Income Tax Filing 2024: ITR दाखिल करने जा रहे हैं, वेतनभोगी व्यक्तियों को 15 जून तक क्यों करना चाहिए इंतजार

Income Tax Filing 2024:वित्त वर्ष 2023-24 (एसेसमेंट 2024-25) के लिए ऑनलाइन इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने के लिए ई-फाइलिंग इनकम टैक्स पोर्टल लाइव है। आइए जानते हैं वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए अपने रिटर्न दाखिल करने के लिए 15 जून तक इंतजार क्यों करना चाहिए।

आईटीआर फाइल करने के लिए 15 जून तक वेट क्यों करना चाहिए (तस्वीर-Canva)

Income Tax Filing 2024: वित्त वर्ष 2023-24 (एसेसमेंट 2024-25) के लिए ऑनलाइन इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करने की प्रक्रिया अब ई-फाइलिंग इनकम टैक्स पोर्टल पर लाइव है। टैक्स रिटर्न को जल्दी और आसानी से दाखिल करने के लिए आमतौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले आईटीआर फॉर्म 1 अप्रैल को जारी कर दिया गया लेकिन वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए अपने ITR दाखिल करने के लिए 15 जून तक इंतजार करना बुद्धिमानी होगी। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनके एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) और फॉर्म 26AS आमतौर पर 31 मई तक ही पूरी तरह से अपडेट होते हैं और वेतनभोगी व्यक्तियों को इस तारीख से 15 दिनों के भीतर अपने टीडीएस सर्टिफिकेट मिल जाते हैं।

कुछ डेटा 31 मई से पहले भी AIS और फॉर्म 26AS में दिखाई देना शुरू हो सकते हैं लेकिन आम तौर पर पिछले वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही के डेटा को 31 मई तक ही अपडेट किया जाता है। अधूरी जानकारी के आधार पर रिटर्न दाखिल करने वाले टैक्सपेयईर्स को अगर जानकारी गुम होने के कारण आय कम बताई जाती है तो उन पर जुर्माना लगाया जा सकता है। इसलिए 15 जून तक इंतजार करना उचित है। वेतनभोगी व्यक्तियों के पास वैसे भी वित्त वर्ष 2023-24 (एसेसमेंट ईयर 2024-25) के लिए इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने के लिए 31 जुलाई, 2024 तक का समय है।

AIS, फॉर्म 26AS पूरी तरह से अपडेट होना पूरी तरह जरूरी

आम तौर पर एनुअल इंफॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS), फॉर्म 26AS 31 मई तक पूरी तरह से अपडेट होने की संभावना नहीं है। बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को हर साल इनकम टैक्स के साथ वित्तीय लेनदेन का स्टेटमेंट दाखिल करना आवश्यक है। यह वित्तीय वर्ष के दौरान टैक्सपेयर्स द्वारा किए गए विभिन्न लेन-देन पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को जानकारी देते हैं। इन स्टेटमेंट में शेयरों, म्यूचुअल फंड, डिविडेंड, बचत बैंक खातों से प्राप्त ब्याज, फिक्स्ड डिपॉजिट, सार्वजनिक भविष्य निधि खाते, क्रेडिट कार्ड बिल भुगतान आदि से आय शामिल है। टैक्सपेयर्स के लिए उपलब्ध AIS को इन संस्थानों द्वारा वित्तीय लेनदेन का स्टेटमेंट दाखिल करने के बाद अपडेट किया जाता है। AIS में व्यक्ति के वित्तीय लेन-देन की जानकारी होती है, भले ही टैक्स काटा गया हो या नहीं। उदाहरण के लिए AIS कुल वेतन आय और उस पर काटे गए और जमा किए गए टैक्स को दिखाएगा। बचत बैंक खातों से अर्जित ब्याज भी AIS में दिखाई देता है। इस ब्याज पर कोई टैक्स नहीं काटा जाता है।

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