Gold Price: आखिर इतना महंगा कैसे हुआ सोना, क्या आम इंसान से हो जाएगा दूर? ये है असली की पहचान, डिटेल में जानिए सबकुछ
Gold Price: सोना 1 लाख के पार पहुंच गया है। सोने की कीमत अभी और कितनी बढ़ने वाली है? सोना आखिर इतना कीमती हुआ कैसे, सोने की वो हिस्ट्री जो आपने नहीं सुनी होगी, 18 कैरेट, 20 कैरेट, 22 कैरेट कैसे तय होता है सोने का कैरेट और क्या है असली की पहचान? यहां सब कुछ जानिए।

जानिए क्यों महंगा हो रहा है सोना
Gold Price: भारत वो देश है जिसे कभी सोने की चिड़िया कहा जाता था। आज भी भारत में सोने को सबसे बड़ा धन माना जाता है। महिलाएं सोने का मंगलसूत्र पहनती हैं। हर पर्व या त्योहार में सोने के गहने पहने जाते हैं। और सोने को स्टेटस सिंबल माना जाता है। लेकिन जिस तेजी से सोना अपनी हैसियत बढ़ा रहा है, जिस तेजी से सोने के दाम बढ़ रहे हैं। उससे लग रहा है कि आने वाले वक्त में सोना आम इंसान की पहुंच से बहुत दूर पहुंच जाएगा। क्योंकि आज की तारीख में अगर किसी को सोना खरीदना है तो 10 ग्राम सोने के लिए 1 लाख रुपये से ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी।
- एक ही दिन में सोने की कीमत में 3 हजार रुपये से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है।
- पिछले 112 दिनों में सोने की कीमत में करीब 24 हजार रुपये का उछाल आ चुका है।
- और इस साल सोने की कीमत में अब तक 30 प्रतिशत से ज्यादा की बढ़ोतरी हो चुकी है।
सोना इतना सोना क्यों होने लगा है। ऐसा क्या हो रहा है जो सोने की कीमत रॉकेट बन गई है और आसमान छूने को बेताब है। 18 कैरेट, 20 कैरेट, 22 कैरेट सोने का कैरेट कैसे तय होता है और क्या है असली सोने की पहचान, इसकी एक एक डिटेल यहां जानिए।
अब सबसे सवाल उठता है कि आखिर सोने की कीमत आखिर रॉकेट क्यों बनी हुई है। इसकी सबसे बड़ी वजह अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के टैरिफ वॉर को माना जा रहा है। क्योंकि ट्रंप के टैरिफ वॉर की वजह से अमेरिका और चीन के बीच तनाव लगातार बढ़ रहा है। जिसकी वजह से दुनिया भर में ट्रेड वॉर का खतरा मंडरा रहा है। इससे इकोनॉमी के बढ़ने की रफ्तार धीमी हो सकती है। ग्लोबल मंदी की आशंका भी बढ़ गई है। ऐसे में लोग सोने में निवेश बढ़ा रहे हैं।
इसके अलावा ट्रंप और अमेरिका के सेंट्रल बैंक फेडरल रिजर्व में चल रही तनातनी का भी सोने की कीमत पर असर पड़ा है। क्योंकि ट्रंप लगातार फेडरल रिजर्व पर ब्याज दरों को कम करने का दबाव बना रहे हैं। और उन्होंने फेडरल रिजर्व के चेयरमैन को हटाने की धमकी दी है। ट्रंप और अमेरिका के सेंट्रल बैंक में टकराव की वजह से डॉलर में भी लगातार गिरावट आ रही है। डॉलर कमजोर होने की वजह से दुनियाभर में सोने में निवेश बढ़ा है।
इसके अलावा पिछले 3 साल से चल रहे रूस यूक्रेन युद्ध और इजराइल और फिलिस्तीन के बीच जारी संघर्ष, ईरान और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव जैसी घटनाओं ने दुनियाभर में अनिश्चितता और ज्यादा बढ़ा दी है। जिसकी वजह से सोने में निवेश बढ़ा है। सोने की कीमत में अचानक आई उछाल की वजह से भी दुनियाभर में सोने की खरीदारी बढ़ी है।
और भारत में तो शादियों का सीजन शुरू होने की वजह से गोल्ड की डिमांड और भी ज्यादा बढ़ गई है। जिसका असर आने वाले दिनों में भी सोने की कीमत पर दिख सकता है। इसीलिए लोग सोने की बढ़ती कीमत से परेशान नजर आ रहे हैं। उन्हें लगने लगा है कि अगर दाम इसी तरह बढ़ते रहे तो सोना उनकी पहुंच से दूर हो जाएगा।
सोने के कारोबार से जुड़े लोगों का मानना है कि सोने की कीमत में आई तेजी फिलहाल थमने वाली नहीं है। मुंबई ज्वैलर्स एसोसिएशन के वाइस प्रेसिडेंट का कहना है कि अगर यही हाल रहा तो इस साल के आखिरी तक सोने की कीमत 2 लाख तक भी पहुंच सकती है। मुंबई ज्वैलर्स एसोसिएशन के कुमार जैन ने कहा कि अभी फिलहाल तेजी है फिलहाल अच्छी तेजी रहेगी और ये तेजी बरकरार रहेगी रोज का हजार-हजार डॉलर बढ़ रहा है।
सवाल- इस साल के आखिर तक आप कहां तक देखते हैं भाव को आगे बढ़ते हुए?
मुंबई ज्वैलर्स एसोसिएशन के कुमार जैन ने कहा कि मैं सोने को करीब 2 लाख के करीब देख रहा हूं।
सवाल- तो अभी ग्राहकों के लिए ये सही समय है या फिर अभी और रुकना चाहिए इंतजार करना चाहिए?
मुंबई ज्वैलर्स एसोसिएशन के कुमार जैन ने कहा कि ये बिल्कुल सही समय है सोना खरीदने का। 100 परसेंट कोई भी टैरिफ वॉर होवे, चीन की खरीदारी हो या फेड इंटरेस्ट का बढ़ना होवे घटना होवे या सेंट्रल बैंक की खरीदारी होवे कोई भी कारण से सोना इस समय लेना चाहिए आपको।
सोना जिस तेजी से महंगा हो रहा है, इसमें मिलावट की आशंका भी उसी तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में सोना खरीदने से पहले उसके असली होने की पहचान होना जरूरी है। सोने की शुद्धता की जांच कैरेट के हिसाब से होती है। सोने के गहने बनाने में ज्यादातर 22 कैरेट गोल्ड का इस्तेमाल होता है। हालांकि कुछ लोग 18 कैरेट गोल्ड के भी गहने बनवाते हैं। ऐसे में से समझना भी जरूरी है कि ये कैरेट आखिर क्या होता है।
जैसे अगर कोई ज्वेलरी 24 कैरेट गोल्ड की बनी है, तो इसका मतलब होता है कि इसमें सोने की शुद्धता 99.9 परसेंट है। इसी तरह अगर कोई ज्वेलरी 22 कैरेट गोल्ड की बनी है, तो इसका मतलब है कि इसमें इस्तेमाल सोने की शुद्धता 91.6 परसेंट है।
और 18 कैरेट गोल्ड का मतलब इससे बनी ज्वेलरी में सोने की शुद्धता 75 परसेंट होगी।
लखटकिया सोने से बने गहने या दूसरा सामान खरीद रहे हैं तो ठगे जाने से बचने के लिए क्या करें
- सबसे पहले ज्वेलरी पर बना हॉलमार्क जरूर देखें, क्योंकि ये हॉलमार्क साइन सोने की शुद्धता की गारंटी होता है।
- BIS Care App के जरिए आप अपनी ज्वेलरी की क्वॉलिटी की डिटेल जान सकते हैं
- इसके लिए आपको अपने मोबाइल फोन पर BIS Care App डाउनलोड करना होगा।
- इसके बाद ज्वेलरी पर मौजूद 6 अंकों का हॉलमार्क नंबर डालना होगा।
- इतना करने पर ज्वेलरी से जुड़ी पूरी जानकारी आपको मोबाइल फोन पर आ जाएगी।
सोने की बढ़ती कीमत भारत में आम लोगों के लिए बड़ी चुनौती बन गई है। क्योंकि सोना हमारी संस्कृति में शामिल है। अमीर हो या गरीब शादी से लेकर हर तरह की रस्म में बिना सोने के अधूरी मानी जाती है। अक्षय तृतीया हो या धनतेरस या फिर कोई और त्योहार सोना खरीदना शुभ माना जाता है। और भारत में सोने की कितनी खरीदारी होती है। इसके लिए आपको भारत में सोने की खरीदारी के आंकड़े बताता हूं। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक
- भारत में लोगों ने साल 2024 में 800 टन से ज्यादा सोना खरीदा।
- जो साल 2023 के मुकाबले करीब 40 टन ज्यादा था। 2023 में भारतीयों ने कुल 761 टन सोना खरीदा था।
- आंकड़ों के मुताबिक भारत में 2023 की तुलना में 2024 में सोने की खरीदारी में 31 प्रतिशत का उछाल आया।
- 2024 में भारतीयों ने 5 लाख 15 हजार 390 करोड़ का सोना खरीदा, जबकि साल 2023 में भारत में सोना खरीदने में लोगों ने 3 लाख 92 हजार करोड़ रुपये खर्च किये।
भारत में सोने की इस रिकॉर्डतोड़ खरीदारी ने क्या कमाल दिखाया है। इसके बारे में भी जान लीजिये। HSBC ग्लोबल की रिपोर्ट के मुताबिक
- दिसंबर 2024 तक के भारतीय घरों में 25 हजार टन से ज्यादा जमा हो चुका है।
- जो कि अमेरिका के सेंट्रल बैंक में रखे सोने से 3 गुना से ज्यादा है। रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी सेंट्रल बैंक में दिसंबर 2024 तक 8 हजार 133 टन सोने का रिजर्व मौजूद है। जो पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा है।
- जबकि दूसरे नंबर पर जर्मनी का सेंट्रल बैंक है। जहां करीब 33 सौ टन सोने का रिजर्व मौजूद है।
- और अगर भारत के सेंट्रल बैंक यानी RBI की बात करें तो, दिसंबर 2024 तक RBI में करीब 876 टन सोना जमा है।
अब ये भी देख लीजिये की दुनिया में कौन से देश सबसे ज्यादा सोना कंज्यूम करते हैं, यानी सोने की खरीदारी करते हैं। वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की साल 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक इस लिस्ट में भारत टॉप पर है।
- पिछले कुछ सालों का औसत निकालें तो भारत में हर साल करीब 563 टन सोने की खपत होती है।
- इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर चीन है जहां हर साल करीब 511 टन सोना खरीदा जाता है।
- तीसरे नंबर पर अमेरिका है जहां हर साल करीब 132 टन सोने की खपत होती है।
- वहीं रूस में हर साल करीब 41 टन सोने की खरीदारी होती है।
भारत में लोग सोने की जमकर खरीदारी क्यों करते हैं। सोने को यहां इन्वेस्टमेंट के लिए क्यों सबसे ज्यादा भरोसेमंद माना जाता है। इसे भारत में आजादी के बाद से सोने की कीमत में आई उछाल के जरिए आसानी से समझा जा सकता है।
- साल 1947 में देश की आजादी के वक्त 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 88 रुपये 62 पैसे थी।
- और आज 10 ग्राम 24 कैरेट सोने की कीमत 1 लाख के पार पहुंच चुकी है।
- यानी आजादी के बाद से अब तक सोना करीब 1130 गुना महंगा हो गया है।
- अमेरिका की नेवादा गोल्ड माइन्स को दुनिया में सोने की सबसे बड़ी खदान है। इस खदान से हर साल करीब 103 टन सोने का प्रोडक्शन होता है।
- दूसरे नंबर पर उज्बेकिस्तान की सोने के खदान 'ग्लोबल मुरुंतौ' है। इस खदान से हर साल करीब 93 टन सोना निकाला जाता है।
- इसके बाद लिस्ट में रूस की 'ओलंपियाडा' खदान का नाम आता है। जहां हर साल करीब 62 टन सोने का प्रोडक्शन होता है।
- सोने के प्रोडक्शन में इसके बाद इंडोनेशिया की ग्रासबर्ग खदान का नंबर है। इस खदान में हर साल करीब 56 सोने का प्रोडक्शन होता है।
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल की रिपोर्ट के मुताबिक सोने के प्रोडक्शन की जबसे शुरुआत हुई। उसके बाद से अब तक दुनिया की अलग अलग खदानों से करीब 2 लाख टन सोना निकाला जा चुका है। भारत में सोने की खदानों की बात करें तो
- भारत में सोने का सबसे ज्यादा प्रोडक्शन कर्नाटक में होता है। कर्नाटक की कोलार, हट्टी और उटी की खदानों से सोना निकाला जाता है।
- इसके अलावा आंध्र प्रदेश में जोनागिरि गोल्ड माइंस और झारखंड में हीराबुद्दीनी और केंदरुकोचा की खदानों से भी सोना निकाला जाता है।
- हालांकि भारत में सोने की हर साल होने वाली सोने की औसत 563 टन खपत की तुलना में सिर्फ 1.6 टन सोने का प्रोडक्शन होता है।
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