GST ने बिजनेस को दी नई आजादी, 7 साल में इकोनॉमी को लगे पंख

GST@7 Years: जीएसटी के बाद से ही भारत की अर्थव्यवस्था निरन्तर मजबूत होती गई है । 1 जुलाई 2017 को लागू होने के बाद महज एक साल के अन्दर ही अप्रैल 2018 में ही जी.एस.टी कलेक्शन एक लाख करोड़ के आँकड़े को पार कर गया । अप्रैल 2024 तक आते- आते जीएसटी कलेक्शन 2.10 लाख करोड़ रूपये की रिकॉर्ड ऊँचाई तक पहुँच गया ।

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जीएसटी के 7 साल

GST@7 Years:हमारी वर्तमान पीढ़ी ने भले ना देश की आजादी को देखा हो ,लेकिन एक आजादी के जरूर हम गवाह रहे हैं, और ये आजादी थी - आर्थिक आजादी । 1 जुलाई 2017 की मध्य- रात्रि को 101 वें संविधान संशोधन के माध्यम से, लगभग 17 प्रकार के विभिन्न करों एवं उपकरों से जकड़े व्यापारियों को एक राष्ट्र – एक कर के रूप - वस्तु एवं सेवा कर के रूप में आर्थिक आजादी मिली, तो जैसे अर्थव्यवस्था को भी पंख लग गए । प्रधानमन्त्री ने जी.एस.टी को गुड्स एंड सर्विस टैक्स की बजाए जब गुड एंड सिम्पल टैक्स कहा, तो कुछ लोगों ने अतिश्योक्ति माना , लेकिन आँकड़े गवाह हैं ।

1 जुलाई 2017 को सम्पूर्ण भारत में कुल पंजीकृत व्यापारियों की संख्या 63.9 लाख थी, जो महज अगले पाँच वर्षों में ही जुलाई 2022 तक 1.38 करोड़ तक पहुँच गई, अर्थात् कुल व्यापारियों की संख्या दुगुनी हो गई । जितने व्यापारी पिछले 70 वर्षों में हम जोड़ पाये, उतने ही व्यापारी सिर्फ अगले पाँच वर्षों में ही जुड़ गए, जो प्रमाणित करते हैं कि किस प्रकार नए व्यापारियों ने इसे खुले दिल से अपनाया और अपने व्यापार को नई बुलंदियों तक पहुंचाया है ।

अप्रैल 2024 तक कुल डीलरों की संख्या बढ़कर 1.46 करोड़ हो चुकी है, जो एक संतोषजनक उपलब्धि है । याद कीजिए, कोरोना की विभीषिका को, जब कोरोना के बाद बड़ी- बड़ी महाशक्तियों की अर्थव्यवस्थाएं ध्वस्त हो रही थीं, तब भी जून 2020 में जैसे ही प्रतिबन्ध हटे, भारत में जी.एस.टी कलेक्शन रिकॉर्ड रू. 90,917 करोड को पार कर गया ।

जी.एस.टी के बाद से ही भारत की अर्थव्यवस्था निरन्तर मजबूत होती गई है । 1 जुलाई 2017 को लागू होने के बाद महज एक साल के अन्दर ही अप्रैल 2018 में ही जी.एस.टी कलेक्शन एक लाख करोड़ के आँकड़े को पार कर गया । अप्रैल 2024 तक आते- आते जी.एस.टी कलेक्शन 2.10 लाख करोड़ रूपये की रिकॉर्ड ऊँचाई तक पहुँच गया । जी.एस.टी कलेक्शन में 2021-22 में 30.8 प्रतिशत की वृद्धि दर, 2022-23 में 21.4 प्रतिशत की वृद्धि दर प्राप्त की गई । वर्ष 2023- 24 में यह वृद्धि दर 11.7 प्रतिशत थी । अप्रैल – जून तिमाही में औसत कर- संग्रह 1.86 लाख करोड़ रूपये पहुँच गया है, जो 2023-24 की इसी तिमाही में 1.68 करोड़ लाख था ।

कुल मिलाकर कोरोना के बाद से जहाँ कई देशों की अर्थव्यवस्थाएँ लड़खड़ाई हुईं हैं, तो वहीं भारत की अर्थव्यवस्था दिनों- दिन और मजबूत होती जा रही है और इसके सबसे बड़ी वजह है- जी.एस.टी की निरन्तर सुधारवादी और परिवर्तनशील कार्य- प्रणाली । यह इस कर- प्रणाली की लोचशीलता ही है कि जी.एस.टी लागू होने के बाद से महज सात वर्षों में जी.एस.टी परिषद की अब तक 53 बैठकें हो चुकीं हैं । प्रत्येक बैठक में व्यापारियों से जुड़े मुद्दों को खुले मन से सुलझा कर व्यापार को सरल व सुगम बनाया जाता है ।

जी.एस.टी परिषद की हर बैठक में व्यापार व व्यापारियों के हित में सभी राज्यों की सर्वसम्मति से निर्णय लिए जाते हैं । दुनिया के किसी अन्य देश में किसी कर- प्रणाली में इतनी लोचशीलता व सर्व- कल्याण की भावना शायद ही दृष्टिगोचर होती हो, जितनी वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली में और यही कारण है कि जी.एस.टी का दायरा व कलेक्शन निरन्तर बढ़ता जा रहा है । विभिन्न प्रकार के फार्मों के लिए राज्य सरकारों के वाणिज्य कर कार्यालयों में व्यापारियों की भीड़ एवं एक राज्य से दूसरे राज्य में प्रवेश करते समय ट्रकों की लम्बी- लम्बी लाईनें अब इतिहास बन चुकी हैं । पहले जहाँ हर राज्य में प्रवेश करते समय अलग- अलग फॉर्म होते थे, वहीं अब केवल ई-वे बिल साथ हो, तो आप निर्बाध पूरे देश में माल का अन्तरण कर सकते हैं ।

प्रति माह औसतन 7.81 करोड़ ई-वे बिल जारी किए जाते हैं, जो बढ़ते माल अन्तरण की सफलता को दर्शाता है । जी.एस.टी लागू होने से पूर्व पहले जहाँ एक ट्रक को सुदूर दक्षिण से राजधानी आने में दस से बारह दिन लगते थे, वहीं अब महज तीन से चार दिन लगते हैं, ये प्रधानमन्त्री जी के गुड एंड सिम्पल टैक्स की भावना की पुष्टि करता है । जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण की स्थापना से व्यापारियों के लिए विवाद समाधान प्रक्रिया आसान और तीव्र हो गई है ।

पिछले सात वर्षों में वस्तु एंव सेवा कर प्रणाली की सफलता जहाँ सुकून देती है, वहीं अभी सम्भावनाएँ भी बहुत अधिक हैं । देश की जनसंख्या के हिसाब से अभी मात्र 1 प्रतिशत व्यापारी ही इस कर- प्रणाली में पंजीकृत है, जो सम्भावनाओं को देखते हुए बहुत कम है । जैसा कि प्रधानमन्त्री जी का मानना है कि हम रोजगार देने वाले बनें, उस दृष्टि से अभी असीम सम्भावनाएँ हैं ।

(लेखक श्याम सुन्दर पाठक राज्य वस्तु एवं सेवा कर, उत्तर प्रदेश में सहायक आयुक्त के पद पर कार्यरत हैं )

Disclaimer- ये लेखक के निजी विचार हैं और टाइम्स नाउ नवभारत डिजिटल इन विचारों की पुष्टि नहीं करता है

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प्रशांत श्रीवास्तव author

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