Income Tax: अगर 6 लाख रुपये से अधिक विदेश भेज रहे हैं तो गुजरना होगा इनकम टैक्स जांच के दायरे से
Income Tax: रिमिटेंस डेटा में विसंगतियों और संभावित टैक्स चोरी की पहचान के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने बड़ा फैसला लिया है। अब 6 लाख रुपये से अधिक विदेश भेज रहे हैं तो बड़े पैमाने पर जांच और वेरिफिकेशन से गुजरना होगा।
6 लाख रुपए अधिक विदेश भेजने पर इनकम टैक्स जांच से गुजरना होगा (तस्वीर-Canva)
Income Tax: केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने 6 लाख रुपये से अधिक के उच्च मूल्य वाले विदेशी रिमिटेंस की बड़े पैमाने पर जांच और वेरिफिकेशन शुरू किया है, ताकि रिमिटेंस डेटा में विसंगतियों और संभावित टैक्स चोरी की पहचान की जा सके। ईटी के मुताबिक यह कदम ऐसे मामलों का पता लगाने के बाद उठाया गया है, जहां विदेशी रिमिटेंस और खर्च व्यक्तियों द्वारा घोषित आय के अनुरूप नहीं थे और स्रोत पर टैक्स संग्रह (TCS) में चूक हुई थी। इस घटनाक्रम से अवगत अधिकारियों ने बताया कि बोर्ड ने क्षेत्रीय संरचनाओं को फॉर्म 15CC की वेरिफिकेशन प्रक्रिया और जांच शुरू करने के लिए कहा है। यह अधिकृत डीलरों द्वारा इनकम टैक्स विभाग को दाखिल किए जाने वाले बाहरी रिमिटेंस का तिमाही डिक्लोजर स्टेटमेंट है। उन्होंने कहा कि फॉर्म 15CC का डेटा 2016 से एकत्रित और अलग किया जा रहा है तथा यह इस वर्ष से विश्लेषण के लिए उपलब्ध होगा।
एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से ईटी को बताया कि पिछले साल एक व्यापक समीक्षा की सिफारिश की गई थी। इसे पहली बार फील्ड फॉर्मेशन के लिए उपलब्ध कराया जाएगा। अधिकारी ने कहा कि इस कदम से सरकार को उन मामलों की पहचान करने में मदद मिलेगी, जहां धन भेजा गया था, लेकिन टैक्सपेयर ने अपनी फाइलिंग में इसकी सूचना नहीं दी। अधिकारी ने कहा कि इस पूरी कवायद से टैक्स चोरी पर अंकुश लगेगा और यह सुनिश्चित होगा कि वैध धन भेजा जा सके, जबकि विदेशी धन भेजने की रिपोर्टिंग में छूट का दुरुपयोग रोका जा सके।
बोर्ड 2020-21 के बाद के आंकड़ों की जांच के आधार पर उच्च जोखिम वाले मामलों की लिस्ट तैयार करेगा। इसने फील्ड फॉर्मेशन को उच्च जोखिम वाले मामलों का पता लगाने के लिए एक विस्तृत स्टेंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (SOP) तैयार करने और 30 सितंबर तक ऐसे मामलों की लिस्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। सरकार ने अघोषित आय वाले लोगों को पहला नोटिस भेजने के लिए 31 दिसंबर की समय सीमा तय की है।
अनियमितताओं के बारे में विस्तार से बताते हुए अधिकारी ने कहा कि एक मामले में 5 लाख रुपये की घोषित वार्षिक आय वाले एक व्यक्ति ने पिछले तीन वर्षों में तीन अलग-अलग डीलरों का उपयोग करके 15 लाख रुपये विदेश भेजे, ताकि उस पर अनिवार्य टीसीएस न लगे और वह टैक्स के दायरे से बच जाए। सरकार लिबरलाइज्ड रिमिटेंस स्कीम (LRS) के तहत 7 लाख रुपये से अधिक के विदेशी रिमिटेंस पर 20% टीसीएस एकत्र करती है, जिसमें मेडिकल और एजुकेशन खर्च पर कुछ अपवाद हैं।
फॉर्म 15CC के जरिये विदेशी रिमिटेंस रिपोर्टिंग के तहत अगर प्रेषक या कटौतीकर्ता यह प्रमाणित करता है कि धन प्रेषण टैक्स योग्य नहीं है, तो कोई और डिटेल देने की आवश्यकता नहीं है। उदाहरण के लिए, आयातकों द्वारा भुगतान, कंपनियों द्वारा उनकी सहायक कंपनियों को भुगतान या गैर-निवासियों को लोन। हालांकि अधिकारियों ने कहा कि विभाग ने इस छूट के संभावित दुरुपयोग के कुछ मामलों का पता लगाया है। ऊपर उद्धृत अधिकारी ने कहा कि इन छूटों के दुरुपयोग को रोकने के लिए छूट का दावा करने वाले इन भुगतानों की निगरानी करना महत्वपूर्ण है।
CBDT ने पहले ही बैंकों से कहा कि वे कुल क्रेडिट कार्ड खर्च के अलावा कुल विदेशी मुद्रा खर्च को एक अलग कैटेगरी के रूप में रिपोर्ट करें, भले ही वे टीसीएस एकत्र न कर रहे हों। यह डेटा वार्षिक आय डिटेल में दर्ज किया जा रहा है, जिसका उपयोग इनकम टैक्स का आकलन करने के लिए किया जाता है। सरकार ने 1 अक्तूबर 2023 से LRS के तहत विदेशी रिमिटेंस पर टीसीएस को 5% से बढ़ाकर 20% कर दिया था। बजट 2023 ने अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड भुगतान को भी LRS के दायरे में लाया और ऐसे लेनदेन पर टीसीएस लागू किया। हालांकि, बाद में व्यापक आलोचना के बाद इसे वापस ले लिया गया।
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