IMF का अलर्ट: 1990 के बाद दुनिया की सबसे कम रह सकती है ग्रोथ रेट, भारत से सबक लेने की दी नसीहत

IMF Alert: आईएमएफ ने गुरुवार को आशंका जताई है कि साल 2023 में ग्रोथ रेट 3 प्रतिशत से भी नीचे पहुंच सकता है। आईएमएफ ने कहा कि ग्रोथ रेट कम रहने की आशंका के बीच वैश्विक स्तर पर गरीबी और भूख का जोखिम भी बढ़ रहा है। हालांकि, आईएमएफ ने इस बीच भारत की जमकर तारीफ भी की।

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IMF: आईएमएफ ने गुरुवार को कहा कि इस साल वैश्विक विकास दर 3 प्रतिशत से कम रह सकता है

मुख्य बातें
  • साल 2023 में ग्रोथ रेट 3 प्रतिशत से कम रहने की आशंका
  • ग्रोथ रेट प्रभावित होने से बढ़ रहा भूख-गरीबी का जोखिम
  • आईएमएफ ने जमकर की भारत की तारीफ

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) की प्रमुख ने विश्व अर्थव्यवस्था की साल 2023 में ग्रोथ रेट 3 प्रतिशत से भी कम रहने की आशंका जताते हुए गुरुवार को इससे वैश्विक स्तर पर भूख और गरीबी के जोखिम बढ़ रहे हैं। आईएमएफ की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टलिना जॉर्जीवा ने कहा कि ग्लोबल ग्रोथ रेट के अगले पांच सालों में लगभग तीन प्रतिशत ही रहने का अनुमान है। उन्होंने कहा, "ये 1990 के बाद से हमारा मध्यम अवधि का सबसे कम ग्रोथ पूर्वानुमान है।''

उन्होंने कहा कि धीमी ग्रोथ एक ''गंभीर झटका होगा, जिससे कम आय वाले देशों के लिए कठिनाई बढ़ जाएगी।'' वैश्विक अर्थव्यवस्था की ग्रोथ रेट पिछले साल 3.4 प्रतिशत रही है। जॉर्जीवा ने ये चेतावनी भी दी कि ग्लोबल ग्रोथ के सुस्त पड़ने से गरीबी और भुखमरी बढ़ सकती है जो कोविड संकट के कारण पहले ही चुनौती बनी हुई है। उन्होंने इसे एक खतरनाक प्रवृत्ति बताया। उनकी ये टिप्पणी आईएमएफ और विश्व बैंक की वॉशिंगटन में अगले हफ्ते होने वाली सालाना 'वसंत बैठकों' से पहले आई है।

आईएमएफ ने की भारत की तारीफ

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) ने कहा है कि भारत ने व्यापक उपयोग वाला एक विश्वस्तरीय डिजिटल सार्वजनिक ढांचा खड़ा किया है जो दूसरे देशों के लिए भी अर्थव्यवस्था और लोगों के जीवन में बदलाव लाने का सबक हो सकता है। डिजिटल सार्वजनिक ढांचे के तहत विशिष्ट पहचान (आधार), यूपीआई और आधार-समर्थित भुगतान सेवा के साथ डिजिलॉकर एवं खाता एग्रिगेटर जैसे डेटा विनिमय की व्यवस्था शामिल है।

आईएमएफ के एक वर्किंग पेपर में कहा गया है कि भारत में तीनों तरह के डिजिटल सार्वजनिक ढांचे मिलकर तमाम सार्वजनिक एवं निजी सेवाओं तक ऑनलाइन, कागज-रहित, नकदी-रहित और निजता को अहमियत देने वाली डिजिटल पहुंच सुनिश्चित करते हैं।

महामारी के दौर में भारत को पहुंचाई मदद

आईएमएफ के मुताबिक, इस ढांचे में किए गए निवेश के लाभ देशभर में महसूस किए जा रहे हैं और इसने महामारी के दौर में भारत को खासी मदद पहुंचाई। आधार ने सरकारी खजाने से सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में सामाजिक सुरक्षा से जुड़ी राशि पहुंचाकर सरकारी धन की बर्बादी रोकी, भ्रष्टाचार पर लगाम लगाई और अधिक परिवारों तक पहुंच बनाने का एक जरिया बना।

आसान हुई वित्तीय सेवाओं की पहुंच

भारत सरकार का अनुमान है कि मार्च, 2021 तक डिजिटल सार्वजनिक ढांचे की वजह से सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के करीब 1.1 प्रतिशत व्यय की बचत हो पाई। आईएमएफ वर्किंग पेपर कहता है कि महामारी के शुरुआती दिनों में करीब 87 प्रतिशत परिवारों को कम-से-कम एक लाभ मिला था। इसके अलावा खाता एग्रिगेटर के जरिये वित्तीय सेवाओं तक पहुंच आसान होने से करीब 45 लाख लोगों एवं कंपनियों को भी लाभ पहुंचा है।

5 साल में रजिस्टर हुए 88 लाख नए टैक्स पेयर्स

इसके मुताबिक, डिजिटलीकरण की प्रक्रिया ने अर्थव्यवस्था संगठित बनाने में मदद की है। जुलाई, 2017 से लेकर मार्च, 2022 (करीब 5 साल) के दौरान करीब 88 लाख नए टैक्स पेयर्स के रजिस्टर होने से सरकारी राजस्व में भी बढ़ोतरी हुई। इन तमाम खूबियों के बावजूद आईएमएफ का वर्किंग पेपर भारत में डेटा सुरक्षा के बारे में एक समग्र कानून के अभाव का जिक्र करते हुए कहता है कि नागरिकों की निजता के संरक्षण और डेटा सेंधमारी की स्थिति में सरकार एवं कंपनियों को जवाबदेह ठहराने वाली एक सशक्त डेटा संरक्षण व्यवस्था जरूरी है।

भाषा इनपुट्स के साथ

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    सुनील चौरसिया author

    मैं सुनील चौरसिया,. मऊ (उत्तर प्रदेश) का रहने वाला हूं और अभी दिल्ली में रहता हूं। मैं टाइम्स नाउ नवभारत में बिजनेस, यूटिलिटी और पर्सनल फाइनेंस पर...और देखें

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