Yes Bank: यस बैंक के बिकने में आ रही अड़चन, हर बोलीदाता चाहता है 51% हिस्सेदारी, किसी डील पर नहीं बढ़ रही बात

Yes Bank: प्राइवेट सेक्टर के यस बैंक में हिस्सेदारी खरीद की प्रोसेस, बैंक में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने पर बोलीदाताओं के जोर देने की वजह से खतरे में पड़ सकती है। एक जानकार सूत्र ने बृहस्पतिवार को यह आशंका जताई।

Yes Bank Selling Deal

यस बैंक की बिक्री में अड़चन

मुख्य बातें
  • यस बैंक के बिकने में अड़चन
  • दुविधा में फंसता दिख रहा सौदा सौदे पर बातचीत आगे बढ़ती नहीं दिख रही
  • सौदे पर बातचीत आगे बढ़ती नहीं दिख रही

Yes Bank: प्राइवेट सेक्टर के यस बैंक में हिस्सेदारी खरीद की प्रोसेस, बैंक में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने पर बोलीदाताओं के जोर देने की वजह से खतरे में पड़ सकती है। एक जानकार सूत्र ने बृहस्पतिवार को यह आशंका जताई। यह पूछे जाने पर कि क्या चालू वित्त वर्ष के अंत तक यह सौदा पूरा हो जाएगा, सूत्र ने कहा कि सौदा दुविधा में फंसता दिख रहा है। घटनाक्रम से परिचित सूत्र ने कहा कि सभी बोलीदाताओं की तरफ से बैंक में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी लेने पर जोर दिए जाने की वजह से किसी भी सौदे पर बातचीत आगे बढ़ती नहीं दिख रही है।

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कौन-कौन है दावेदार

सूत्र के मुताबिक भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) इस बात से असहज है कि एक विदेशी संस्था के पास यस बैंक जैसी बड़ी वित्तीय संस्था में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी हो। जापान की एसएमबीसी और अमीरात एनबीडी के रूप में दो बोलीदाता मैदान में हैं।

यस बैंक में नियंत्रक हिस्सेदारी के लिए बोली लगाने वाले दोनों दावेदार सीधे आरबीआई से बात कर रहे हैं, लेकिन केंद्रीय बैंक इसका स्वामित्व नियंत्रण देने के लिए तैयार नहीं है।

अभी क्या है नियम

मौजूदा नियमों के मुताबिक, किसी भी बैंक में किसी इकाई के पास अधिकतम 26 प्रतिशत हिस्सेदारी की अनुमति है और इस सीमा से अधिक हिस्सेदारी वाले मामलों में इसे कम करने के लिए एक निश्चित समयसीमा निर्धारित की गई है।

सूत्र ने कहा कि इस सौदे से संबंधित ‘उपयुक्त और उचित’ पहलुओं पर कोई प्रगति नहीं हुई है।

एसबीआई बेचना चाहता है हिस्सेदारी

यस बैंक को वित्तीय संकट में फंसने के बाद वर्ष 2020 में एक विशेष सौदे के तहत बाहर निकाला गया था। इसके तहत एसबीआई के नेतृत्व वाले ऋणदाताओं के एक समूह ने यस बैंक में हिस्सेदारी खरीदी थी।

बैंक में सर्वाधिक 24 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाला एसबीआई वित्त वर्ष 2024-25 के अंत तक हिस्सेदारी बेचना चाहता है। (इनपुट - भाषा)

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काशिद हुसैन author

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