GDP Growth Rate: वित्त वर्ष 2023-24 में 7.5-8% रह सकती है विकास दर, FICCI प्रेसिडेंट को उम्मीद

GDP Growth Rate: देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 7.8 प्रतिशत रही है। वहीं दूसरी तिमाही जुलाई-सितंबर में यह 7.6 प्रतिशत रही। इस हिसाब से पहली छमाही में वृद्धि दर 7.7 प्रतिशत रही।

GDP Growth Rate

जीडीपी विकास दर

मुख्य बातें
  • FY24 में 7.5-8% रह सकती है जीडीपी ग्रोथ
  • फिक्की प्रेसिडेंट का अनुमान
  • 2024-25 में 8 प्रतिशत वृद्धि दर का अनुमान

GDP Growth Rate: फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (FICCI) के नवनियुक्त प्रेसिडेंट अनीश शाह ने सोमवार को कहा कि मजबूत इकोनॉमिक एक्टिविटीज, सकारात्मक धारणा और प्राइवेट निवेश बढ़ने के साथ इंडस्ट्री चालू वित्त वर्ष में 7.5-8 प्रतिशत और अगले वित्त वर्ष 2024-25 में 8 प्रतिशत वृद्धि दर (GDP Growth Rate) की उम्मीद कर रही है। उन्होंने कहा कि हालांकि वैश्विक स्तर पर संकट से आर्थिक वृद्धि के सामने चुनौतियां भी हैं। वे महिंद्रा एंड महिंद्रा ग्रुप के सीईओ और एमडी हैं। उन्होंने कहा है कि हमने अबतक 7.8 प्रतिशत और 7.6 प्रतिशत वृद्धि के बेहतर आंकड़े देखे हैं। मजबूत आर्थिक गतिविधियों को देखते हुए मेरा मानना है कि यह स्थिति बनी रहेगी। हम देख रहे हैं कि कई कंपनियां निवेश कर रही हैं, क्षमता बढ़ा रही हैं।

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चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में कितनी रही विकास दर

शाह ने कहा कि हमारा अनुमान है कि मौजूदा वित्त वर्ष 2023-24 में आर्थिक वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत से 8 प्रतिशत के बीच रहेगी। वहीं अगले वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर आठ प्रतिशत या उससे अधिक रह सकती है।

बता दें कि देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में 7.8 प्रतिशत रही है। वहीं दूसरी तिमाही जुलाई-सितंबर में यह 7.6 प्रतिशत रही। इस हिसाब से पहली छमाही में वृद्धि दर 7.7 प्रतिशत रही।

अर्थव्यवस्था के सामने चुनौतियां

अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियों के बारे में शाह ने कहा कि पहला कारण भारत से बाहर का है। इसराइल और गाजा के अलावा यूक्रेन में जो हो रहा है, उसको लेकर दबाव है। हमारा अनुमान है कि ये दबाव और अधिक नहीं बढ़ेगा। सभी शांति चाह रहे हैं।

उन्होंने कहा कि दूसरी चिंता पश्चिमी देशों के सामने आई आर्थिक समस्याएं हैं। हमें नहीं लगता कि वहां समस्याएं अभी तक कम हुई हैं। भारत में हमने जो देखा है, वहां ब्याज दर उससे कहीं अधिक ऊंचे स्तर पर हैं। यदि पश्चिमी दुनिया में अधिक आर्थिक प्रभाव पड़ता है, तो इसका असर भारत पर पड़ेगा। ये दो प्रमुख चीजें हैं, जो चिंता का कारण हैं।

विकसित भारत का लक्ष्य

शाह ने कहा कि सरकार को विदेशों से होने वाली समस्याओं से निपटने के लिए ग्रोथ को जारी रखने की जरूरत है। भारतीय कंपनियों के बारे में उन्होंने कहा धारणा सकारात्मक है, निवेश गति पकड़ रहा है और क्षमता वृद्धि जारी है। वहीं मांग लगातार बढ़ रही है और आर्थिक वृद्धि जारी है, ऐसे में निवेश की गति आगे और बढ़ेगी।

एक सवाल के जवाब में शाह ने कहा कि फिक्की का ध्यान मेक इन इंडिया पहल, महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास, कृषि क्षेत्र की समृद्धि और उसे भरोसेमंद बनाने पर होगा ताकि देश को 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य की ओर बढ़ने में मदद मिल सके।

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काशिद हुसैन author

काशिद हुसैन अप्रैल 2023 से Timesnowhindi.Com (टाइम्स नाउ नवभारत) के साथ काम कर रहे हैं। यहां पर वे सीनियर कॉरेस्पोंडेंट हैं। टाइम्स नाउ नवभारत की ब...और देखें

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