Taxpayers Payable Interest: कुछ शर्तों के साथ टैक्सपेयर का देय ब्याज कम या माफ कर सकेंगे टैक्स अधिकारी, CBDT ने दी मंजूरी
Taxpayers Payable Interest: केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने चार नवंबर को जारी एक सर्कुलर के जरिए ब्याज की लिमिट निर्दिष्ट की है जिसे टैक्स अधिकारी माफ कर सकते हैं या कम कर सकते हैं। इसके अनुसार, पीआरसीआईटी रैंक का अधिकारी 1.5 करोड़ रुपये से अधिक के बकाया ब्याज को कम करने या माफ करने का फैसला कर सकता है।
टैक्सपेयर का देय ब्याज हो सकेगा कम या माफ
- टैक्सपेयर का देय ब्याज हो सकेगा कम या माफ
- टैक्स अधिकारी करेंगे फैसला
- कुछ शर्तों का पूरा होना जरूरी
Taxpayers Payable Interest: आयकर विभाग ने टैक्स अधिकारियों को कुछ तय शर्तों के तहत टैक्सपेयर्स के देय ब्याज को माफ करने या कम करने की अनुमति दे दी है। आयकर अधिनियम की धारा 220 (2ए) के तहत यदि कोई टैक्सपेयर किसी डिमांड नोटिस में बताई गई टैक्स राशि का भुगतान करने में विफल रहता है, तो उसे भुगतान करने में देरी की अवधि के लिए एक प्रतिशत प्रति माह की दर से ब्याज का भुगतान करना होता है। यह अधिनियम प्रधान मुख्य आयुक्त (पीआरसीसीआईटी) या मुख्य आयुक्त (सीसीआईटी) या प्रधान आयुक्त (पीआरसीआईटी) या आयुक्त रैंक के अधिकारियों को इस देय ब्याज राशि को कम करने या माफ करने का अधिकार भी देता है।
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कौन कितना ब्याज माफ या कम कर सकता है
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने चार नवंबर को जारी एक सर्कुलर के जरिए ब्याज की लिमिट निर्दिष्ट की है जिसे टैक्स अधिकारी माफ कर सकते हैं या कम कर सकते हैं। इसके अनुसार, पीआरसीआईटी रैंक का अधिकारी 1.5 करोड़ रुपये से अधिक के बकाया ब्याज को कम करने या माफ करने का फैसला कर सकता है।
50 लाख रुपये से 1.5 करोड़ रुपये तक के बकाया ब्याज के लिए सीसीआईटी रैंक का अधिकारी छूट/कटौती का फैसला करेगा, जबकि पीआरसीआईटी या आयकर आयुक्त 50 लाख रुपये तक के बकाया ब्याज पर फैसला कर सकते हैं। वहीं धारा 220(2ए) के तहत देय ब्याज में कटौती या छूट तीन तय शर्तों के पूरा होने पर मिलेगी।
क्या हैं ये शर्तें
ये शर्ते हैं, ऐसी राशि के भुगतान से टैक्सपेयर को वास्तव में कठिनाई हुई है या होगी, ब्याज भुगतान में चूक टैक्सपेयर के कंट्रोल से परे परिस्थितियों के कारण हुई थी, टैक्सपेयर ने टैक्स एसेसमेंट से संबंधित जांच में या उससे देय किसी राशि की वसूली की कार्यवाही में सहयोग किया है।
क्या होगा फायदा
इस मामले में नांगिया एंड कंपनी एलएलपी पार्टनर सचिन गर्ग ने कहा कि सीबीडीटी के इस कदम से धारा 220 के तहत ब्याज में छूट या कमी के लिए टैक्सपेयर द्वारा किए गए आवेदनों का जल्दी निपटान करने में मदद मिलने की उम्मीद है।
यह ध्यान देने योग्य है कि अधिनियम की धारा 220 के तहत ब्याज में ऐसी कमी या छूट की मांग करने के लिए जिन निर्दिष्ट शर्तों को पूरा करना आवश्यक है, उनमें कोई बदलाव नहीं किया गया है। एएमआरजी एंड एसोसिएट्स के वरिष्ठ साझेदार रजत मोहन ने कहा कि इस कदम से ब्याज राहत देने में पारदर्शिता और दक्षता को बढ़ावा मिलेगा। (इनपुट - भाषा)
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