ITR: इनकम टैक्स रिफंड आने में क्यों हो रही है देरी, जानें क्या करें?

Income Tax Refund: आपने समय पर इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किया है फिर भी टैक्स रिफंड नहीं पहुंचा है। आइए जानते हैं क्यों आपका रिफंड अटका हुआ है और इसके लिए क्या करना चाहिए।

इनकम टैक्स में देरी क्यों? (तस्वीर-Canva)

Income Tax Refund: इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की समयसीमा 31 जुलाई को समाप्त हो गई। जिसमें 7 करोड़ से अधिक टैक्सपेयर्स ने निर्धारित समय-सीमा के भीतर अपना रिटर्न फाइल किया। आयकर विभाग की वेबसाइट के मुताबिक करीब 2 करोड़ ITR ऐसे हैं जिन्हें अभी भी प्रोसेस किया जाना बाकी है। सरकार ने दावा किया है कि ITR प्रोसेसिंग समय 2014 में 53 दिनों से घटकर अब 10 दिनों से भी कम हो गया है। कई टेक्सपेयर्स हैं जो अभी भी अपने टैक्स रिफंड का इंतजार कर रहे हैं। तो इस देरी के पीछे क्या वजहें हैं? ITR प्रोसेसिंग में देरी के कारणों में से कोई टैक्सपेयर्स द्वारा इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करने के लिए चुने गए ITR फॉर्म का प्रकार है। ITR-1 या ITR-4 को आमतौर पर ITR-2 और ITR-3 की तुलना में तेजी से प्रोसेस किया जाता है।

क्यों होती है टैक्स रिफंड में देरी

एक्सपर्ट्स का मानना है कि कुछ टैक्सपेयर्स के लिए टैक्स रिफंड में देरी होने का एक और कारण यह है कि उनके रिफंड क्लेम बड़े हैं, इसलिए उन्हें टैक्स अधिकारियों द्वारा कठोर जांच और संतुलन की जरुरत होती है। इनके अलावा कभी-कभी टैक्स विभाग के ध्यान में टैक्स रिटर्न में दिए गए डेटा में कुछ विसंगतियां आती हैं, जैसे रिपोर्ट की गई आय या टैक्स क्रेडिट में बेमेल। ऐसी त्रुटियों के लिए टैक्स विभाग से संचार के बाद टैक्सपेयर्स द्वारा पुनः वेरिफिकेशन की जरुरत होती है। एक टैक्सपेयर के रूप में इन कारकों को समझना चाहिए क्योंकि वे किसी की अपेक्षाओं को प्रबंधित करने और अपने रिफंड प्राप्त करने में किसी भी संभावित देरी के लिए तैयार होने में मदद कर सकते हैं। हालांकि टैक्सपेयर्स को ध्यान रखना चाहिए कि AY 2024-25 के लिए ITR की प्रोसेसिंग के लिए वैधानिक समयसीमा 31 दिसंबर 2025 है, जिसका मतबल है कि टैक्स विभाग किसी विशिष्ट ITR को रोकने के लिए वैध कारण होने पर ITR को प्रोसेस करने में इतना समय ले सकता है।

रिफंड देरी पर मिलेगा ब्याज

जब इनकम टैक्स रिटर्न निर्धारित नियत तारीख के भीतर दाखिल किया जाता है तो टैक्सपेयर्स 0.5% प्रति माह या महीने के हिस्से पर ब्याज पाने का हकदार होता है, जिसकी गणना 1 अप्रैल 2024 से रिफंड की तारीख तक की जाती है। यदि रिटर्न दाखिल करने में देरी होती है तो ITR प्रस्तुत करने की तारीख से लेकर रिफंड की तारीख तक ब्याज देय होता है। हालांकि अगर देय रिफंड राशि वास्तविक आयकर देयता के 10% से कम है, तो इनकम विभाग द्वारा कोई ब्याज देय नहीं है।

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