Income Tax: इनकम टैक्स से लेना चाहते हैं फायदा, तो एग्जेम्प्शन, डिडक्शन और रिबेट को विस्तार से समझें
Income Tax Exemption Vs Rebate Vs Deduction: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को केंद्रीय बजट 2025 पेश करने वाली हैं। इस बजट में इनकम टैक्स जुड़े नियमों बदलाव हो सकते हैं। इसलिए आपको टैक्स से जुड़े शब्द टैक्स एग्जेम्प्शन, टैक्स डिडक्शन और टैक्स रिबेट को जरूर समझना चाहिए। यहां विस्तार से जानिए।
इनकम टैक्स शब्दावली की जानकारी, टैक्स छूट में करेगी मदद (तस्वीर-Canva)
Income Tax Exemption Vs Rebate Vs Deduction: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को यूनियन बजट 2025-26 लोकसभा में पेश करने जा रही हैं। लोगों में संभावित वित्तीय बदलावों के बारे में उत्सुकता बढ़ रही है,खासकर टैक्सपेयर्स को उम्मीद है कि टैक्स छूट बढ़ सकती है। सालाना 15 लाख रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों के लिए इनकम टैक्स में छूट मिल सकती है। टैक्स को लेकर हमें जानकारी रखनी चाहिए खाकर टैक्स से जुड़े शब्दों को लेकर। अक्सर कर शब्दावली अक्सर भ्रम पैदा करती है, इसलिए टैक्स मैनेजमेंट के लिए तीन महत्वपूर्ण शब्दों को स्पष्ट करना जरूरी है। इनकम टैक्स छूट (Exemptions), कटौती (Deductions) और छूट (Rebates)। ये आपके टैक्स की गणना कैसे की जाती है, इसमें एक अनूठी भूमिका निभाते हैं। इन्हें समझने से आपको आगामी केंद्रीय बजट 2025-26 को समझने और अपनी टैक्स देनदारियों को बेहतर ढंग से मैनेज करने में मदद मिल सकती है।
वित्त वर्ष 2024-25 (AY 2025-26) के लिए इनकम टैक्स स्लैब
नई टैक्स व्यवस्था (New Tax Regime)
सालाना आय (रुपये में) | टैक्स दर (%) |
3,00,000 रुपये तक | शून्य |
3,00,001 रुपये से 7,00,000 रुपये तक | 5% |
7,00,001 रुपये से 10,00,000 रुपये तक | 10% |
10,00,001 रुपये से 12,00,000 रुपये तक | 15% |
12,00,001 रुपये से 15,00,000 रुपये तक | 20% |
15,00,000 रुपये से ऊपर | 30% |
सालाना आय (रुपये में) | टैक्स दर (%) |
2,50,000 रुपये तक | शून्य |
2,50,001 रुपये से 5,00,000 रुपये तक | 5% |
5,00,001 रुपये से 10,00,000 रुपये तक | 20% |
10,00,000 रुपये से ऊपर | 30% |
पहलू | छूट (Exemption) | कटौती (Deduction) | छूट (Rebate) |
परिभाषा | विशिष्ट आय को कराधान से बाहर रखा गया | निवेश/व्यय के माध्यम से कर योग्य आय कम करें | प्रत्यक्ष रूप से देय टैक्स कम करना |
आय पर प्रभाव | लोअर ग्रॉस इनकम | लोअर टैक्स योग्य आय | लोअर्स टैक्स लायबलिटी |
किस पर लागू | पुरानी और नई रिजीम | केवल पुरानी व्यवस्था | केवल नई व्यवस्था |
उदाहरण | HRA और LTA | सेक्शन 80C, 80D | सेक्शन 87A |
करेंट बेसिक एग्जेम्प्शन लिमिट (वित्त वर्ष 2024-25)
पुरानी टैक्स व्यवस्था:-
60 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति: 2,50,000 रुपये तक की छूट।
वरिष्ठ नागरिक (60-80 वर्ष): ₹3,00,000 रुपये तक की छूट।
अति वरिष्ठ नागरिक (80+ वर्ष): ₹5,00,000 रुपये तक की छूट।
नई टैक्स व्यवस्था:-
एक समान छूट: सभी करदाताओं के लिए 3,00,000 रुपये तक की छूट।
कॉमन एग्जेम्प्शन
- हाउस रेंट अलाउंस (HRA): भुगतान किए गए किराए पर छूट, विशिष्ट शर्तों के अधीन।
- लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA): भारत के भीतर यात्रा खर्च पर छूट।
- कृषि आय: इनकम टैक्स एक्ट के तहत पूरी तरह से छूट।
इनकम टैक्स डिडक्शन (Income tax deductions) क्या है?
इनकम टैक्स कटौती (Income tax deductions) टैक्सपेयर्स को विशिष्ट व्यय या निवेश का दावा करके अपनी टैक्स योग्य आय को कम करने की अनुमति देती है। इनका उद्देश्य बचत और विवेकपूर्ण वित्तीय व्यवहार को बढ़ावा देना है।
मुख्य डिडक्शन्स
- सेक्शन 80C: पीपीएफ, NSC, जीवन बीमा प्रीमियम, ELSS, आदि में निवेश (लिमिट: 1,50,000 रुपये तक)।
- सेक्शन 80D: मेडिकल इंश्योरेंस के लिए प्रीमियम (सीनियर सिटिजन्स के लिए 25,000 रुपये या 50,000 रुपये)।
- सेक्शन 80E: एजुकेशन लोन पर ब्याज।
इनकम टैक्स रिबेट (Income Tax Rebate) क्या है?
इनकम टैक्स छूट (Income Tax Rebate) सीधे देय टैक्स राशि को कम करती है। वे आपकी टैक्स योग्य आय को प्रभावित नहीं करते हैं, लेकिन आपकी फाइनल टैक्स लायबलिटी को कम करता है।
सेक्शन 87A रिबेट (वित्त वर्ष 2024-25)
- नई टैक्स रिजीम के तहत 7,00,000 रुपये तक की टैक्स योग्य आय वाले टैक्सपेयर्स पर लागू।
- अधिकतम रिबेट: 25,000 रुपये।
- रिजल्ट: 7,00,000 रुपये तक की आय वाले व्यक्तियों के लिए जीरो टैक्स।
सही व्यवस्था चुनना
- नई व्यवस्था चुनें अगर आपकी टैक्स योग्य आय 7,00,000 या उससे कम है (छूट के कारण आपको कोई टैक्स नहीं देना होगा)। आप छूट और कटौती के बिना आसान टैक्स गणना पसंद करते हैं।
- पुरानी व्यवस्था को चुनें अगर आपके पास पर्याप्त छूट और कटौती है जो टैक्स योग्य आय को काफी कम करती है। आपकी आय 7,00,000 रुपये से अधिक है और सेक्शन80C जैसी कटौती पुरानी व्यवस्था को अधिक लाभकारी बनाती है।
इनकम टैक्स एग्जेम्प्शन, डिडक्शन और रिबेट के बीच अंतर को समझकर, टैक्सपेयर अपनी टैक्स देनदारियों को प्रभावी ढंग से अनुकूलित कर सकते हैं। सबसे अधिक लाभ प्रदान करने वाली व्यवस्था चुनने के लिए अपनी आय, छूट और कटौती का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करें।
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