कभी मुगल करते थे दिल्ली पर राज,अब पंजाबी-सिंधी शरणार्थियों की धाक,इस हुनर ने बनाया सुल्तान

76th Independence Day, History Of Delhi After Partition: बंटवारे से पहले दिल्ली में मुख्य रूप से मुस्लिम, राजपूत और बनियों का बोलबाला था। और उस वक्त की दिल्ली पुरानी दिल्ली और लुटियन दिल्ली तक सिमटी हुई थी। लेकिन आजादी के बाद जिस तरह भारत और पाकिस्तान के लोगों ने विभाजन की त्रासदी झेली, उसने दिल्ली में कई ऐसे इलाके विकसित कर दिए जो आज उसके सबसे महंगे इलाके बन गए।

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बंटवारे ने बदल दी दिल्ली

76th Independence Day, History Of Delhi After Partition: दिल्ली सात बार उजड़ी और सात बार बसी, लेकिन आज की दिल्ली पर जो ऐतिहासिक छाप दिखती है, उसमें सबसे ज्यादा असर मुगलों का है। चाहे लाल किला, पुराना किला हो या फिर जामा मस्जिद, हुमायूं का मकबरा और चांदनी चौक, यह सब जगहें उसी दौर की कहनी बयां करती हैं। लेकिन आज की दिल्ली जो हम देखते हुए, वह मुगलों की बसाई नहीं है। बल्कि उन शरणार्थियों की है, जिन्होंने भारत-पाक के बंटवारे का दंश झेला है। ये शरणार्थी पाकिस्तान में अपना सब कुछ गंवाकर भारत में अपनी जान बचाकर आए थे। और उन्होंने अपनी लगन और हुनर से दिल्ली को एक नया अवतार दिया। इन शरणार्थियों के पसीनों का ही नतीजा है कि दिल्ली में के सबसे महंगे इलाके डेवलप हुए। जो आज खान मार्केट, लाजपत नगर, चितरंजन पार्क, मालवीय नगर, कालकाजी, ग्रेटर कैलाश के नाम से आज एक नई पहचान रखते हैं।

बंटवारे ने बदली पहचान

बंटवारे से पहले दिल्ली में मुख्य रूप से मुस्लिम, राजपूत और बनियों का बोलबाला था। और उस वक्त की दिल्ली पुरानी दिल्ली और लुटियन दिल्ली तक सिमटी हुई थी। लेकिन आजादी के बाद जिस तरह भारत और पाकिस्तान के लोगों ने विभाजन की त्रासदी झेली, उसने दिल्ली में कई ऐसे इलाके विकसित कर दिए जो आज उसके सबसे महंगे इलाके बन गए। पाकिस्तान से आए पंजाबी-सिंधी-मारवाड़ी जैसे बिजनेस क्लास ने इन इलाकों में शरण ली और उन्होंने अपनी मेहनत से दिल्ली में अपनी एक नई पहचान बनाई।

ऐसे बसे लाजपत नगर, खान मार्केट, मालवीय नगर

शरणार्थियों ने लाजपत नगर, खान मार्केट, चांदनी चौक जैसे इलाकों में शरण ली। इसमें खान मार्केट का तो नाम भी स्वंत्रता सेनानी और सीमांत गांधी के नाम सें फेमस खान अब्दुल गफ्फार खान के नाम पर पड़ा। पाकिस्तान के पेशावर, स्यालकोट और दूसरे इलाकों से आए पंजाबी यहां पर बसे। फकीर चंद एंड संस बुक स्टोर उनके सफलता की कहानी बयां करता है। खान मार्केट आज दिल्ली के सबसे महंगे इलाकों में से एक है।

इसी तरह चांदनी चौक में चेनाराम हलवाई की पीढ़ी आज भी कराची हलवा और मिठाई की मिठास बनाए हुए है। उस दौर में शरणार्थियों को आज के मालवीय नगर, कालकाजी जैसे इलाकों में छोटी इंडस्ट्री लगाने का मौका सरकार ने दिया। और यह इलाके डेवलप होते गए। चितरंजन पार्क का इलाका भी पूर्वी पाकिस्तान यानी बांग्लादेश से आए लोगों की शरण स्थली बना। और आज एक दिल्ली का प्रमुख इलाका है।

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