सीबीआई ने आईसीआईसीआई बैंक लोन फ्रॉड मामले में चंदा कोचर, दीपक कोचर और वेणुगोपाल धूत के खिलाफ फाइल की चार्ज शीट
मुख्य बातें
- कोचर दंपति सहित वीडियोकॉन के फाउंडर के खिलाफ चार्ज शीट फाइल
- आईसीआईसीआई बैंक लोन फ्रॉड मामले में सीबीआई की कार्रवाई
- दिसंबर 2022 में हुई थी गिरफ्तारी, जनवरी 2023 में मिली थी जमानत
ICICI Bank former MD & CEO Chanda Kochhar: CBI ने 3,250 करोड़ रुपये के लोन फ्रॉड केस में आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ चंदा कोचर, उनके पति दीपक कोचर और वीडियोकॉन ग्रुप (Videocon Group) के फाउंडर वेणुगोपाल धूत के खिलाफ चार्ज शीट फाइल किया है। अधिकारियों ने शनिवार को ये जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि जांच एजेंसी ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और 409 (विश्वास का आपराधिक हनन) तथा भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के प्रावधानों के तहत चार्ज शीट फाइल की है।
चंदा कोचर के खिलाफ मुकदमा चलाने की अभी तक नहीं मिली मंजूरी
अधिकारियों के मुताबिक, सीबीआई ने 9 इकाइयों को नामजद किया है, जिनमें कंपनियां और व्यक्ति शामिल हैं। अधिकारी ने कहा कि आईसीआईसीआई बैंक से चंदा कोचर के खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी की अनिवार्य आवश्यकता के बिना सीबीआई मुंबई के एक स्पेशल कोर्ट में अपनी अंतिम रिपोर्ट दाखिल करने के लिए आगे बढ़ी है। अधिकारियों के मुताबिक, मंजूरी के लिए बैंक को एक पत्र भेजा गया था, लेकिन उसके जवाब का इंतजार है।
दिसंबर, 2022 में गिरफ्तार हुए थे कोचर दंपति और धूत
आमतौर पर, स्पेशल कोर्ट चार्ज शीट का संज्ञान लेने के लिए आगे बढ़ने से पहले मंजूरी का इंतजार करती है और बाद में सही पाए जाने पर मुकदमा शुरू करती है। अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई की विशेष अदालत ने चार्ज शीट पर अभी तक संज्ञान नहीं लिया है। उन्होंने कहा कि मुकदमा चलाने की मंजूरी से इनकार के मामले में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के प्रावधान लागू नहीं होंगे। एजेंसी ने कोचर दंपति और धूत को पिछले साल दिसंबर में गिरफ्तार किया था।
हिरासत के लिए सीबीआई की याचिका का विरोध करते हुए कोचर दंपति की ओर से आए सीनियर एडवोकेट अमित देसाई अदालत के संज्ञान में एक पत्र ले आए, जिसे आईसीआईसीआई बैंक ने जुलाई 2021 में सीबीआई को लिखा था। पत्र में कहा गया था कि बैंक को किसी भी लेन-देन में कोई गलत नुकसान नहीं हुआ है।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने 9 जनवरी को दी थी जमानत
बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस साल 9 जनवरी को कोचर दंपति को जमानत दे दी थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि वर्तमान मामले में गिरफ्तारी का आधार केवल सहयोग नहीं करना और पूरा और सही खुलासा नहीं करना बताया गया है। बेंच ने कहा था कि कोचर दंपति की गिरफ्तारी दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 41ए का उल्लंघन है, जो संबंधित पुलिस अधिकारी के समक्ष उपस्थित होने के लिए नोटिस भेजना अनिवार्य करती है।
नियमों के खिलाफ दिया गया 3250 करोड़ रुपये का लोन
सीबीआई की शिकायत में कोचर दंपति और धूत के साथ ही दीपक कोचर द्वारा प्रबंधित नूपावर रिन्यूएबल्स (एनआरएल), सुप्रीम एनर्जी, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड को आरोपी बनाया गया है। एजेंसी ने आरोप लगाया है कि आईसीआईसीआई बैंक ने धूत द्वारा प्रोमोटेड वीडियोकॉन ग्रुप की कंपनियों को बैंकिंग विनियमन अधिनियम, आरबीआई के दिशानिर्देशों और बैंक की कर्ज नीति का उल्लंघन करते हुए 3,250 करोड़ रुपये की कर्ज सुविधाएं मंजूर कीं।
इसने ये भी आरोप लगाया कि इसके बदले में धूत ने सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड (एसईपीएल) के माध्यम से नूपावर रिन्यूएबल्स में 64 करोड़ रुपये का निवेश किया और 2010 और 2012 के बीच दीपक कोचर द्वारा मैनेज की जाने वाली पिनेकल एनर्जी ट्रस्ट को एसईपीएल ट्रांसफर कर दिया।
पीटीआई इनपुट्स के साथ