HRA Calculation: HRA के बारे में कितना जानते हैं आप, इनकम टैक्स बचाने में आता है काम
कमाई करने वाला हर व्यक्ति टैक्स में बचत प्राप्त करना चाहता है। HRA पर मिलने वाली टैक्स छूट के जरिये भी कर्मचारी ऐसा कर सकते हैं। मेट्रो सिटी में कर्मचारी की बेसिक कमाई का 50% तो नॉन-मेट्रो शहरों में बेसिक कमाई का 40% हिस्सा HRA के रूप में दिया जाता है। आइये आपको बताते हैं कि HRA के तहत टैक्स छूट कौन प्राप्त कर सकता है।
HRA के बारे में कितना जानते हैं आप, इनकम टैक्स बचाने में आता है काम
HRA Calculation: सभी नौकरीपेशा लोगों के सामने एक जरूरी सवाल ये होता है कि वह इनकम टैक्स कैसे बचा सकते हैं? ज्यादातर लोग इस बात को नहीं जानते हैं, लेकिन मकान किराया अलाउंस (HRA) पर इनकम टैक्स एक्ट के तहत छूट दी जाती है जिसकी मदद से आप टैक्स में बचत भी कर सकते हैं। आज हम आपको HRA के माध्यम से टैक्स बचत करने के बारे में बतायेंगे साथ ही आपको यह भी बतायेंगे कि HRA कैलकुलेट किस तरह किया जा सकता है और HRA आखिर किन्हें मिलता है। आइये बिना किसी देरी के शुरू करते हैं।
HRA से बचत कौन कर सकता है?
HRA देना या न देना कंपनी पर निर्भर करता है और HRA के आधार पर टैक्स में बचत वही प्राप्त कर सकता है, जिसे कंपनी द्वारा HRA दिया जाता है। इससे पहले कि हम HRA से टैक्स बचत के बारे में आपको बताएं, आइये आपको पहले बताते हैं कि कर्मचारियों को कितना HRA दिया जाता है। मेट्रो सिटी में कर्मचारी की बेसिक कमाई का 50% हिस्सा HRA के रूप में दिया जाता है। वहीं नॉन-मेट्रो सिटी में कर्मचारी को उसकी बेसिक कमाई का 40% हिस्सा HRA के रूप में मिलता है।
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कैसे मिलेगी HRA पर टैक्स की छूट?
इनकम टैक्स एक्ट सेक्शन 10 (13A) के तहत कर्मचारियों को HRA के तहत टैक्स बचत का ऑप्शन दिया जाता है। कर्मचारी को उसकी बेसिक कमाई का 50%, प्राप्त होने वाले HRA या फिर किराए की रकम में से बेसिक कमाई का 10% हिस्सा घटाकर बाकी बचे हिस्से के आधार पर टैक्स छूट दी जाती है। ध्यान रहे, इन तीनों में से जो भी रकम सबसे छोटी होगी वहीँ आपको टैक्स छूट के रूप में प्राप्त होगी। इसके साथ ही कर्मचारी को इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि जिस मकान का किराया वह दे रहे हैं, वो घर या मकान उनके नाम पर नहीं होना चाहिए।
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