IATA: विदेशी एयरलाइंस कंपनियों को GST नोटिस पर ऐतराज, IATA बोला ऐसा कहीं नहीं होता
IATA: गुड्स एंड सर्विस टैक्स इंटेलिजेंस महानिदेशालय (DGGI) ने देश में कारोबार कर रही 10 विदेशी एयरलाइनों को 10,000 करोड़ रुपये का टैक्स न चुकाने के लिए कारण बताओ नोटिस भेजा है। इस पर IATA ने का है कि भारत ऐसा करने वाला अकेला देश है, विश्व में कहीं भी ऐसा नहीं होता।
IATA GST Notice
IATA:वैश्विक एयरलाइन समूह आईएटीए (IATA) ने भारत में उड़ान भरने वाली कुछ विदेशी एयरलाइन को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के संबंध में कारण बताओ नोटिस जारी किए जाने पर मंगलवार को चिंता जताई है और कहा कि इससे देश की मजबूत विमानन क्षमता प्रभावित हो सकती है।अंतरराष्ट्रीय वायु परिवहन संघ (आईएटीए) ने सरकार से इस मामले को सुलझाने का आग्रह किया और कहा कि वह इस बात से निराश है कि जीएसटी इंटेलिजेंस महानिदेशालय (डीजीजीआई) ने इस मामले पर उद्योग द्वारा कई अभ्यावेदन दिए जाने के बावजूद भारत में परिचालन करने वाली कुछ विदेशी एयरलाइन को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
क्या है मामला
गुड्स एंड सर्विस टैक्स इंटेलिजेंस महानिदेशालय (DGGI) ने देश में कारोबार कर रही 10 विदेशी एयरलाइनों को 10,000 करोड़ रुपये का टैक्स न चुकाने के लिए कारण बताओ नोटिस (Showcause Notices) भेजा है। इनमें ब्रिटिश एयरवेज, लुफ्थांसा, ओमान एयर, अमीरात और सिंगापुर एयरलाइंस शामिल हैं। पिछले तीन दिनों में भेजे गए नोटिस इन एयरलाइंस की भारतीय यूनिट्स पर बकाया टैक्स से जुड़े हैं। नोटिस के अनुसार इन एयरलाइंस के हेड ऑफिसेज से सर्विसेज के इम्पोर्ट पर टैक्स बकाया है।
IATA ने जताया विरोध
आईएटीए के उत्तर एशिया एवं एशिया प्रशांत क्षेत्र के क्षेत्रीय उपाध्यक्ष (अंतरिम) शी जिंगक्वान ने बयान में कहा, कि डीजीजीआई का यह दावा कि विदेशी एयरलाइन (जिनके भारत में शाखा कार्यालय हैं) के मुख्यालयों द्वारा हवाई परिवहन सेवाएं प्रदान करने के दौरान किए गए व्यय पर जीएसटी लागू होना चाहिए। यह त्रुटिपूर्ण है। इसमें अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन के प्रावधान में शामिल प्रकृति तथा परंपराओं को ध्यान में नहीं रखा गया हैउन्होंने कहा कि भारत ऐसा करने वाला अकेला देश है, विश्व में कहीं भी ऐसा नहीं होता।शी जिंगक्वान ने कहा कि भारत से बाहर के गंतव्यों के लिए उड़ान भरने वाली भारतीय विमानन कंपनियों को ऐसी स्थिति या मांग का सामना नहीं करना पड़ता है। IATA भारतीय एयरलाइन कंपनियों सहित 330 से अधिक एयरलाइन कंपनियों का प्रतिनिधित्व करता है। इसके सदस्यों की वैश्विक हवाई यातायात में 80 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी है।
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