Income Tax: क्या 30% की कटौती से टैक्सपेयर्स लॉन्ग टर्म निवेश की ओर होंगे मुखातिब?

Income Tax: प्रोत्साहनों से जुड़ी कटौतियां टैक्सपेयर्स को निवेश और इंश्योरेंस की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित कर सकती हैं। एक संभावित समाधान यह हो सकता है कि कुल आय का 30% एक फ्लैट कटौती के रूप में पेश किया जाए, जिसमें लंबी अवधि की बचत, आवश्यक बीमा, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा खर्च, और लोन भुगतान शामिल हों।

टैक्स नियमों में बदलाव से टैक्सपेयर्स का निवेश की ओर होगा झुकाव (तस्वीर-Canva)

Income Tax: 2021 में जब नई इनकम टैक्स व्यवस्था पेश की गई, तो लोगों को थोड़ी हैरानी हुई क्योंकि इसमें अधिकांश डिडक्शन्स (कटौतियों) नहीं थी। हालांकि, यह सरल टैक्स व्यवस्था काफी समझ में आने वाली थी। इसने कई छूटों का हिसाब रखने की जरुरत को खत्म कर दिया। अब आपको निवेश, लोन, चैरिटी आदि के प्रमाण जुटाने की जरुरत नहीं थी; आप अपनी सभी आय को जोड़कर उस पर टैक्स भर सकते थे। इस व्यवस्था ने टैक्स फाइलिंग को सरल और पारदर्शी बना दिया, जिससे टैक्स्पेयर को राहत मिली। लेकिन, पांच साल बाद, कुछ चिंताजनक रुझान सामने आ रहे हैं, जो इस नई सिस्टम के लंबे समय में वित्तीय आदतों पर प्रभाव को लेकर सवाल खड़े करते हैं।

जीवन बीमा की खरीद में गिरावट

सबसे चिंताजनक रुझानों में से एक जीवन बीमा की खरीद में गिरावट है। भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) की हाल ही में जारी वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, बीमा पैठ लगातार दूसरे वित्तीय वर्ष में घटी है। पारंपरिक रूप से, बीमा प्रीमियम पर टैक्स लाभ लोगों को जीवन बीमा पॉलिसी लेने के लिए प्रेरित करते थे। लेकिन जब से नई टैक्स व्यवस्था में इन प्रोत्साहनों को हटा दिया गया है, कई लोग जीवन बीमा को प्राथमिकता नहीं दे रहे हैं। इसका नतीजा यह है कि वे अपनी वित्तीय सुरक्षा के एक महत्वपूर्ण हिस्से से वंचित हो रहे हैं।

लंबी अवधि के निवेश में गिरावट

यह समस्या केवल जीवन बीमा तक सीमित नहीं है। इक्विटी-लिंक्ड सेविंग्स स्कीम्स (ELSS) में भी निवेश में कमी देखी गई है, यहां तक कि उन वर्षों में भी जब इक्विटी बाजार ने शानदार रिटर्न दिया। टैक्स कटौती की अनुपस्थिति ने जरूरी सुरक्षा और लंबी अवधि की बचत में रुचि को कम कर दिया है। इस समस्या को और बढ़ावा दे रहा है छोटी बचत योजनाओं और नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में घटती रुचि। बैंकबाजार द्वारा किए गए एक हालिया सर्वे में पता चला कि कम वेतनभोगी उत्तरदाता अब इन लंबी अवधि की बचत योजनाओं में रुचि दिखा रहे हैं। यह प्रवृत्ति भारत के बचत और निवेश परंपराओं के लिए एक चिंताजनक संकेत है।

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