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Homestay : होम स्टे का करते हैं बिजनेस तो देना होगा ज्यादा टैक्स, बजट में बदल गए नियम

Homestay Tax Liability: इनकम टैक्स प्रावधानों में बदलाव से उन लोगों की टैक्स देनदारी बढ़ सकती है जो अपनी संपत्ति को होमस्टे के रूप में किराए पर देते हैं। नए प्रावधान में यह अनिवार्य किया गया है कि होमस्टे से होने वाली आय को हाउस प्रॉपर्टी के रूप में घोषित किया जाना चाहिए।

Homestay : होम स्टे का करते हैं बिजनेस तो देना होगा ज्यादा टैक्स, बजट में बदल गए नियमHomestay : होम स्टे का करते हैं बिजनेस तो देना होगा ज्यादा टैक्स, बजट में बदल गए नियमHomestay : होम स्टे का करते हैं बिजनेस तो देना होगा ज्यादा टैक्स, बजट में बदल गए नियम

Homestay Tax Liability:अपने घर के एक हिस्से को होम स्टे (Homestay) के लिए देने वाले लोगों के लिए अहम खबर है। अब उन्हें ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ सकता है। बजट 2024 के नए प्रावधान के अनुसार, होमस्टे से होने वाली आय को हाउस प्रॉपर्टी के रूप में घोषित करना होगा। यानी अब होम स्टे से हुई कमाई को व्यावसायिक आय के रूप में घोषित नहीं किया जा सकता है। जैसा कि अभी तक होम स्टे मालिक करते रहे हैं। नए प्रावधान के बाद एक अप्रैल 2025 से होम स्टे मालिक सफाई और आवास जैसी सेवाओं पर कटौती का दावा नहीं कर पाएंगे।

क्या है नियम

इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार इनकम टैक्स प्रावधानों में बदलाव से उन लोगों की टैक्स देनदारी बढ़ सकती है जो अपनी संपत्ति को होमस्टे के रूप में किराए पर देते हैं। नए प्रावधान में यह अनिवार्य किया गया है कि होमस्टे से होने वाली आय को हाउस प्रॉपर्टी के रूप में घोषित किया जाना चाहिए। न कि व्यावसायिक आय के रूप में, एक्सपर्ट का कहना है कि इस कदम से उन लोगों पर टैक्स देनदारी बढ़ जाएगी, जो एयरबीएनबी जैसी कंपनियों को अपना घर किराए पर दे रहे थे। टैक्स कनेक्ट एडवाइजरी के पार्टनर विवेक जालान ने ईटी को बताया कि इस कदम से होम स्टे मालिक केवल कुछ कटौतियों का लाभ उठा पाएंगे, जैसे मानक कटौती, भुगतान किए गए करों की कटौती। लेकिन कारोबार के लिए सभी खर्चों पर मिलने वाली कटौती का फायदा नहीं उठा पाएंगे।

ऐसे होगा नुकसान

उदाहरण के लिए, कुछ घर के मालिक सफाई और आवास जैसी सेवाओं पर कटौती का दावा कर रहे थे। अब वे इनका दावा नहीं कर पाएंगे। इन कटौतियों के अभाव में,टैक्स देनदारी 30-40% तक बढ़ सकती है। इसके अलावा सरकार ने 50 लाख रुपये या उससे अधिक मूल्य की अचल संपत्ति की बिक्री पर 1 फीसदी का टीडीएस भी लागू किया है। भले ही लेनदेन में कई खरीदार और विक्रेता शामिल हों। सरकार का सोच है कि इस कदम का उद्देश्य उस खामी को दूर करना है जिसका इस्तेमाल घर के मालिक अपनी कर देनदारी कम करने के लिए करते हैं।

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