रक्षा क्षेत्र में भी 'Make In India' का दम, स्वीडन की इस बड़ी डिफेंस कंपनी को 100 फीसदी FDI की मंजूरी

India First 100% FDI in defence sector: भारत अभी तक रक्षा क्षेत्र में 74% तक एफडीआई की अनुमति देता था। हालांकि 2015 में मंजूरी नियमों में ढील दी गई थी, लेकिन अब तक कोई भी विदेशी कंपनी रक्षा क्षेत्र में 100% एफडीआई की अनुमति नहीं ले पाई थी।

Carl-Gustaf M4 system

बेहद घातक हथियार कार्ल-गुस्ताफ एम4 सिस्टम

India First 100% FDI in defence sector: भारत ने रक्षा क्षेत्र में देश के पहल पहले 100 फीसदी वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश ( एफडीआई ) को मंजूरी दे दी है। यह पहल स्वीडन (Sweden) की बड़ी डिफेंस कंपनी साब (SAAB) के शुरू हुई है जो रॉकेट बनाने का काम करेगी। ईटी के मुताबिक 500 करोड़ रुपये से कम मूल्य के एफडीआई का प्रस्ताव को पिछले महीने ही मंजूरी मिल चुकी है।

पहले रक्षा क्षेत्र में कितनी थी एफडीआई की अनुमति

भारत अभी तक रक्षा क्षेत्र में 74% तक एफडीआई की अनुमति देता था। हालांकि 2015 में मंजूरी नियमों में ढील दी गई थी, लेकिन अब तक कोई भी विदेशी कंपनी रक्षा क्षेत्र में 100% एफडीआई की अनुमति नहीं ले पाई थी। ऐसे में साब एफएफवी इंडिया, को पहली बार 100 फीसदी एफडीआई के साथ चुना गया है। यह भारत में बेहद घातक हथियार कार्ल-गुस्ताफ एम4 सिस्टम की नई पीढ़ी बनाएगी। इस वेपन सिस्टम (Weapon System) का निर्माण, साब (SAAB) की नई सब्सिडियरी कंपनी साब एफएफवी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा किया जाएगा। इस तरह अब रक्षा क्षेत्र में भी 'Make In India' का दम देखने को मिलेगा।

कंधे से दागे जाने वाले रॉकेट

हरियाणा में स्थापित होने वाली इस सुविधा में कार्ल-गुस्ताफ प्रणाली के लिए साइटिंग तकनीक और कार्बन फाइबर वाइंडिंग सहित मॉर्डन टेक्नोलॉजी शामिल होंगी। कंधे से दागे जाने वाले रॉकेट पहले से ही भारतीय सशस्त्र बलों बड़ी मात्रा में उपयोग में हैं और स्थानीय उत्पादन शुरू होने के बाद इन्हें निर्यात भी किया जा सकता है। जिसका निर्माण अगले साल शुरू होगा।

100% FDI की मंजूरी लेने वाली पहली विदेशी कंपनी

कंधे से लॉन्च की जाने वाली हथियार प्रणाली का उपयोग अमेरिकी, यूरोपीय और भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा किया जाता है और इसका उपयोग दुश्मन के मजबूत ठिकानों, कवच और कर्मियों को नष्ट करने के लिए किया जाता है। 2016 में, फ्रांसीसी फर्म DCNS मॉर्डन सिस्टम विकसित करने के लिए एक भारतीय सहायक कंपनी स्थापित करने के लिए 100% FDI की मंजूरी लेने वाली पहली विदेशी कंपनी बन गई, जो पनडुब्बियों को पानी के नीचे अधिक सहनशक्ति प्रदान करेगी। इसने उच्च स्तरीय महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियों को विकसित करने के लिए डीसीएनएस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में ₹100 करोड़ से अधिक के निवेश की मंजूरी मांगी थी, लेकिन उसे अपेक्षित अनुमति नहीं मिली।

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आशीष कुशवाहा author

आशीष कुमार कुशवाहा Timesnowhindi.com में बतौर सीनियर कॉपी एडिटर काम कर रहे हैं। वह 2023 से Timesnowhindi.com के साथ जुड़े हैं। वह यहां शेयर बाजार, ...और देखें

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