टैक्सपेयर्स के लिए काम की खबर, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने HRA को लेकर कही ये बात

House Rent Allowance: इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने टैक्सपेयर्स की फाइलिंग और उनके पास उपलब्ध डेटा के बीच जानकारी के बेमेल होने के मामलों को स्वीकार किया है। HRA क्लेम से संबंधित मामलों को फिर से ओपन करने के लिए विशेष अभियान चलाने की खबर निराधार है।

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HRA को लेकर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने टैक्सपेयर्स को किया सचेत (तस्वीर-Canva)

House Rent Allowance: केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने हाउस रेंट अलाउंस (HRA) क्लेम से संबंधित मामलों को फिर से ओपन करने के लिए एक विशेष अभियान का सुझाव देने वाली रिपोर्टों के संबंध में स्पष्टीकरण जारी किया है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने दावा किया कि बेमेल मामलों की दोबारा जांच के लिए ऐसा कोई विशेष अभियान नहीं चल रहा है। विशेष रूप से एचआरए क्लेम से संबंधित मामलों को फिर से खोलने के संबंध में चिंताएं उत्पन्न हुई हैं। हालांकि इनकम टैक्स विभाग इस बात पर जोर देता है कि ये आशंकाएं निराधार हैं। मकान किराया भत्ता (HRA) टैक्स के दायरे में आता है, यह वेतन आय का एक अभिन्न अंग है। किराए के घर में रहने वाले कर्मचारी वैध किराया रसीद जमा करके वित्तीय वर्ष के दौरान प्राप्त HRA के लिए टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं।

कई विसंगतियों की हुई पहचान

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने टैक्सपेयर्स की फाइलिंग और उनके पास उपलब्ध डेटा के बीच जानकारी के बेमेल होने के मामलों को स्वीकार किया है। नियमित डेटा वेरिफिकेशन अभ्यास के दौरान ऐसी विसंगतियों की पहचान की गई है। जिससे विभाग को किसी भी अशुद्धि को सुधारने के लिए टैक्सपेयर्स को सूचित करने के लिए कहा गया है। आयकर विभाग ने एक बयान में कहा कि शुरुआत में यह कहा गया है कि इन मामलों पर रिट्रोस्पेक्टिव टैक्सेशन और एचआरए क्लेम से संबंधित मुद्दों पर मामलों को फिर से खोलने के बारे में कोई भी आशंका पूरी तरह से निराधार है।

सीबीडीटी ने टैक्सपेयर्स को किया सचेत

सीबीडीटी ने इस मामले मे स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि टैक्सपेयर्स को सचेत किया है ताकि वे सुधारात्मक कार्रवाई कर सकें। कर्मचारियों ने एचआरए और किराए के भुगतान के गलत दावे किए हैं। सीबीडीटी ने स्पष्ट किया कि वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान कर्मचारियों द्वारा किए गए किराए के भुगतान और मकान मालिकों द्वारा प्राप्त किराए की रसीदों के बीच विसंगतियों की जांच करने के लिए चुनिंदा उच्च-मूल्य वाले मामलों में डेटा विश्लेषण किया गया था। यह वेरिफिकेशन प्रक्रिया कुछ ही मामलों तक सीमित थी और इसमें बड़े पैमाने पर मामलों को फिर से ओपन करना शामिल नहीं था। खासकर तब जब टैक्सपेयर्स के पास संबंधित मूल्यांकन वर्ष के लिए अपडेटेड रिटर्न दाखिल करने के लिए 31 मार्च 2024 तक का समय था।

नहीं चलेगा कोई विशेष अभियान

इस ई-वेरिफिकेशन अभ्यास का प्राथमिक उद्देश्य अन्य मामलों को प्रभावित किए बिना, विशेष रूप से वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए सूचना बेमेल को संबोधित करना था। इसने दोहराया कि ऐसे मामलों को फिर से खोलने के लिए कोई विशेष अभियान नहीं है और इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा बड़े पैमाने पर मामलों को फिर से खोलने का सुझाव देने वाली रिपोर्ट पूरी तरह से गलत है।
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रामानुज सिंह author

रामानुज सिंह अगस्त 2017 से Timesnowhindi.com के साथ करियर को आगे बढ़ा रहे हैं। यहां वे असिस्टेंट एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं। वह बिजनेस टीम में ...और देखें

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