इनकम टैक्स कैलकुलेटर

टैक्स कैलकुलेटर



इनकम टैक्स कैलकुलेटर एक ऑनलाइन फाइनेंशियल टूल है। जो आपको केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) को भुगतान की जाने वाली इनकम टैक्स की राशि का कैलकुलेशन करने में मदद करता है। यह विशेष रूप से इनकम टैक्स रिटर्न (ITR)फाइलिंग के दौरान उपयोग में लाया जाता है। इसके जरिए एक आयकर दाता आसानी से अपनी आय के आधार पर इनकम टैक्स का कैलकुलेशन कर सकता है।

बजट यानी साल 2023-24 के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने टैक्सपेयर्स को इनकम टैक्स में बड़ी राहत दी थी। उन्होंने न केवल नई टैक्स व्यवस्था को बदला बल्कि पुरानी टैक्स व्यवस्था में भी रेट में कटौती कर दी। इसके तहत पुरानी टैक्स व्यवस्था में बेसिक छूट लिमिट 2.5 लाख से बढ़ाकर 3 लाख कर दी गई। वहीं इनकम टैक्स स्लैब्स की संख्या घटाकर 5 कर दी गई है और टैक्स दरों में भी बदलाव किया गया है।

इसके अलावा वेतन भोगी को 1 अप्रैल 2023 से इनकम टैक्स की नई और पुरानी व्यवस्था में से किसी एक चुनाव करना जरूरी है। नई इनकम टैक्स व्यवस्था में बदलाव कर सालाना 7 लाख तक की इनकम को टैक्स फ्री कर दिया गया है।

यही नहीं वित्त मंत्रालय ने नए बदलाव के साथ आई नई टैक्स व्यवस्था को डिफॉल्ट रखा है। यानी अगर आप विकल्प नहीं चुनते हैं तो नई टैक्स व्यवस्था के दायरे में आ जाएंगे। वहीं पुरानी व्यवस्था के लिए आपको बकायदा उसका चुनाव करना होगा।

इनकम टैक्स की नई व्यवस्था के तहत वित्त वर्ष 2023-24 के लिए रेट और स्लैब



कुल इनकम (रुपये) इनकम टैक्स रेट


  • 0-3 लाख तक शून्य
  • 3-6 लाख तक 5 फीसदी
  • 6-9 लाख तक 10 फीसदी
  • 9-12 लाख तक 15 फीसदी
  • 12-15 लाख तक 20 फीसदी
  • 15 लाख से ज्यादा 30 फीसदी

पुरानी कर व्यवस्था के तहत वित्त वर्ष 2023-24 के लिए इनकम टैक्स के स्लैब्स

(60 साल से कम आयु )

टैक्सेबल इनकम स्लैब इनकम टैक्स रेट


  • 2.5 लाख रुपये तक 0%
  • 2.5 लाख से ज्यादा और 5 लाख 5%
  • 5 लाख से ज्यादा से 10 लाख तक 20%
  • 10 लाख से ज्यादा 30%

कैसे कैलकुलेट करें इनकम टैक्स



इनकम टैक्स कैलकुलेट करने के लिए सबसे पहले वित्तीय वर्ष चुने। इसके बाद अपनी उम्र चुनें। भारत में 60 साल से कम उम्र , 60-80 साल तक की उम्र और 80 साल से अधिक आयु के लिए टैक्स रेट अलग-अलग हैं।

अपनी कुल इनकम का आकलन करें


सबसे पहले, अपने सालना आय को कैलकुलेट करें। इसमें मकान किराया भत्ता (HRA), अवकाश यात्रा भत्ता (LTA), और भोजन वाउचर और मोबाइल जैसे अन्य लाभ शामिल हैं। इसके बाद, यदि प्रासंगिक हो तो छूट में एचआरए और एलटीए को शामिल कर, उसे घटाएं। एचआरए छूट केवल तभी लागू होती है जब आप किराए के अपार्टमेंट में रहते हैं और प्रमाण के रूप में रसीदें जमा करते हैं।

कहां कितनी छूट


अपनी कर योग्य इनकम कैलकुलेकट करने के बाद, आप कुछ कटौतियों को शामिल करके इसे और कम कर सकते हैं। कुल इनकम में 50,000 रुपये की मानक कटौती की जाती है। इसके बाद, धारा 80 सी के लिए पात्र निवेश और खर्च को घटा दें। 80सी के तहत पीपीएफ, ईएलएसएस म्यूचुअल फंड, ईपीएफ, सुकन्या समृद्धि योजना, स्कूल फीस और टर्म इंश्योरेंस के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम में निवेश आदि शामिल होते हैं। इसके अलावा होम लोन, ईलाज के खर्च, हेल्थ इंश्योरेंस, एनपीएस आदि से टैक्स छूट हासिल की जा सकती है

नेट कर योग्य इनकम


कटौती और छूट के बाद, आपकी शुद्ध कर योग्य आय प्राप्त होती है। यदि कटौती के बाद आपकी कुल कर योग्य आय 5 लाख रुपये से कम है, तो आप धारा 87ए के तहत 12,500 रुपये की छूट के लिए आवेदन करने के पात्र हैं। लेकिन अगर इससे अधिक है, तो आपको अपनी कर राशि में 4 प्रतिशत का स्वास्थ्य और शिक्षा उपकर यानी सेस भी देना होगा।


इनकम टैक्स FAQs





  1. कैसे तय होता है इनकम टैक्स
    असल में टैक्स स्लैब के आधार पर टैक्स काटा जाता है। इसके लिए दो व्यवस्था, पुरानी टैक्स व्यवस्था और टैक्स व्यवस्था। यदि कर योग्य इनकम 3 लाख से कम है तो वेतन से कोई टैक्स नहीं कटता है। इससे ज्यादा इनकम होने पर टैक्स दर के हिसाब से कटौती की जाती है।
  2. किसे देना होता है इनकम टैक्स
    करदाता ऐसे व्यक्ति, कारोबार या संस्थाएं हैं जो अपनी कमाई या मुनाफे के आधार पर सरकार को इनकम टैक्स का भुगतान करने के लिए कानूनी रूप से बाध्य हैं।
  3. क्या इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य है
    हां, निर्धारित आय सीमा को पूरा करने वाले व्यक्तियों और संस्थाओं के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करना अनिवार्य है, भले ही वे छूट वाली श्रेणियों में आते हों।
  4. नई कर व्यवस्था में कहां टैक्स छूट मिल सकती है
    नई कर व्यवस्था की धारा 80सीसीडी (2) के तहत कर्मचारी के एनपीएस खाते में नियोक्ता का योगदान शामिल है। इसमें 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन भी शामिल है। अन्य छूटों में विशेष रूप से विकलांग लोगों के संबंध में यात्रा भत्ता, वाहन भत्ता, टूर और ट्रांसफर मुआवजा शामिल हैं।
  5. 80 C के तहत कितनी छूट मिलती है और कहां निवेश कर सकते हैं
    इसके तहत कुल इनकम से अधिकतम 1.5 लाख रुपये की सालाना छूट मिलती है। व्यक्ति और एचयूएफ दोनों इस छूट का लाभ उठाने के पात्र होते हैं। एलएलपी, निगम और साझेदारी फर्म इस कटौती के लिए पात्र नहीं हैं।
  6. होम लोन पर कितनी छूट
    इनकम टैक्स की धारा 24 के तहत, होम लोन के ब्याज पर 2 लाख रुपये तक की छूट मिलती है। घर के लिए अधिकतम ब्याज भुगतान छूट 2 लाख रुपये है।
  7. क्या म्युचुअल फंड की कमाई पर लगेगा टैक्स
    म्यूचुअल फंड में निवेश करने से मुनाफा हो सकता है जिस पर पूंजीगत लाभ के रूप में कर लगाया जा सकता है। म्यूचुअल फंड से पूंजीगत लाभ के लिए कराधान की दर म्यूचुअल फंड की होल्डिंग अवधि और प्रकार पर निर्भर करती है।
  8. सेस क्या है
    सेस या उपकर एक प्रकार का कर है जो केंद्र सरकार द्वारा खास योजनाओं का कोष तैयार के लिए लगाया जाता है। सरकार केवल तभी उपकर लगाती है जब सार्वजनिक कल्याण के लिए कुछ खर्च करने की आवश्यकता होती है।
  9. क्या किसानों को भी देना पड़ता है इनकम टैक्स
    कृषि आय आयकर से मुक्त होती है। कृषि आय आयकर अधिनियम की धारा 10 (1) के तहत कर योग्य नहीं है। हालांकि, यदि कृषि राजस्व प्रति वर्ष 5,000 रुपये से अधिक है, तो राज्य सरकार कर वसूल सकती है।
  10. वरिष्ठ नागरिकों को कितना देना होता है इनकम टैक्स
    आयकर अधिनियम, 1961 के अनुसार, वरिष्ठ नागरिक के लिए दो कैटेगरी है। एक कैटेगरी में 60 वर्ष या उससे अधिक लेकिन 80 वर्ष से कम आयु के वरिष्ठ नागरिक होती है। जबकि दूसरी कैटेगरी में वरिष्ठ नागरिक 80 वर्ष या उससे अधिक आयु का भारतीय निवासी है। उन्हें टैक्स स्लैब के अनुसार इनकम टैक्स देना होता है।