Income Tax Return Filing 2024: क्या ITR फाइल करते समय टैक्स व्यवस्था बदल सकते हैं?

Income Tax Return Filing 2024: नया वित्तीय वर्ष 2024-25 शुरू हो गया है। आपने पुरानी टैक्स व्यवस्था (Old Tax Regime) या नई टैक्स व्यवस्था में से किसी एक का चयन कर लिया है लेकिन इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) भरने के समय आपका मन बदल गया है। अब चयनित टैक्स रिजीम को छोड़कर दूसरे टैक्स रिजीम में ITR दाखिल करना चाहते हैं। क्या ऐसा कर सकते हैं? यहां जानिए।

Income Tax Return Filing 2024

क्या आईटीआर फाइल करते समय चेंज कर सकते हैं टैक्स रिजीम (तस्वीर-canva)

Income Tax Return Filing 2024: भारत में सैलरी पाने वाले कर्मचारियों को इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) दाखिल करने के लिए दो व्यवस्थाएं हैं, पुरानी टैक्स व्यवस्था (Old Tax Regime) और नई टैक्स व्यवस्था (New Tax Regime)। इनमें से किसी एक का चयन करना है। अगर आप दोनों में से किसी का चयन नहीं करते हैं तो नई टैक्स व्यवस्था के अंतर्गत आएंगे क्योंकि नई टैक्स व्यवस्था को डिफॉल्ट कर दिया गया है। अभी वेतनभोगी कर्मचारियों के पास अपने पसंदीदा टैक्स व्यवस्था का चयन कर अपने नियोक्ता को बताने का अवसर है। यह कपनी के आंतरिक पोर्टल, एचआर फॉर्म या विशिष्ट टैक्स व्यवस्था चयन प्रक्रियाओं के माध्यम से किया जा सकता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि टीडीएस उद्देश्य के लिए यह विकल्प वर्ष में केवल एक बार ही चुना जा सकता है।

क्या आप ITR फाइल करते समय टैक्स व्यवस्था बदल सकते हैं?

आप अपना इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) दाखिल करते समय अभी भी अपनी टैक्स व्यवस्था बदल सकते हैं, भले ही आपने अपने नियोक्ता या कंपनी के साथ जो भी विकल्प चुना हो। अगर कोई कर्मचारी विकल्प नहीं देता है तो नई टैक्स व्यवस्था डिफॉल्ट विकल्प है। कर्मचारी के चयन के आधार पर नियोक्ता चुने हुए टैक्स स्लैब के अनुसार पूरे वर्ष उनके वेतन से स्रोत पर टैक्स (टीडीएस) काटता है।

क्या वेतनभोगी कर्मचारी टैक्स व्यवस्था बदल सकते हैं?

वेतनभोगी कर्मचारियों के पास अपना ITR दाखिल करते समय पुरानी और नई टैक्स व्यवस्था के बीच चयन करने का विकल्प होता है। सरकार ने केंद्रीय बजट 2020 में एक नई इनकम टैक्स व्यवस्था पेश की, जिसमें कम टैक्स दरें ऑफर किया गया है लेकिन अधिकांश कटौती और छूट को समाप्त कर दिया गया। यह तब भी लागू होता है, जब आपने पूरे वर्ष टीडीएस (स्रोत पर टैक्स कटौती) के लिए नई व्यवस्था का विकल्प चुना हो। टैक्सपेयर्स अपनी प्राथमिकताओं और वित्तीय स्थिति के आधार पर किसी भी व्यवस्था का विकल्प चुन सकते हैं। हालांकि एक बार जब कोई व्यक्ति किसी वित्तीय वर्ष के लिए एक विशेष व्यवस्था का चयन करता है तो इसे उस वर्ष के दौरान बदला नहीं जा सकता है। आपको वह व्यवस्था चुननी होगी जो आपकी वित्तीय परिस्थितियों के लिए सबसे उपयुक्त हो और अपना आईटीआर दाखिल करते समय पूरे वित्तीय वर्ष के लिए इसका पालन करें।

टैक्स व्यवस्था के लाभ

टैक्सपेयर्स के लिए यह लचीलापन आपको वह व्यवस्था चुनने की अनुमति देता है जो आपकी आय और क्लैम की गई कटौतियों के आधार पर आपकी टैक्स देनदारी को कम करती है। किसी अतिरिक्त फॉर्म की आवश्यकता नहीं होती है, बस आईटीआर फॉर्म में ही अपनी पसंदीदा व्यवस्था (पुरानी या नई) चुनना होता है।

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रामानुज सिंह author

रामानुज सिंह अगस्त 2017 से Timesnowhindi.com के साथ करियर को आगे बढ़ा रहे हैं। यहां वे असिस्टेंट एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं। वह बिजनेस टीम में ...और देखें

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