Income Tax: क्या इंवेस्टमेंट प्रूफ के तौर जमा कर रहे हैं फर्जी रेंट एग्रीमेंट और रसीद, इनकम टैक्स विभाग कर रहा है निगरानी

Investment Proofs: इंवेस्टमेंट डिक्लियरेशन को लेकर अपने नियोक्ता यानी कंपनियों के पास सबूत पेश करने का समय है। कहीं आप एचआरए क्लेम के लिए फर्जी फर्जी रेंट एग्रीमेंट और रसीद तो जमा नहीं कर रहे हैं। अगर हां तो सावधान हो जाइए।

HRA क्लैम करने के लिए फर्जी रसीद का इस्तेमाल किया?

Investment Proofs: जनवरी का महीना नौकरीपेसा करने वालों और इनकम टैक्स रिटर्न भरने वालों के लिए बेहद अहम होता है। क्योंकि इस महीने कर्मचारियों के अपनी इंवेस्टमेंट डिक्लियरेशन को लेकर अपने नियोक्ता यानी कंपनियों के पास सबूप पेश करने होते हैं। आपने इस फाइनेंशियर ईयर में अपनी कमाई को कहां-कहां निवेश किया है। इंवेस्टमेंट के तौर पर एलआईसी, पीपीएफ, घर किराया, बच्चों की ट्यूशन फीस, टैक्स बचत स्कीम्स पर खर्च किया है तो उस प्रूफ पेश करने होते है। ये बैंक स्टेटमेंट्स और ट्यूशन फई रसीदों या किराए की रसीदों के रूप में हो सकते हैं। इन दस्तावेजों के आधार पर आपकी कंपनी आपकी कमाई यानी सैलरी पर टैक्स की गणना करती है और इसे अगले तीन महीनों तक आपके वेतन से काटती है। अंतिम कटौती इनकम टैक्स विभाग द्वारा की जाती है। जो अधिक कटौती होने पर आपको टैक्स रिफंड भी दे सकता है। टैक्स बचाने के लिए इंवेस्टमेंट प्रूफ देते समय कुछ लोग फर्जी रेंट एग्रीमेंट और किराए की रसीदें जमा कर देते हैं। अगर आप भी ऐसा कुछ करने की सोच रहे हैं तो सर्कक हो जाइए। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट निगरानी कर रहा है, आपको पकड़ सकता है।

फर्जी रेंट एग्रीमेंट और रसीद से टैक्स बचाने का मामला आ रहा है सामने

पिछले कई सालों से कई लोग फर्जी रेंट एग्रीमेंट और किराए की रसीदें से टैक्स बचाते आ रहे हैं। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की भी इस पर कड़ी नजर है और उसने अब इस तरह की अवैध गतिविधियों पर नकेल कसना शुरू कर दिया है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट ने पिछले साल से फर्जी किराए की रसीद जमा कर टैक्स कटौती का दावा करने वालों को नोटिस भेजना शुरू कर दिया है। अब सवाल उठता है कि ऐसा कैसे हो रहा है? इनकम टैक्स डिपार्टमेंट को कैसे पता चलेगा कि कोई रेंट रसीद नकली या असली है।

फर्जी रेंट एग्रीमेंट और रसीद पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट क्या करता है?

AIS नकली किराया रसीदों का पता लगाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का भी उपयोग कर रहा है। इसके जरिये AIS फॉर्म और फॉर्म-26AS का फॉर्म-16 से मिलान किया जाता है। आपको बता दें कि इन फॉर्म्स में पैन कार्ड से जुड़े सभी लेन-देन दर्ज होते हैं। जब कोई टैक्सपेयर किराए की रसीद के जरिए हाउस रेंट अलाउंस का दावा करता है तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट इन फॉर्मों से उनके दावे का मिलान करता है और अगर उन्हें कोई अंतर मिलता है तो वे सतर्क हो जाते हैं और फिर कार्रवाई के लिए आगे बढ़ते हैं।

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