Income Tax Filing 2024: टैक्स बचाने के लिए कौन सी रिजीम फायदेमंद नई या पुरानी, जानिए डिटेल
Income Tax Filing 2024: वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग की शुरुआत हो चुकी है। आप यहां जानिए पुरानी टैक्स व्यवस्था (Old Tax Regime) और नई टैक्स व्यवस्था (New Tax Regime) में कौन आपके लिए फायदेमंद है। यहां विस्तार से जानिए।
New Tax Regime या Old Tax Regime में बेहतर कौन (तस्वीर-Canva)
Income Tax Filing 2024: नई टैक्स व्यवस्था (New Tax Regime) की शुरुआत के बाद से टैक्सपेयर्स को पुरानी और नई टैक्स व्यवस्थाओं के बीच चयन करने का ऑप्शन दिया गया। इसके बाद इस वर्ष 2024 से नई टैक्स व्यवस्था को डिफॉल्ट कर दिया गया यानी अगर आप दोनों में किसी को नहीं चुनते हैं तो खुद व खुद आप नई टैक्स व्यवस्था के तहत आ जाएंगे। नई टैक्स व्यवस्था 6 लाख रुपए सालाना से अधिक आय वाले व्यक्तियों के लिए फायदमंद होता है। हालांकि यह निर्धारित करना जटिल हो सकता है कि कौन सी टैक्स व्यवस्था बेहतर लाभ देती है क्योंकि यह इंडिविजुअल फाइनेंशियल लक्षय और टैक्स प्लानिंग पर निर्भर करता है।
टैक्स व्यवस्था चयन को प्रभावित करने वाले कारक
सबसे लाभकारी टैक्स व्यवस्था निर्धारित करने के लिए दो प्राथमिक कारक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। आपका इनकम क्या है और योग्य कटौती क्या है। यह समझना महत्वपूर्ण है कि इन कारकों के आधार पर टैक्स देनदारी और संभावित बचत में कैसे उतार-चढ़ाव होता है। टाइम्स नाउ के मुताबिक टैक्सबड्डी डॉट कॉम के मुख्य प्रोडक्ट अधिकारी सीए दिव्य भानुशाली ने कहा कि यह हमेशा इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस कैटेगरी की आय से संबंधित हैं और आपकी कटौती राशि क्या है, इसलिए किसी को अपरिहार्य खर्चों और निवेशों पर विचार करने के बाद टैक्स देनदारी का आकलन करना चाहिए। कई टैक्सपेयर्स कुछ जरूरी खर्च और निवेश का भुगतान कर रहे होंगे, जिसका टैक्स लाभ है।
सालाना 6 लाख रुपए कमाने वाले व्यक्तियों के लिए टैक्स
नई टैक्स व्यवस्था के तहत 6 लाख रुपए की सालाना आय वाले व्यक्तियों को शून्य टैक्स देनदारी का आनंद मिलता है। इसके विपरीत पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत, वेतनभोगी व्यक्तियों को 22,500 रुपए (सेस को छोड़कर) की टैक्स देयता का सामना करना पड़ सकता है अगर वे 50000 रुपए की मानक कटौती को छोड़कर किसी भी कटौती का उपयोग नहीं करते हैं। हालांकि कई वेतनभोगी टैक्सपेयर्स को कटौतियों का लाभ उठाकर पुरानी व्यवस्था के तहत पहले से ही शून्य टैक्स देना पड़ता है। सेक्शन 80सी के तहत 50,000 रुपए की मानक कटौती और 50000 रुपये जैसी कटौतियों का उपयोग करके टैक्सपेयर्स अपनी टैक्स योग्य आय को 5 लाख रुपए तक ला सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप शून्य टैक्स देनदारी होगी।New Tax Regime Vs Old Income Tax Regime में तुलना
डिटेल | कटौतियों के साथ पुरानी टैक्स व्यवस्था | नई टैक्स व्यवस्था |
, सालाना आय | 6,00,000 रुपए | 6,00,000 रुपए |
स्टैंडर्ड डिडक्शन | 50,000 रुपए | 50,000 रुपए |
सेक्शन 80C ( डिडक्शन 1.5 लाख तक निवेश पर ) | 1,50,000 रुपए (अधिकतम) | 0 |
कुल टैक्स योग्य आय | 4,50,000 रुपए | 5,50,000 रुपए |
अधिक आय पर टैक्स | 10000 रुपए (2.5 लाख रुपये तक- बीईएल और उससे अधिक 2 लाख पर 5 प्रतिशत ) | 12500 रुपए (2.5 लाख रुपये तक- बीईएल और उससे अधिक 2 लाख पर 5 प्रतिशत) |
सेक्शन 87A के तहत छूट | 10,000 रुपए (अधिकतम 12500 रुपए) | 12500 रुपए (अधिकतम 25000) रुपए |
फाइनल टैक्स राशि | जीरो | जीरो |
कटौती के हिसाब से टैक्स
सालाना 6 लाख रुपए से अधिक कमाने वाले व्यक्तियों के लिए उपलब्ध कटौती का आकलन करना महत्वपूर्ण है। सेक्शन 80सी (1.5 लाख रुपये तक) के तहत कटौती और एचआरए, होम लोन पर ब्याज और मेडिकल बीमा प्रीमियम जैसी अन्य कटौतियां टैक्स देनदारी पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं। टैक्स व्यवस्थाओं के बीच चयन करते समय यह मूल्यांकन करना आवश्यक है कि कौन सी कटौतियां लागू हैं और वे टैक्स बचत को कैसे प्रभावित करती हैं।
आय के बढ़ते स्तर का प्रभाव
चूंकि आय का स्तर 6 लाख रुपए से अधिक है, दोनों व्यवस्थाओं के तहत टैक्स-बचत क्षमता में उतार-चढ़ाव होता है। जबकि नई व्यवस्था आसान और कम टैक्स दरों की पेशकश करती है। कटौतियां टैक्स बचत को अनुकूलित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। सालाना 6 लाख रुपए से अधिक कमाने वाले व्यक्तियों को सावधानीपूर्वक अपनी कटौती पात्रता का विश्लेषण करना चाहिए।
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