बायोगैस की खपत बढ़ाने से एलएनजी आयात बिल में आएगी कमी, भारत के बच सकते हैं 2.41 लाख करोड़ रु

India Can Reduce LNG Import Bill: प्राकृतिक गैस की जगह बायोगैस और बायोमीथेन की खपत वर्ष 2030 तक 20 प्रतिशत बढ़ाने से भारत को अपने तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) के आयात बिल में वित्त वर्ष 2024-25 से 2029-30 के बीच 29 अरब डॉलर (2.41 लाख करोड़ रु) की कटौती करने में मदद मिल सकती है।

India Can Reduce LNG Import Bill

भारत एलएनजी आयात बिल कम कर सकता है

मुख्य बातें
  • भारत घटा सकता है एलएनजी बिल
  • हो सकती है 2.41 लाख करोड़ की बचत
  • बायोगैस की खपत बढ़ानी होगी

India Can Reduce LNG Import Bill: प्राकृतिक गैस की जगह बायोगैस और बायोमीथेन की खपत वर्ष 2030 तक 20 प्रतिशत बढ़ाने से भारत को अपने तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) के आयात बिल में वित्त वर्ष 2024-25 से 2029-30 के बीच 29 अरब डॉलर (2.41 लाख करोड़ रु) की कटौती करने में मदद मिल सकती है। एक नई रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।

इंस्टिट्यूट फॉर एनर्जी इकनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस (आईईईएफए) की रिपोर्ट में अपशिष्ट प्रबंधन, ग्रीनहाउस गैस (जीएचजी) उत्सर्जन में कमी और अक्षय ऊर्जा के उत्पादन में वृद्धि सहित विस्तारित बायोगैस परियोजनाओं के पर्यावरणीय लाभ पर रोशनी डाली गई है।

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पाइपलाइन से हो सकती है सप्लाई

रिपोर्ट की लेखिका और आईईईएफए में ऊर्जा विश्लेषक पूर्वा जैन के अनुसार बायोगैस में प्राकृतिक गैस और अन्य उच्च उत्सर्जन वाले जीवाश्म ईंधन (Fossil Fuel) की जगह लेने की क्षमता है। कार्बन डाइऑक्साइड और हाइड्रोजन सल्फाइड जैसी अशुद्धियों को खत्म करके, इसकी मीथेन सामग्री को 90 प्रतिशत तक एडवांस्ड बनाया जा सकता है जिससे यह कैलोरी के लिहाज से प्राकृतिक गैस के बराबर हो जाए।

उन्होंने कहा कि इस उन्नत बायोगैस को बायोमीथेन के तौर पर जाना जाता है जिसकी पाइपलाइन से आपूर्ति की जा सकती है और इसको गैस ग्रिड में एक गैर जीवश्म ईंधन के रूप में एकीकृत किया जा सकता है।

अभी देश आयातित प्रकृतिक गैस पर निर्भर

जैन ने कहा कि उत्पादन की उचित विधि को अपनाकर और उत्पादन के दौरान मीथेन गैस के रिसाव को दूर करके सप्लाई के स्तर पर उन्नत बायोगैस देश को ईंधन का एक स्वच्छ विकल्प प्रदान कर सकती है जिसके लिए अभी हम आयातित प्रकृतिक गैस पर निर्भर है।

इन लाभों के बावजूद बायोगैस क्षेत्र को भारत में जगह बनाने के लिए संघर्ष करना पड़ा है। रिपोर्ट में इसके कई कारण बताए गए हैं, जिसमें एक व्यापक बाजार इकोसिस्टम का अभाव, कीमतों के निर्धारण पर चुनौतियां, मंजूरी मिलने में मुश्किलें और कम सरकारी समर्थन शामिल है।

शुरू की गई खास योजना

जैन ने कहा कि सरकार ने इन मुद्दों का समाधान करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2021 में राष्ट्रीय बायोएनर्जी योजना के तहत विभिन्न प्रकार के सपोर्ट को इंटीग्रेट किया गया। उन्होंने कहा, कि गोबर्धन (गैल्वनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्सेज धन) योजना की शुरुआत सरकार की एक खास पहल के रूप में की गई है जो इस तरह के एकीकरण में मदद करेगी।

सरकार को करने चाहिए ये प्रयास

रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि सरकार को भारत में बायोगैस की क्षमता का पूरी तरह से दोहन करने के लिए और अधिक प्रयास करना चाहिए। इसमें अधिक निवेश और निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहन देना, सीबीजी और बायोगैस से जुड़ी बाजार व्यवहार्यता में सुधार करना, बायोगैस प्लांट डेवलपमेंट के लिए फाइनेंशियल एक्सेस को बढ़ाना शामिल है।

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काशिद हुसैन author

काशिद हुसैन अप्रैल 2023 से Timesnowhindi.Com (टाइम्स नाउ नवभारत) के साथ काम कर रहे हैं। यहां पर वे सीनियर कॉरेस्पोंडेंट हैं। टाइम्स नाउ नवभारत की ब...और देखें

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