पेट्रोल नहीं प्याज से क्यों डरती हैं सरकारें ! चुनावी फसल बिगाड़ देती है राजनीति

Onion Price And Indian Politics: प्याज को भारतीय राजनीति का चुनावी फसल भी कहा जाता है। क्योंकि इंदिरा गांधी से लेकर सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित के दौर में प्याज ने कई सरकारें गिरा दीं। अब फिर से चुनाव दहलीज पर हैं। बढ़ती कीमतों को देखते हुए बीते 19 अगस्त को सरकार ने प्याज के निर्यात पर 40 फीसदी की एक्सपोर्ट ड्यूटी लगा दी है।

प्याज की कीमत और चुनावी राजनीति

Onion Price And Indian Politics: जिस तरह प्याज के छिलके उतराने से आंसू निकलते हैं, उसी तरह प्याज की कीमतें बढ़ने से भारतीय राजनेताओं के आंसू निकलने लगते हैं। वह भी अगर कीमतें बढ़ने का दौर चुनावी साल में हो तो यह आंसू कुछ और ही तेज हो जाते हैं। शायद इसीलिए प्याज को भारतीय राजनीति का चुनावी फसल भी कहा जाता है। क्योंकि इंदिरा गांधी से लेकर सुषमा स्वराज और शीला दीक्षित के दौर में प्याज ने कई सरकारें गिरा दीं। अब फिर से चुनाव दहलीज पर हैं। और अगले एक साल में मध्य प्रदेश, छत्तीगढ़, राजस्थान, तेलंगाना आदि में जहां विधानसभा चुनाव हैं, वहीं लोकसभा चुनाव भी होने हैं। ऐसे में प्याज आम लोगों की जेब कमजोर करने के साथ बड़ा चुनावी मुद्दा भी बन सकता है। पिछले एक-दो हफ्ते में प्याज की कीमतों में प्रति किलोग्राम 10-15 रुपया इजाफा हो चुका है। और मंडियों की स्थिति को देखते हुए ऐसी आशंका है कि कीमतें सितंबर डबल हो सकती है। अगर ऐसा होता है तो ऊंची कीमतें लंबे समय तक खिंच सकती है। ऐसे में कौन सी सरकार चुनावी फसल का झटका झेलना चाहेगी..
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बढ़ती कीमतों को देखते हुए बीते 19 अगस्त को सरकार ने प्याज के निर्यात पर 40 फीसदी की एक्सपोर्ट ड्यूटी लगा दी है। सरकार के इस कदम से भारतीय किसानों के लिए निर्यात महंगा हो जाएगा। ऐसे में घरेलू बाजार में सप्लाई बढ़ेगी और कीमतों पर कंट्रोल हो सकेगा। निर्यात शुल्क 31 दिसंबर 2023 तक के लिए लगाया गया है।
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