इंश्योरेंस क्लेम के लिए मरीज का भर्ती होना नहीं है जरूरी, कंज्यूमर फोरम का फैसला

अगर मरीज को भर्ती नहीं किया जाता है, या नई तकनीकों के कारण भर्ती होने के बाद कम समय में इलाज किया जाता है, तो बीमा कंपनी यह कहकर दावा खारिज नहीं कर सकती है कि मरीज को भर्ती नहीं किया गया था।

Medical Claim

Medical Claim terms: घटना वडोदरा में रमेशचंद्र जोशी नाम के शख्स के साथ हुई।

Medical Claim terms: आपने सुना ही होगा कि इंश्योरेंस का क्लेम तभी मिलता है जब आप हॉस्पिटल में 24 घंटे के लिए भर्ती हों। यदि आप ओपीडी से आ जाते हैं तो इस स्थिति में इंश्योरेंस कंपनी क्लेम नहीं देती है। पर हाल ही में उपभोक्ता फोरम ने जो फैसला सुनाया है उसमें क्लेम के लिए ये सब जरूरी नहीं है। ये घटना वडोदरा में रमेशचंद्र जोशी नाम के शख्स के साथ हुई।

कम समय में इलाज हुआ फिर भी मिला क्लेम

वडोदरा शहर उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने पाया कि नई टेक्नोलॉजी के आने से मरीजों का इलाज कम समय में या अस्पताल में भर्ती हुए बिना किया जा सकता है। फोरम ने कहा, 'अगर मरीज को भर्ती नहीं किया जाता है, या नई तकनीकों के कारण भर्ती होने के बाद कम समय में इलाज किया जाता है, तो बीमा कंपनी यह कहकर दावा खारिज नहीं कर सकती है कि मरीज को भर्ती नहीं किया गया था।

क्या है पूरा मामला

जोशी ने नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेडके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। अगस्त 2017 में फर्म ने उनके दावे को खारिज कर दिया था। जोशी की पत्नी को 2016 में डर्मेटोमायोसाइटिस हुआ था और उन्हें अहमदाबाद के लाइफकेयर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस एंड रिसर्च सेंटर में भर्ती कराया गया था। अगले दिन इलाज के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। जोशी ने 44,468 रुपये के बीमा दावे के लिए दायर किया, लेकिन फर्म ने सेगमेंट 3.15 का हवाला देते हुए इसे खारिज कर दिया और तर्क दिया कि उन्हें पॉलिसी में क्लॉज के अनुसार लगातार 24 घंटे तक भर्ती नहीं किया गया था।

केस लड़ने में हुआ खर्च भी मिला

उन्होंने उपभोक्ता फोरम को सभी डॉक्यूमेंट दिखाए और कहा कि उनकी पत्नी को 24 नवंबर, 2016 को शाम 5.38 बजे भर्ती कराया गया और 25 नवंबर, 2016 को शाम 6.30 बजे छुट्टी दे दी गई, जो 24 घंटे से अधिक थी। फोरम ने कहा कि भले ही यह मान लिया जाए कि मरीज को 24 घंटे से कम समय के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था पर आज आधुनिक युग में नए उपचार और दवाएं विकसित की गई हैं और डॉक्टर उसी के अनुसार इलाज करते हैं। बीमाकर्ता को मानसिक उत्पीड़न के लिए जोशी को 3,000 रुपये और मुकदमेबाजी के खर्च के लिए 2,000 रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया गया था।

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आशीष कुशवाहा author

आशीष कुमार कुशवाहा Timesnowhindi.com में बतौर सीनियर कॉपी एडिटर काम कर रहे हैं। वह 2023 से Timesnowhindi.com के साथ जुड़े हैं। वह यहां शेयर बाजार, ...और देखें

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