इस शख्स ने बनाया 15 लाख करोड़ का HDFC,फिर भी नही हैं दूसरों जैसे दौलतमंद, जानें क्यों
HDFC-HDFC Bank Merger And Role Of Deepak Parekh: अचरज की बात यह है कि करीब 15 लाख करोड़ की कंपनी बन चुके HDFC बैंक का मालिकाना हक किसी कॉरपोरेट घराने के पास नही है। और उसको इस मुकाम पर पहुंचाने वाले दीपक पारेख के पास किसी छोटे-मोटे स्टार्ट अप के ओनर जैसी भी दौलत नहीं है।
एचडीएफसी बना दुनिया का चौथा सबसे बड़ा बैंक
HDFC-HDFC Bank Merger And Role Of Deepak Parekh: एक जुलाई से देश की सबसे पुरानी हाउसिंग फाइनेंस कंपनी (HDFC) का HDFC बैंक में विलय हो गया है। इस मर्जर को भारतीय कॉरपोरेट जगत के सबसे बड़े मर्जर के रूप में देखा जा रहा है। दोनों को विलय के बाद नए कलेवर में आया HDFC बैंक दुनिया का चौथे सबसे बड़ा बैंक और भारत की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी बन गया है। मार्केट कैप के आधार पर HDFC बैंक की मार्केट कैप 14.92 लाख करोड़ रुपये (3 जुलाई) हो गई है। इससे आगे केवल रिलायंस ग्रुप है, जिसकी मार्केट 17.69 लाख करोड़ रुपये है। वहीं HDFC के बाद तीसरे नंबर पर 11.98 लाख करोड़ रुपये के साथ TCS काबिज है।
चाहे रिलायंस हो या फिर टीसीएस उसका मालिकाना हक अंबानी और टाटा घराने के पास है। लेकिन अचरज की बात यह है कि करीब 15 लाख करोड़ की कंपनी बन चुके HDFC बैंक का मालिकाना हक किसी कॉरपोरेट घराने के पास नही है। और उसको इस मुकाम पर पहुंचाने वाले दीपक पारेख के पास किसी छोटे-मोटे स्टार्ट अप के ओनर जैसी भी दौलत नहीं है। सवाल उठता है कि ऐसा क्यों, तो इसे समझने के लिए उनके एक पुराने इंटरव्यू का उल्लेख करना होगा।
पैसे को लेकर ही थी बड़ी बात
असल में दीपक पारेख ने कुछ वर्षों पहले एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके पास HDFC की केवल 0.4 फीसदी हिस्सेदारी है। वह भी यह हिस्सेदारी उन्हें एक कर्मचारी के रूप में मिले ESOP के जरिए मिली थी। उन्होंने पैसे को लेकर उस वक्त कहा था ' आप इस पैसे को लेकर क्या करोगे, इसके जरिए दूसरे बिजनेस का अधिग्रहण करोगे? आप दिन भर में दो वक्त का खाना खाते हो। जब आपका समय आएगा तो चले जाओगे। आपके पास केवल अपने बच्चों को शिक्षा देने के लिए पर्याप्त पैसे होने चाहिए । '
भारतीय कॉरपोरेट घरानों जैसी सोच नहीं
पारेख ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वह सैलरी माइंडसेट वाले बिजनेसमैन हैं। असल में जब साल 1977 में ICICI BANK के पूर्व चेयरमैन एच.टी (H T Parekh) ने हाउसिंग फाइनेंस कंपनी HDFC की नींव रखी थी। तो उसे आगे बढ़ाने के लिए उन्होंने भतीजे पारखे को जब चुना, तो वह MNC में काम कर रहे थे। सी.ए क्वॉलिफाइड थे और उनके आगे कॉरपोरेट जगत में सुनहरा भविष्य था।
ऐसे मे 33 साल के भतीजे दीपक पारेख के लिए छोटी सी फाइनेंस कंपनी से जुड़ने का फैसला उनके साहस और चाचा के भतीजे पर मौजूद भरोसे को दिखाता है। दीपक पारेख पर किए गए उस भरोसे का ही नतीजा है कि आज हाउसिंग फाइनेंस कंपनी HDFC, 5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा मार्केट कैप वाली कंपनी बन चुकी है। और देश को प्राइवेट सेक्टर क्षेत्र में HDFC बैंक मिला है। और जब 78 साल की उम्र में वह रिटायर हुए हैं, तो एक सफल बिजनेसमैन के रूप में विदाई की है और अपने पीछे HDFC की समृद्ध विरासत को छोड़ा जिसकी कमान किसी परिवार के व्यक्ति के पास नहीं है।
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प्रशांत श्रीवास्तव author
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