Income Tax Slabs: नई टैक्स व्यवस्था या पुरानी टैक्स व्यवस्था, जानिए आपके लिए कौन बेहतर
Income Tax Slabs: नया वित्तीय वर्ष 2024-25 शुरू होते ही वेतनभोगी व्यक्तियों को नई इनकम टैक्स व्यवस्था (New income Tax Regime) और पुरानी इनकम टैक्स व्यवस्था (Old Income Tax Regime) के बीच चयन करने की जरुरत है।
कौन सी इनकम टैक्स व्यवस्था आपके लिए होगा बेहतर, यहां जानिए (तस्वीर-Canva)
Income Tax Slabs: नया वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से शुरू हो गया है। नया वित्तीय वर्ष 2024-25 शुरू होते ही वेतनभोगी व्यक्तियों को नई इनकम टैक्स व्यवस्था (New income Tax Regime) और पुरानी इनकम टैक्स व्यवस्था (Old Income Tax Regime) के बीच चयन करने की जरुरत है। वित्त वर्ष 2023-24 से नई इनकम टैक्स व्यवस्था डिफॉल्ट विकल्प बना दिया है यानी अगर आपने दोनों में से कोई एक का चयन नहीं किया तो आप स्वत: नई टैक्स व्यवस्था में आ जाएंगे। इसलिए टैक्सपेयर्स को लागू इनकम टैक्स दरों और स्लैब को समझना होगा। इससे पहले 1 अप्रैल को वित्त मंत्रालय ने एक्स यानी ट्विटर पर एक पोस्ट के जरिये नई टैक्स व्यवस्था को लेकर भ्रम की स्थिति को खत्म किया। उन्होंने लिखा कि नई टैक्स व्यवस्था से जुड़ी भ्रामक जानकारी कुछ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर प्रसारित की जा रही है। अगर आपको दोनों व्यवस्थाओं के बीच निर्णय लेने में कठिनाई हो रही है तो यहां बताए गए टिप्स आपको सही विकल्प चुनने में मदद कर सकती हैं।
नई टैक्स व्यवस्था (New Tax Regime) बनाम पुरानी टैक्स व्यवस्था (Old Tax Regime)
पुरानी और नई इनकम व्यवस्थाओं के बीच मुख्य अंतर छूट और कटौतियों को लेकर है। पुरानी व्यवस्था के तहत टैक्सपेयर पर्याप्त कटौती का दावा कर सकते हैं, जिसमें इनकम टैक्स एक्ट सेक्शन 80सी, सेक्शन 80D और सेक्शन 80TTA में निर्दिष्ट कटौती शामिल है। इसके विपरीत नई टैक्स व्यवस्था चुनने वाले व्यक्ति अपनी आय वर्ग के आधार पर बिना कटौती के कम टैक्स दरों का आनंद ले सकते हैं। चूंकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अंतरिम बजट में कोई बदलाव का ऐलान नहीं किया था, इसलिए वित्तीय वर्ष 2024-2025 के लिए मानक कटौती में कोई बदलाव नहीं होंगे। जब तक कि जुलाई में पूर्ण बजट में कोई बदलाव नहीं होता है।
नई टैक्स व्यवस्था (New Tax Regime) के तहत ये हैं इनकम टैक्स स्लैब
- 3 लाख रुपए तक की आय पर कोई टैक्स नहीं लगेगा।
- सेक्शन 87A के तहत टैक्स छूट के प्रावधान के साथ 3-6 लाख रुपए के बीच की आय पर 5 प्रतिशत टैक्स लगाया जाएगा।
- 6-9 लाख रुपए के बीच की आय पर 10 प्रतिशत की टैक्स लगेगा। 7 लाख रुपए तक की आय पर सेक्शन 87A के तहत टैक्स छूट लागू होगी।
- 9-12 लाख रुपए के बीच की आय के लिए टैक्स की दर 15 प्रतिशत होगी।
- 12-15 लाख रुपए के बीच होने वाली आय पर 20 प्रतिशत की दर से टैक्स लगाया जाएगा।
- 15 लाख रुपए से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत टैक्स लगेगा।
पुरानी टैक्स व्यवस्था (Old Tax Regime) के तहत ये हैं इनकम टैक्स स्लैब
- 2.5 लाख रुपए तक की आय टैक्स फ्री है।
- 2.5 लाख रुपए से लेकर 5 लाख रुपए तक की आय पर 5 प्रतिशत की दर से टैक्स लगता है।
- 5 लाख रुपए से 10 लाख रुपए के बीच आने वाली पर्सनल आय पर 20 प्रतिशत की दर से टैक्स लगाया जाता है।
- 10 लाख रुपए से अधिक की पर्सनल आय पर 30 प्रतिशत की दर से टैक्स लगाया जाता है।
चूंकि नई इनकम व्यवस्था अपने-आप यानी स्वत: लागू होती है। इसलिए नौकरीपेशा व्यक्तियों के लिए वित्तीय वर्ष की शुरुआत में अपने नियोक्ता को उनकी पसंदीदा टैक्स व्यवस्था के बारे में सूचित करना महत्वपूर्ण है। अगर आप अपने नियोक्ता को सूचित करने में विफल रहते हैं तब भी आप अपना इनकम रिटर्न दाखिल करते समय व्यवस्थाओं के बीच स्विच कर सकते हैं, बशर्ते यह तय तारीख के भीतर किया गया हो।
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