Donald Trump Tariff: ऑटो सेक्टर की बल्ले-बल्ले, फार्मा कंपनियों पर टूटेगा कहर, अमेरिका का ट्रंप टैरिफ कितना मचाएगा हड़कंप!

USA Tariff Impact On Indian Pharma Auto Sector: अमेरिका द्वारा भारतीय दवा उद्योग पर आयात शुल्क बढ़ाने का सीधा असर फार्मा कंपनियों पर पड़ेगा, जिससे उनकी उत्पादन लागत बढ़ सकती है। हालांकि, ऑटो सेक्टर को इस फैसले से ज्यादा नुकसान नहीं होगा, क्योंकि अमेरिका भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग के लिए एक छोटा निर्यात बाजार है।

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मेरिकी शुल्क का भारतीय फार्मा पर बड़ा असर, ऑटो सेक्टर को राहत!

Donald Trump Tariff War: अमेरिका द्वारा भारतीय फार्मा उत्पादों के आयात पर शुल्क बढ़ाने का सीधा असर भारतीय दवा उद्योग पर पड़ सकता है, जबकि वाहन क्षेत्र को इससे ज्यादा नुकसान होने की संभावना नहीं है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह फैसला भारतीय फार्मा कंपनियों की प्रतिस्पर्धा क्षमता को प्रभावित करेगा और उनकी लागत बढ़ाएगा। अमेरिका में भारतीय दवाओं के आयात पर शुल्क बढ़ने से भारतीय दवा निर्माताओं की लागत में बढ़ोतरी होगी, जिससे वैश्विक बाजार में उनकी प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता कम हो सकती है। भारतीय फार्मा उद्योग का एक तिहाई निर्यात अमेरिका में होता है, और यहां की दवा आपूर्ति का एक बड़ा हिस्सा भारतीय कंपनियों से आता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि यदि अमेरिका इस सेक्टर पर ज्यादा शुल्क लगाता है, तो यह भारतीय दवा उद्योग को गंभीर रूप से प्रभावित करेगा। भारतीय दवा कंपनियों की जेनेरिक दवाएं अमेरिका में स्वास्थ्य सेवाओं की लागत को कम करने में अहम भूमिका निभाती हैं, लेकिन नए शुल्क से यह संतुलन बिगड़ सकता है।

छोटी फार्मा कंपनियों पर मंडराएगा संकट

कम मार्जिन पर काम करने वाली छोटी दवा कंपनियों पर इस फैसले का सबसे ज्यादा दबाव पड़ सकता है। यह कंपनियां या तो दूसरी कंपनियों के साथ विलय करने के लिए मजबूर हो सकती हैं या फिर अपना कारोबार बंद कर सकती हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि 2022 में अमेरिका में इस्तेमाल की जाने वाली 40% दवाएं भारतीय कंपनियों द्वारा निर्मित थीं, जिससे वहां की स्वास्थ्य सेवाओं को अरबों डॉलर की बचत हुई थी। आगामी वर्षों में भी भारतीय दवा उद्योग से अमेरिका को बड़े पैमाने पर बचत की उम्मीद थी, लेकिन शुल्क बढ़ने से यह समीकरण बदल सकता है।

वाहन क्षेत्र पर असर मामूली

वाहन उद्योग पर इस अमेरिकी फैसले का ज्यादा असर नहीं होगा, क्योंकि अमेरिका भारतीय मोटर वाहन उद्योग के लिए एक छोटा निर्यात बाजार है। इंडसलॉ के विशेषज्ञ शशि मैथ्यूज के अनुसार, भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर पर इसका कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा, हालांकि ऑटो पार्ट्स के निर्यात पर हल्का असर पड़ सकता है।

अमेरिका ने इस फैसले को इसलिए लिया है क्योंकि वह भारत को "उच्च-शुल्क लगाने वाला देश" मानता है। भारत, अमेरिकी दवाओं पर करीब 10% आयात शुल्क लगाता है, जबकि अमेरिका अब तक भारतीय दवाओं पर कोई आयात शुल्क नहीं लगा रहा था।

स्वास्थ्य सेवाओं पर असर डाल सकता है अमेरिकी फैसला

विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका द्वारा भारतीय दवाओं पर शुल्क बढ़ाने का उल्टा असर अमेरिकी उपभोक्ताओं पर भी पड़ेगा। इससे वहां की स्वास्थ्य सेवाओं की लागत बढ़ सकती है, जिससे मरीजों पर आर्थिक बोझ पड़ेगा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच सीमित हो सकती है।

वाहन उद्योग को लेकर भारत सरकार फिलहाल अपने मौजूदा शुल्क ढांचे में किसी बड़े बदलाव की संभावना नहीं देख रही है। विशेषज्ञों के मुताबिक, भारतीय वाहन उद्योग पहले से ही कई संरक्षित नीतियों के तहत काम कर रहा है, जिससे अमेरिकी आयात शुल्क का इस क्षेत्र पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा। अमेरिका के इस फैसले से सबसे अधिक नुकसान भारतीय फार्मा उद्योग को होने की संभावना है, जबकि वाहन क्षेत्र पर इसका मामूली प्रभाव रहेगा। यदि अमेरिका भारतीय दवाओं पर ऊंचे शुल्क लगाता है, तो यह भारतीय कंपनियों के लिए एक बड़ी चुनौती होगी और इसका असर दोनों देशों की स्वास्थ्य सेवाओं पर भी पड़ सकता है।

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आशीष कुशवाहा author

आशीष कुमार कुशवाहा Timesnowhindi.com में बतौर सीनियर कॉपी एडिटर काम कर रहे हैं। वह 2023 से Timesnowhindi.com के साथ जुड़े हैं। वह यहां शेयर बाजार, ...और देखें

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