अंग्रेजों के दौर में इस कॉटन किंग ने किया था कमाल, बरगद के पेड़ से 1 लाख को बना दिया 300 लाख करोड़

History of BSE: बीएसई को एशिया का पहला स्टॉक एक्सचेंज होने का भी श्रेय दिया जाता है। बीएसई की स्थापना का श्रेय कॉटन किंग या बिग बुल प्रेमचंद रॉयचंद को दिया जाता है। प्रेमचंद को खास मेमोरी या याददाश्त के लिए जाना जाता था।

History of BSE

बीएसई का इतिहास कितना जानते हैं आप

मुख्य बातें
  • बीएसई को हो गए 148 साल
  • 9 जुलाई 1875 को रखी गई थी बुनियाद
  • आज लिस्टेड कंपिनयों की मार्केट वैल्यू है 300 लाख करोड़
History of BSE: 9 जुलाई 1875 को बॉम्ब स्टॉक एक्सचेंज (BSE) की बुनियाद रखी गई थी। आज बीएसई को शुरू हुए 148 साल हो गए हैं। बीएसई को एशिया का पहला स्टॉक एक्सचेंज होने का भी श्रेय दिया जाता है। बीएसई की स्थापना का श्रेय कॉटन किंग या बिग बुल प्रेमचंद रॉयचंद (Premchand Roychand) को दिया जाता है। बीएसई का इतिहास 1855 तक जाता है, जब 22 स्टॉक ब्रोकर टाउन हॉल के पास एक बरगद के पेड़ के नीचे इकट्ठे हुए। अगले 10 वर्षों में, जैसे-जैसे ब्रोकरों की संख्या बढ़ी, वे दलाल टाउन हॉल से मीडोज स्ट्रीट की तरफ शिफ्ट हो गए।
इसके बाद बीएसई कैसे डेवलप हुआ, आगे जानिए पूरी दिलचस्प कहानी।

1875 में ऐसे रखी बीएसई की बुनियाद

ब्रोकरों की बढ़ती संख्या को एडजस्ट करने के लिए एक से दूसरी जगह पर शिफ्ट होने के बाद, इस ग्रुप ने आखिकार 1874 में दलाल स्ट्रीट में एक स्थायी जगह से काम करना शुरू कर दिया। अगले साल 9 जुलाई 1875 को, ब्रोकर्स ने 'द नेटिव शेयर एंड स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन (The Native Share & Stock Brokers Association) नाम से एक संगठन बनाया।

प्रेमचंद का दिमाग का बहुत तेज

प्रेमचंद को खास मेमोरी या याददाश्त के लिए जाना जाता था और उन्होंने कभी पेन और कागज का इस्तेमाल नहीं किया। उन्होंने अपने सभी ट्रेड्स को लिखने के बजाय उन्हें याद कर लिया। उन्होंने पहले ही 1858 तक लगभग 1 लाख रुपये जोड़ लिए थे।

1861 में आया नया मोड़

1861 में अमेरिकी गृहयुद्ध के बाद कुछ वर्षों तक भारत कपास बिजनेस के लिए हॉटस्पॉट बना रहा, जिसका फायदा उठाकर प्रेमचंद ने और अधिक पैसा कमाया। प्रेमचंद रॉयचंद को उस समय भारी मुनाफा हुआ, लेकिन गृह युद्ध खत्म होने और 1865 में कपास की तेजी खत्म होने के बाद उन्हें वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा।

फिर से की वापसी और दान किया पैसा

हालाँकि प्रेमचंद ने वापसी की और संपत्ति बनाई। बाद में उन्होंने परोपकारी कामों में हिस्सा लिया, जिसमें बॉम्बे विश्वविद्यालय में राजाबाई क्लॉक टॉवर की फाइनेंसिंग, लड़कियों की शिक्षा में निवेश और एक अवॉर्ड स्कॉलरशिप की फाइनेंसिंग शामिल है।

आज कितना बड़ा है बीएसई

बीएसई समय के साथ लगातार ग्रोथ करता रहा। आज बीएसई पर 3500 से अधिक छोटी-बड़ी कंपनियां लिस्टेड हैं और इन कंपनियों की कुल मार्केट कैपिटल करीब 300 लाख करोड़ है।
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काशिद हुसैन author

काशिद हुसैन अप्रैल 2023 से Timesnowhindi.Com (टाइम्स नाउ नवभारत) के साथ काम कर रहे हैं। यहां पर वे सीनियर कॉरेस्पोंडेंट हैं। टाइम्स नाउ नवभारत की ब...और देखें

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