Income: कमाई के अंतर में आई 74% कमी, SBI की रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा
हाल ही में SBI द्वारा एक रिपोर्ट जारी की गई है। रिपोर्ट कहती है, "हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि पांच लाख रुपये तक की आय वाले लोगों के लिए आय असमानता कवरेज में कुल मिलाकर 74.2 प्रतिशत की गिरावट आई है। प्रत्यक्ष करों का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में अनुपात आकलन वर्ष 2023-24 में 6.64 प्रतिशत तक बढ़ गया जो 2000-01 के बाद से सबसे अधिक है।
कमाई के अंतर में आई 74 कमी, SBI की रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा
Income: पांच लाख रुपये तक की सालाना आमदनी वाले लोगों के लिए आय असमानता वित्त वर्ष 2013-14 और 2022-23 के बीच 74.2 प्रतिशत तक घट गई है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की शुक्रवार को जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही गई। भारत में ‘असमानता की स्थिति बिगड़ने के बहुप्रचारित मिथक’ को स्पष्ट करने के लिए एसबीआई के आर्थिक विभाग की शोध रिपोर्ट ने आकलन वर्ष 2014-15 और 2023-24 के आय असमानता प्रवृत्तियों का विश्लेषण किया है।
आय असमानता में आई कमी
रिपोर्ट के मुताबिक, कर आकलन वर्ष 2014-15 और 2023-24 के दौरान आय असमानता के तुलनात्मक अध्ययन से पता चलता है कि आय वितरण वक्र में स्पष्ट रूप से दाईं ओर झुकाव हुआ है। इसका मतलब है कि निम्न आय वर्ग के लोग आबादी में अपनी हिस्सेदारी के अनुपात में अपनी आय को भी बढ़ा रहे हैं। रिपोर्ट कहती है, "हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि पांच लाख रुपये तक की आय वाले लोगों के लिए आय असमानता कवरेज में कुल मिलाकर 74.2 प्रतिशत की गिरावट आई है।
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निम्न वर्ग के लोगों की बढ़ रही कमाई
यह दर्शाता है कि सरकार के निरंतर प्रयास आर्थिक पिरामिड के निचले हिस्से तक पहुंच रहे हैं। इससे 'निम्न आय वर्ग' के लोगों की आय बढ़ रही है।" रिपोर्ट के मुताबिक, 3.5 लाख रुपये तक की आय वाले लोगों की आय असमानता में हिस्सेदारी वित्त वर्ष 2013-14 में 31.8 प्रतिशत थी जो वित्त वर्ष 2020-21 में घटकर 12.8 प्रतिशत हो गई। इस समूह की आय हिस्सेदारी उनकी आबादी की तुलना में 19 प्रतिशत तेजी से बढ़ी है।
ITR भरने में ये राज्य है आगे
एसबीआई की रिपोर्ट कहती है कि निम्न आय वर्ग (5.5 लाख रुपये से कम आमदनी) ने पिछले दशक में अध्ययन काल की समूची अवधि (आकलन वर्ष 2019-20 को छोड़कर) में सकारात्मक वृद्धि दर दर्ज की है। शोध रिपोर्ट के अनुसार, आयकर आधार में पारंपरिक रूप से अग्रणी रहने वाले महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात और कर्नाटक जैसे राज्य आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने में उच्चतम स्तर के करीब पहुंच रहे हैं और कुल कर आधार में उनकी हिस्सेदारी घट रही है। आईटीआर जमा करने में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी तेजी से बढ़ी है और उसके बाद बिहार, आंध्र प्रदेश, पंजाब और राजस्थान का स्थान है।
प्रत्यक्ष करों का योगदान
एसबीआई रिपोर्ट के मुताबिक, प्रगतिशील कराधान व्यवस्था को अपनाने से कुल कर राजस्व में प्रत्यक्ष करों का योगदान आकलन वर्ष 2023-24 में बढ़कर 56.7 प्रतिशत तक पहुंच गया, जो 14 वर्षों में सबसे अधिक है। प्रत्यक्ष करों का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में अनुपात आकलन वर्ष 2023-24 में 6.64 प्रतिशत तक बढ़ गया जो 2000-01 के बाद से सबसे अधिक है। आकलन वर्ष 2023-24 के दौरान दाखिल आईटीआर की संख्या उछलकर करीब 8.6 करोड़ हो गई जो 2021-22 में लगभग 7.3 करोड़ थी। कुल 6.89 करोड़ यानी 79 प्रतिशत रिटर्न नियत तिथि पर या उससे पहले दाखिल किए गए।
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Pawan Mishra author
पवन कुमार मिश्रा Timesnowhindi.com के साथ फरवरी 2024 से बतौर सीनियर कॉपी एडिटर के रूप में जुड़े हैं। ...और देखें
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