Income Tax FAQ:कैपिटल गेन टैक्स पर इनकम टैक्स ने जारी किया FAQ,जानें गोल्ड-प्रॉपर्टी-शेयर के लिए क्या है नया
Income Tax FAQ : इनकम टैक्स विभाग ने कहा है कि किसी भी कर ढांचे के सरलीकरण से अनुपालन जैसे गणना, फाइलिंग, रिकॉर्ड के रखरखाव में आसानी होती है। साथ ही विभाग ने यह भी साफ किया कि रियल एस्टेट क्षेत्र को अब संपत्ति बिक्री पर इंडेक्सेशन का लाभ नहीं मिलेगा।
कैपिटल गेन टैक्स पर इनकम टैक्स का FAQ
Income Tax FAQ On Capital Gain Tax:कैपिटल गेन टैक्स पर बढ़ते सवालों के बीच इनकम टैक्स विभाग ने FAQ जारी किया है। और उसने दावा किया है कि बजट में ऐलान की गई नई व्यवस्था के पीछे की सोच कर ढांचे को सरल बनाने और अनुपालन को आसान बनाने की है। कर की दर में कमी से सभी श्रेणी की संपत्तियों को लाभ होगा। अधिकांश मामलों में करदाताओं को काफी लाभ होगा। इनकम टैक्स विभाग ने कहा है कि किसी भी कर ढांचे के सरलीकरण से अनुपालन जैसे गणना, फाइलिंग, रिकॉर्ड के रखरखाव में आसानी होती है। इससे विभिन्न तरह की संपत्तियों के लिए अलग-अलग दरें भी खत्म हो जाती हैं। इसके साथ ही इनकम टैक्स विभाग ने यह साफ किया कि रियल एस्टेट क्षेत्र को अब संपत्ति बिक्री पर इंडेक्सेशन का लाभ नहीं मिलेगा। तो आइए जानते हैं कि इनकम टैक्स विभाग ने FAQ में क्या कहा..
जानें अपने हर सवालों का जवाब
इनकम टैक्स विभाग ने एफएक्यू (FAQ) में कहा कि अल्पावधि एवं दीर्घावधि पूंजीगत लाभ कर के उद्देश्य से विभिन्न परिसंपत्ति वर्गों के लिए होल्डिंग अवधि को तर्कसंगत बनाया गया है। दीर्घावधि पूंजीगत लाभ कर (LTCG) के मामले में अब सभी सूचीबद्ध परिसंपत्तियों को रखने की अवधि एक वर्ष होगी। लिहाजा व्यावसायिक न्यासों की सूचीबद्ध इकाइयों (रीट्स, इनविट्स) के संदर्भ में होल्डिंग अवधि 36 महीने से घटाकर 12 महीने कर दी गई है।
- इसी तरह एलटीसीजी की गणना के लिए सोना एवं गैर-सूचीबद्ध प्रतिभूतियों (गैर-सूचीबद्ध शेयरों के अलावा) की होल्डिंग अवधि भी 36 महीने से घटाकर 24 महीने कर दी गई है।
- हालांकि, अचल संपत्ति और गैर-सूचीबद्ध शेयरों की होल्डिंग अवधि पहले की ही तरह 24 महीने बनी रहेगी।
- सूचीबद्ध शेयर, इक्विटी-केंद्रित म्यूचुअल फंड और कारोबारी ट्रस्ट की यूनिट पर अल्पावधि पूंजीगत लाभ कर (STCG) की दर 23 जुलाई से ही 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दी गई हैं।
- इसी तरह दीर्घावधि में इन संपत्तियों के लिए पूंजीगत लाभ कर की दर को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया गया है।
- हालांकि, इन परिसंपत्तियों पर दीर्घावधि लाभ के मामले में छूट की सीमा को एक लाख रुपये से बढ़ाकर 1.25 लाख रुपये कर दिया गया है।
- एफएक्यू के मुताबिक, सोना, अचल संपत्ति और सूचीबद्ध एवं गैर-सूचीबद्ध बॉन्ड एवं डिबेंचर जैसी संपत्तियों पर अल्पावधि पूंजीगत लाभ कर (एसटीसीजी) में कोई बदलाव नहीं किया गया है और उन पर स्लैब दरों के हिसाब से ही कर लगेगा।
- जहां तक एलटीसीजी का सवाल है तो यह अधिकांश संपत्ति वर्गों के लिए 12.5 प्रतिशत होगा। सिर्फ गैर-सूचीबद्ध बॉन्ड और डिबेंचर के मामले में दीर्घावधि पूंजीगत लाभ पर कर स्लैब दरों के हिसाब से लगेगा।
- इसके साथ ही रियल एस्टेट क्षेत्र को अब संपत्ति बिक्री पर इंडेक्सेशन का लाभ नहीं मिलेगा।
- कर की दर में कमी से सभी श्रेणी की संपत्तियों को लाभ होगा। अधिकांश मामलों में करदाताओं को काफी लाभ होगा। लेकिन लाभ मुद्रास्फीति के मुकाबले कम होने की स्थिति में कुछ मामलों में संपत्ति मालिकों को सीमित फायदा ही मिल पाएगा।
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