New Tax Regime Or Old Tax Regime: कौनसा इनकम टैक्स स्लैब आपके लिए फिट, नई या पुरानी? यहां जानें

New Tax Regime Or Old Tax Regime: ऐसी उम्मीद है कि इनकम टैक्स नियमों में बदलाव हो सकता है लेकिन वर्तमान में नई टैक्स व्यवस्था या पुरानी टैक्स व्यवस्था कौन आपके लिए बेहतर है,यहां आप पता लगा सकते हैं।

New Tax Regime Or Old Tax Regime

नई टैक्स व्यवस्था और पुरानी टैक्स व्यवस्था में से कौन बेहतर?

New Tax Regime Or Old Tax Regime: भारत में इनकम टैक्स सिस्टम एक प्रगतिशील स्लैब स्ट्रैक्चर के जरिये संचालित होती है। किसी व्यक्ति द्वारा भुगतान किया जाने वाला टैक्स की राशि एक फाइनेंशियल ईयर में उसकी आय के सीधे आनुपातिक होती है। यह सिस्टम निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए तैयार की गई है, जहां अधिक इनकम पर हाई दर से टैक्स लगाया जाता है। हालांकि इनकम टैक्स स्लैब को समय-समय पर संशोधित किया जाता है, आमतौर पर केंद्रीय बजट में इसकी संभावना रहती है। बजट 2024 के दौरान नई टैक्स व्यवस्था के तहत टैक्स स्लैब में कुछ बदलाव किए गए, साथ ही छूट और कटौती में कुछ समायोजन किए गए। नई टैक्स व्यवस्था बिना किसी कटौती के कम टैक्स दरें प्रदान करती है। दूसरी ओर पुरानी टैक्स व्यवस्था इनकम टैक्स एक्ट 1961 की विभिन्न धाराओं के तहत कई कटौती प्रदान करती है, हालांकि टैक्स की दरें अधिक हैं।

नई टैक्स व्यवस्था स्लैब (New tax regime slabs)

60 वर्ष से कम आयु के टैक्सपेयर्स के लिए नई टैक्स व्यवस्था के तहत निम्नलिखित इनकम टैक्स स्लैब लागू होते हैं:-

आय पर छूट की सीमाटैक्स (% में)
3 लाख रुपये तककोई टैक्स नहीं
3 लाख रुपये से 7 लाख रुपये 5 प्रतिशत
7 लाख रुपये से 10 लाख रुपये10 प्रतिशत
10 लाख रुपये से 12 लाख रुपये15 प्रतिशत
12 लाख रुपये से 15 लाख रुपये20 प्रतिशत
15 लाख रुपये से अधिक30 प्रतिशत

पुरानी टैक्स व्यवस्था स्लैब (Old tax regime slabs)

पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत, जो अभी भी टैक्सपेयर्स के लिए उपलब्ध है, इनकम टैक्स स्लैब इस प्रकार हैं:-

आय पर छूट की सीमाटैक्स (% में)
2.5 लाख रुपये तककोई टैक्स लागू नहीं
2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये5 प्रतिशत
5 लाख रुपये से 10 लाख रुपये20 प्रतिशत
10 लाख रुपये और उससे अधिक30 प्रतिशत
नई टैक्स व्यवस्था के तहत वेतनभोगी टैक्सपेयर्स के लिए मानक कटौती (Standard Deduction) की सीमा बढ़ाकर 75,000 रुपये कर दी गई है। पुरानी टैक्स व्यवस्था के तहत यह सीमा 50,000 रुपये पर स्थिर बनी हुई है।

पुरानी और नई टैक्स व्यवस्थाओं के बीच चयन करना

पुरानी और नई टैक्स व्यवस्थाओं के बीच फैसला लेते समय, दोनों का मूल्यांकन करें और अपनी आय और निवेश के अनुसार सबसे उपयुक्त एक को चुनें।

पुरानी व्यवस्था (Old tax regime): पुरानी टैक्स व्यवस्था में कई तरह की छूट और कटौतियां दी जाती हैं, जैसे कि निवेश के लिए धारा 80C और बीमा प्रीमियम के लिए धारा 80D के तहत छूट। इसके अतिरिक्त व्यक्ति बचत-केंद्रित प्रावधानों जैसे कि होम लोन ब्याज और HRA (हाउस रेंट अलाउंस) पर कटौती का लाभ उठा सकते हैं। पुरानी व्यवस्था उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकती है, जिनके पास महत्वपूर्ण कटौती है।

नई व्यवस्था (New tax regime): नई टैक्स व्यवस्था कम दरों की पेशकश करके टैक्स प्रक्रिया को सरल बनाती है, लेकिन छूट और कटौती की समान सीमा प्रदान नहीं करती है। यह उन लोगों के लिए उपयुक्त हो सकती है, जिनके पास कम निवेश है या जो सरल टैक्स फाइलिंग पसंद करते हैं, क्योंकि यह टैक्स-बचत निवेश की जरुरत को समाप्त करती है।

अपने टैक्स की गणना कैसे करें (How to calculate your tax)

किसी भी व्यवस्था के तहत अपनी टैक्स देयता की कैल्कुलेट करने के लिए, आपको सबसे पहले अपनी टैक्स योग्य आय निर्धारित करनी होगी।

पुरानी टैक्स व्यवस्था: अपनी कुल आय से शुरू करें, लागू कटौतियों (जैसे 80C, 80D, और अन्य) की गकैल्कुलेट करें और संबंधित टैक्स स्लैब को कुल टैक्स योग्य आय पर लागू करें।

नई टैक्स व्यवस्था: आप अपनी कुल आय के आधार पर टैक्स कैल्कुलेट करेंगे, क्योंकि इस व्यवस्था में कोई कटौती की अनुमति नहीं है। आपकी टैक्स देयता की कैल्कुलेशन पहले बताए गए टैक्स स्लैब के अनुसार सीधे की जाती है।

अपने नियोक्ता को बताएं

सबसे महत्वपूर्ण कामों में से एक यह है कि आप अपने नियोक्ता (जहां आप काम करते हैं) को आपके द्वारा चुनी गई टैक्स व्यवस्था के बारे में सूचित करें, क्योंकि इससे आपके वेतन से टीडीएस (स्रोत पर टैक्स कटौती) प्रभावित होगा। आपका नियोक्ता आपके द्वारा चुनी गई टैक्स व्यवस्था के आधार पर टैक्स की कैल्कुलेशन करेगा, यह सुनिश्चित करते हुए कि आपके टैक्स की उचित कटौती की गई है।

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रामानुज सिंह author

रामानुज सिंह अगस्त 2017 से Timesnowhindi.com के साथ करियर को आगे बढ़ा रहे हैं। यहां वे असिस्टेंट एडिटर के तौर पर काम कर रहे हैं। वह बिजनेस टीम में ...और देखें

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