहा गया है कि शेड्यूल कमर्शियल बैंकों के मुनाफे में 2024-25 के दौरान सुधार आया है और टैक्स के बाद लाभ में सालाना आधार पर 22.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) और प्राइवेट बैंकों ने क्रमशः 30.2 प्रतिशत और 20.2 प्रतिशत की मुनाफे में वृद्धि दर्ज की है, जबकि विदेशी बैंकों का मुनाफे में 8.9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
पहली छमाही के दौरान और सुधार
रिपोर्ट में कहा गया है कि एसेट्स पर रिटर्न (आरओए) और इक्विटी पर रिटर्न (आरओई) दशक के उच्चतम स्तर पर हैं। इसके कारण जीएनपीए अनुपात कई वर्षों के निचले स्तर पर आ गया है। आरबीआई ने कहा कि बैंकिंग स्थिरता संकेतक (बीएसआई), जो घरेलू बैंकिंग प्रणाली की मजबूती का आकलन प्रदान करता है, ने 2024-25 की पहली छमाही के दौरान और सुधार दिखाया है। (इनपुट - आईएएनएस)
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काशिद हुसैन author
काशिद हुसैन अप्रैल 2023 से Timesnowhindi.Com (टाइम्स नाउ नवभारत) के साथ काम कर रहे हैं। यहां पर व...और देखें
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